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Delhi-Mumbai Expressway: जल्द जेवर एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस, बजट हुआ पास
Delhi-Mumbai Expressway-Jewar Airport: निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को अगले दो वर्षों में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री ने दी है।
Delhi-Mumbai Expressway: निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के जेवर में तैयार हो रहे नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (Jewar International Airport) से जोड़ा जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस बात की जानकारी दी और यह भी बताया कि इसके लिए बजट जारी कर दिया गया है। इसके अलावा जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) को हरियाणा से भी जोड़ा जाएगा।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को घोषणा की कि निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) को अगले दो वर्षों में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ा जाएगा। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य में भारतमाला परियोजना के तहत गौतमबुद्धनगर जिले के डीएनडी फरीदाबाद - बल्लाभाग बाईपास केएमपी लिंक से (दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे को जोड़ते हुए) जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक ग्रीनफील्ड कनेक्टिविटी (Greenfield connectivity project) के निर्माण को 2,414.67 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने बताया कि हाइब्रिड एन्युटी मोड पर इस पथ का निर्माण किया जाएगा जिसकी कुल लम्बाई 31.425 किमी है। इस पथ की निर्माण अवधि 2 वर्षं होगी और यह आगरा, मथुरा एवं पश्चिम यूपी ट्रैफिक को भी जोड़ेगा।
दो साल के अंदर पूरा होगा सड़क का निर्माण
बताया जा रहा है कि दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे को जेवर एयरपोर्ट से जोड़े जाने वाली सड़क का काम जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। इस सड़क को पूरा करने के लिए दो साल का समय रखा गया है। बताते चलें कि जेवर एयरपोर्ट से पहली उड़ान साल 2024 में शुरू होगी, ऐसे में तब तक इस सड़क के पूरा होने की उम्मीद है। इस सड़क को ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे नाम दिया गया है। 31 किमी लम्बे ग्रीन फील्ड का एक हिस्सा हरियाणा में और दूसरी गौतमबुद्ध नगर में आएगा।
पहले नहीं राजी थी हरियाणा सरकार
बता दें कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने हरियाणा सरकार के साथ मिलकर जेवर पाइंट पर दोनों एक्सप्रेसवे को जोड़ने की मांग रखी थी। लेकिन हरियाणा सरकार पहले अधिग्रहण के खर्च पर तैयार नहीं थी। इस हाइवे का करीब 14 किमी हिस्सा हरियाणा में है।