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Delhi Liquor Scam: क्या है शराब घोटाला का मामला, जिसने केजरीवाल सरकार के ‘कट्टर ईमानदार’ मनीष सिसोदिया को पहुंचा दिया जेल
Delhi Liquor Scam: पिछले साल सीबीआई ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति की जांच एलजी वीके सक्सेना के कहने पर शुरू की। जांच एजेंसी ने अगस्त में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा था।
Delhi Liquor Scam: पिछले साल सीबीआई ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति की जांच एलजी वीके सक्सेना के कहने पर शुरू की। जांच एजेंसी ने अगस्त में डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा। कुछ दिनों तक इसका काफी शोर रहा, सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका व्यक्त की जाने लगी। फिर यह मामला ठंडा हो गया।
एक बार फिर ये मामला गरमाया
लेकिन पिछले दिनों सीबीआई ने जैसी ही मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए फिर से बुलाया, एकबार फिर ये मामला गरमा गया। इस बार भी डिप्टी सीएम की गिरफ्तारी की अटकलें लगने लगीं। मगर इसबार ये अटकलों तक सीमित नहीं रही बल्कि पूछताछ के दिन यानी रविवार शाम को सीबीआई ने आप नेता को गिरफ्तार कर लिया। सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बवाल खड़ा कर रखा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर पार्टी के तमाम अन्य बड़े नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को जांच एजेंसी का दुरूपयोग बता रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार आम आदमी पार्टी के विस्तार से डरकर उसके नेताओं को परेशान कर रही है। सीएम केजरीवाल ने तो सिसोदिया को कट्टर ईमानदार बताया। हालांकि, मामला इतना भी सीधा नहीं है। नई आबकारी नीति को लेकर कुछ गंभीर सवाल हैं, जिसका जवाब न तो सिसोदिया के पास है और न ही आप के पास। तो आइए जानते हैं कि क्या है वो पूरा मामला जिसने केजरीवाल सरकार के ‘कट्टर ईमानदार’ मनीष सिसोदिया को जेल पहुंचा दिया।
क्या थी केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति ?
साल 2020 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में तीसरी बार आई केजरीवाल सरकार ने उसी साल मई में विधानसभा में नई आबकारी नीति पेश की, जिसे नवंबर 2021 में लागू कर दिया गया। दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को लागू करने के पीछे कुछ तर्क दिए। उनका कहना था कि नई नीति से दिल्ली में शराब माफियाओं पर अंकुश लगेगा और कालाबाजारी खत्म होगी, जिससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। हर वार्ड में शराब की दुकानों का सामान वितरण होगा।
नई शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार ने शराब बेचने से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया। दिल्ली में केवल निजी दुकानें ही शराब बेचने लगीं। शराब के दुकानों के लिए लाइसेंस हासिल करना आसान कर दिया गया है। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। दुकानदारों शराब की बोतलों पर बेहतरीन ऑफर और डिस्काउंट देने लगे। नई शराब नीति पर उठ रहे सवालों के मद्देनजर पिछले साल केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द कर दिया था।
शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोप
दिल्ली के मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल को नई शराब नीति को लेकर एक रिपोर्ट भेजी, जिसमें डिप्टी सीएम सह आबकारी मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए गए। मुख्य सचिव ने इसकी जांच कराने की मांग की, जिसके बाद एलजी सक्सेना ने इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। तो चलिए एक नजर उन आरोपों पर डालते हैं, जो मुख्य सचिव ने सिसोदिया पर अपनी रिपोर्ट में लगाए हैं –
- कोरोना लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए शराब ठेकेदारों की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई, जो कि 144.36 करोड़ रूपये बैठती है।
- शराब दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 कर दी गई।
- ठेकेदारों का कमीशन 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया, जिससे राजस्व को नुकसान हुआ।
- मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन करते हुए नॉन कन्फर्मिंग इलाकों में शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी गई।
- एक ब्लैक लिस्टेटड कंपनी को दो जोन के ठेके दे दिए गए।
- विदेशी शराब और बियर की केस पर मनमानी छूट दी गई, जिसका फायदा शराब कंपनियों को हुआ।
- कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस दिए गए।
- टेंडर में शामिल एक शराब कंपनी के अर्नेस्ट डिपोजिट मनी (30 करोड़ रूपये) को वापस कर दिया गया।
- बिना कैबिनेट नोट के मनमाने तरीके से कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाए गए।
सीबीआई ने सिसोदिया को क्यों किया गिरफ्तार ?
केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति की जांच करी सीबीआई ने पिछले साल ही इस मामले में 16 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी। शराब घोटाला केस में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आरोपित नंबर वन बनाया। सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ जुटाए गए सबूतों के बारे में उनसे पूछताछ की गई, मगर वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। वह जवाब टालमटोल तरीके से दे रहे थे।
उन पर निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। सीबीआई ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने उस दौरान जब लिकर पॉलिसी के जरिए कारोबारियों को फायदा पहुंचाया जा रहा था, कई फोन कॉल्स किए। उन्होंने कई सेल फोन नष्ट भी किए।
इन सबके बारे में पूछने पर उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। आपको बता दें कि रविवार को 8 घंटे की पूछताछ के बाद सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें उस रात सीबीआई मुख्यालय में ही रखा गया। अगले दिन यानी सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन के रिमांड पर भेज दिया गया।