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Delhi Politics: आखिर क्यों कांग्रेस पर आगबबूला है आप, विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान के क्या हैं कारण
Delhi Politics: आप ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने की मांग तक कर डाली है।
Delhi Politics: दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच घमासान तेज हो गया है। दोनों पार्टियों के बीच खींचतान यहां तक बढ़ गई है कि आप ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने की मांग तक कर डाली है। वैसे तो कांग्रेस नेता अजय माकन के बयान पर आप की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है मगर सच्चाई यह है कि आप नेताओं को लग रहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव के दौरान आप की चुनावी संभावनाओं को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों के बीच आमना सामना हुआ था मगर उस समय आप ने कांग्रेस को छोड़ भाजपा पर ही हमला बोला था। ऐसे में कांग्रेस की ओर से दिल्ली में आप के खिलाफ मोर्चा खोलना भी पार्टी नेताओं को रास नहीं आ रहा है।
दिल्ली में कांग्रेस का बदला रुख आप को बर्दाश्त नहीं
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था जिसके तहत कांग्रेस ने नौ और आप ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। बाद में विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों दलों के बीच गठबंधन की बातचीत चली थी मगर कांग्रेस की ओर से बेरुखी दिखाए जाने के बाद यह बातचीत टूट गई थी। आप ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव जरूर लड़ा था मगर इस दौरान पार्टी नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ सीधे हमले से परहेज किया था।
गुरुवार को आप की ओर से आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान आप नेता संजय सिंह ने इस बात का स्पष्ट तौर पर उल्लेख भी किया। उनका कहना था कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हमने कांग्रेस के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला और हमने भाजपा पर ही हमले किए।
उनके कहने का मतलब यह था कि हरियाणा में हम फ्रेंडली फाइट लड़ रहे थे। दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दौरान आप को कांग्रेस से भी यही उम्मीद थी मगर यह उम्मीद पूरी होती हुई नहीं दिख रही है। यही कारण है कि दिल्ली में कांग्रेस के रुख पर आप बौखला गई है।
आप-कांग्रेस का घमासान तेज होने की आशंका
आप नेताओं का यह भी कहना है कि अभी तक पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के बारे में एंटी नेशनल होने का बयान किसी भी भाजपा नेता की ओर से नहीं दिया गया मगर कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को एंटी नेशनल तक बता डाला। आप सांसद संजय सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने इस बयान पर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि कांग्रेस को अजय माकन के खिलाफ इस बयान के लिए एक्शन लेना चाहिए।
हालांकि यह भी सच्चाई है कि कांग्रेस की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में आप और कांग्रेस के बीच बयानबाजी और तीखी हो सकती है। दोनों दलों के बीच छिड़े इस घमासान से इंडिया गठबंधन के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े होते दिख रहे हैं।
कांग्रेस की इस रणनीति से आप परेशान
दिल्ली में भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस अब आप से पीछे नहीं रहना चाहती। दिल्ली में कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और ऐसे में पार्टी इस बार मौका नहीं चूकना चाहती। यही कारण है कि पार्टी दिल्ली के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार उतार रही है। कांग्रेस ने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में आप के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कद्दावर नेता संदीप दीक्षित को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। संदीप दीक्षित को पहले से ही केजरीवाल का बड़ा विरोधी माना जाता रहा है।
आप के दूसरे बड़े नेता मनीष सिसोदिया इस बार पटपड़गंज सीट छोड़कर जंगपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस ने इस सीट पर फरहाद सूरी को उतार कर सिसोदिया के घेरेबंदी की है। सिसोदिया के खिलाफ कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। भाजपा ने अभी तक किसी भी सीट पर अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है मगर नई दिल्ली सीट पर पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
आप के लिए इस बार क्यों आसान नहीं है जंग
आम आदमी पार्टी के नेताओं को इस बात का एहसास हो गया है कि कांग्रेस की ओर से मजबूत उम्मीदवार उतारे जाने के करण वोटों का बंटवारा होगा जिससे भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। दिल्ली की सत्ता पर लंबे समय से काबिज आप के लिए इस बार शराब घोटाले, यमुना में प्रदूषण, केजरीवाल के कथित शीशमहल, खराब सड़कें और पेयजल संबंधी दिक्कतों के कारण सियासी जंग आसान नहीं मानी जा रही है। बीजेपी इन मुद्दों को लेकर आप को लगातार घेरने की कोशिश में जुटी हुई है।
ऐसे माहौल में कांग्रेस का रुख ने आप की दिक्कतें और बढ़ा दी हैं। यही कारण है कि आप और कांग्रेस के बीच भाजपा को छोड़कर आपसी तकरार शुरू हो गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि चुनाव तारीखों का ऐलान होने के बाद दोनों दलों के बीच तकरार और बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।