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टूटा 15 सालों का रिकॉर्ड: राजधानी में लोगों का हाल-बेहाल, फिर मौसम की बदली चाल

एकदम से बढ़ी गर्मी ने राजधानी दिल्ली में जबरदस्त तरीके से एंट्री मारी है। बीते छह महीने में मौसम ने इस तरह से बदलाव दिखाए हैं कि चेन्‍नई की पिच भी शरम के मारे छिप जाए।

Vidushi Mishra
Published on: 25 Feb 2021 6:20 AM GMT
टूटा 15 सालों का रिकॉर्ड: राजधानी में लोगों का हाल-बेहाल, फिर मौसम की बदली चाल
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दिल्ली में फरवरी माह में ही गर्मी के बढ़ते तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बुधवार को राजधानी दिल्ली में बीते 15 सालों में फरवरी का सबसे गर्म दिन रहा।

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में फरवरी माह में ही गर्मी के बढ़ते तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बुधवार को राजधानी दिल्ली में बीते 15 सालों में फरवरी का सबसे गर्म दिन रहा। जिसके चलते सफदरजंग बेस स्‍टेशन स्‍टेशन पर 32.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ, जो सामान्‍य से सात डिग्री ज्‍यादा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही नजफगढ़ और पीतमपुरा में तो पारा 33.3 डिग्री तक पहुंच गया, जबकि स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स में अध‍िकतम तापमान 33.9 डिग्री रहा।

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एकदम से बढ़ी गर्मी

एकदम से बढ़ी गर्मी ने राजधानी दिल्ली में जबरदस्त तरीके से एंट्री मारी है। बीते छह महीने में मौसम ने इस तरह से बदलाव दिखाए हैं कि चेन्‍नई की पिच भी शरम के मारे छिप जाए। बीते साल सितंबर का महीना सबसे गर्म साबित हुआ, तो अगले तीन महीनों में तापमान न्‍यूनतम औसम से भी नीचे रहा।

वहीं जनवरी के आखिरी 13 दिनों में खूब शीतलहर पड़ी और साथ ही बदलते मौसम ने रेकॉर्ड टूट दिए, तो फरवरी सामान्‍य से ज्‍यादा गर्म साबित हो रही है। इस पर मौसम विभाग के अनुसार, पिछला सितंबर करीब दो दशकों में सबसे गर्म साबित हुआ। औसत अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री रहा। अक्‍टूबर में ठीक इसका उलटा देखने को मिला जब 58 सालों का रेकॉर्ड टूटा।

HEAT फोटो-सोशल मीडिया

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15 साल में सबसे ठंडा

बता दें, उस महीने औसत न्‍यूनतम तापमान केवल 17.2 डिग्री दर्ज हुआ। नवंबर में उससे भी पुराना रेकॉर्ड धराशायी हो गया। औसत न्‍यूनतम तापमान 10.2 डिग्री रहा जो कि 1949 के बाद सबसे कम था। दिसंबर का महीना पिछले 15 साल में सबसे ठंडा साबित हुआ।

वैसे जनवरी में भी ठंड जारी रही। बीते महीने शीतलहर वाले 7 दिन दर्ज किए गए जो 2008 के बाद सबसे ज्‍यादा रहे। फरवरी में फिर मौसम गर्मी में चरम पर पहुंच रहा है।

IMD प्रमुख कुलदीप श्रीवास्‍तव के अनुसार, अक्‍टूबर, नवंबर और दिसंबर में आमतौर पर तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ देखने को मिलते हैं, जनवरी और फरवरी में 5 से 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आता है। इस हिसाब से "पश्चिमी विक्षोभ की कमी प्रमुख वजह है। जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ केवल एक बार आया और फरवरी में भी अबतक एक ही। अक्‍टूबर, नवंबर और दिसंबर में भी कम ही रहे।"

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Vidushi Mishra

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