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Delhi Metro: आखिर क्यों हटाए जा रहे मेट्रो से ड्राइवर केबिन, और अब कैसे चलेगी ट्रेन?

Delhi Metro: मैजेंटा लाइन (जनकरपुरी वेस्‍ट से बॉटेनिकल गार्डन) पर मेट्रो के ड्राइवरलैस की शुरुआत दिसंबर 2020 में हुई थी। फिर नवंबर 2021 में इसे पिंक लाइन पर भी लागू किया गया।

Viren Singh
Published on: 15 Jun 2024 8:56 AM GMT
Delhi Metro
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Delhi Metro (सोशल मीडिया) 

Delhi Metro: अब वो दिन दूर है नहीं, जब देश में मेट्रो ट्रेन बिना डाइवर के चलती हुई दिखाई देगीं। इसकी कवायद दिल्‍ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर चलने वाली मेट्रो ट्रेन में शुरू कर दी गई है। यहां की ट्रेनों से ड्राइवर केबिन हटाए जा रहे हैं। जून के अंत तक इस लाइन की मेट्रो ट्रेनें पूरी तरह से स्वचालित हो जाएंगी। यानी पूरी तरह ड्राइवरलैस हो जाएंगी। हालांकि अभी शुरुआत समय इन मेट्रो ट्रेनों में एक अटैंडेंट मौजूद रहेगा, लेकिन कुछ समय बाद उसको भी हटा दिया जाएगा।

15-16 मेट्रो ट्रेनों के हटाए जा चुके ड्राइवर केबिन

दरअसल, मेट्रो ट्रेनों में ड्राइवर केबिन आगे और पीछे की ओर होते हैं। इनके हटते ही यात्रियों की बैठने के लिए संख्या में इजाफा हो जाएगा। डीएमआरसी मैजेंटा लाइक के बाद पिंक लाइन में भी बिना ड्राइवर के मेट्रो ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है। दिल्ली में मेट्रो रेल का नेटवर्क मौजूदा समय 97 किमी लंबा है। ड्राइवरलैस मेट्रो ट्रेन पर डीएमआरसी ने बताया कि इस महीने के अंत तक मैजेंटा लाइन पूरी तरह मानव-रहित हो जाएगी। करीब 15-16 ट्रेनों से ड्राइवर के केबिन हटाए जा चुके हैं और इससे पैसेंजर्स के लिए ज्‍यादा जगह मिलेगी। वहीं, ट्रेन अटैंडेंट को भी चरणबद्ध तरीके से हटाएगा और तीन-चार ट्रेनों पर एक अटैंडेंट रखेगा।

2020 में शुरू हुआ ड्राइवरलैस

मैजेंटा लाइन (जनकरपुरी वेस्‍ट से बॉटेनिकल गार्डन) पर मेट्रो के ड्राइवरलैस की शुरुआत दिसंबर 2020 में हुई थी। फिर नवंबर 2021 में इसे पिंक लाइन पर भी लागू किया गया। जब ड्राइवरलैस ऑपरेशन शुरू हुआ तब मेट्रो ट्रेन में एक अटैंडेंट रखा गया था. किसी इमरजेंसी के समय ट्रेन को संभालने के लिए इनकी नियुक्ति की गई थी।

ड्राइवरलैस के कई फायदे

मेट्रो ट्रेनों के ड्राइवरलैस होने के कई फायदे भी हैं। इसमें ट्रेनों के संचालन में सुविधा होती है। मानवीय हस्‍तक्षेप और गलतियों की गुंजाइश कम हो जाती है। ट्रेन में ड्राइवर केबिन न होने की वजह से ट्रेन में यात्रियों के लिए अतिरिक्‍त कोच भी लगाए जा सकते हैं, जिससे एक बार अधिक संख्या यात्री सफर कर सकते हैं। इससे स्टेशनों की भीड़ की स्थिति खत्म होती है।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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