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Batla House Encounter: आतंकी आरिज खान को राहत, अब नहीं होगी फांसी, दिल्ली HC ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला
Batla House Encounter Case: बाटला हाउस एनकाउंटर केस में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के हत्या आरोपी आरिज खान को अब फांसी नहीं होगी। निचली अदालत ने मार्च, 2021 में फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है।
Batla House Encounter Case: दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा (Mohan Chand Sharma) की हत्या के आरोपी आरिज खान (Ariz Khan) को अब फांसी नहीं होगी। बता दें, निचली अदालत ने मार्च, 2021 में फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसे गुरुवार (12 अक्टूबर) को दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आतंकी आरिज खान को दी गई मौत की सजा की पुष्टि पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अपना फैसला सुनाया है। उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
दोषी करार देने का फैसला बरकरार रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार देने के निर्णय को बरकरार रखा। गौरतलब है कि, साकेत कोर्ट (Saket Court) ने 8 मार्च, 2021 को आरिज खान (Terrorist Ariz khan) को दोषी ठहराया था। 15 मार्च, 2021 को मृत्युदंड की सजा (Ariz khan Death Penalty) सुनाई थी। जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट को मौत की सजा की पुष्टि के लिए निचली अदालत से एक संदर्भ प्राप्त हुआ था।
क्या है मामला?
राजधानी दिल्ली में सिलसिलेवार बम ब्लास्ट के कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) की बाटला हाउस में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। इस कार्रवाई में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा 19 सितंबर, 2008 को शहीद हुए थे। 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस और दोषी की तरफ से दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
आतंकी आरिज के वकील ने दिया तर्क
आरिज खान के वकील ने अदालत में तर्क दिया था कि, ऐसा कुछ भी नहीं है, जो ये कहे कि उनके मुवक्किल (आरिज खान) को सुधारा नहीं जा सकता। ये भी तर्क दिया कि, अगर सुधार की कोई संभावना नहीं है तो आजीवन कारावास (Ariz khan Life Imprisonment) की सजा का नियम है। इस पर विशेष लोक अभियोजक राजेश महाजन (Rajesh Mahajan) ने कहा था कि, 'एक वर्दीधारी पुलिस अधिकारी की हत्या दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। ऐसे केस मौत की सजा को उचित ठहराती है। विशेष लोक अभियोजक ने अदालत के सामने आरिज खान की सामाजिक जांच रिपोर्ट और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि, जेल में उसका आचरण असंतोषजनक है।