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त्रिपुरा : अलग राज्य के लिए आंदोलन की चेतावनी!
त्रिपुरा में जनजातियों के लिए अलग राज्य की मांग के समर्थन में दो क्षेत्रीय पार्टियों ने आंदोलन की सोमवार को चेतावनी दी।
अगरतला: त्रिपुरा में जनजातियों के लिए अलग राज्य की मांग के समर्थन में दो क्षेत्रीय पार्टियों ने आंदोलन की सोमवार को चेतावनी दी। इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के अध्यक्ष नरेश चंद्र देबबर्मा ने कहा, "अलग राज्य की मांग के पक्ष में अगरतला में 23 अगस्त को रैली आयोजित करने की इजाजत हमने त्रिपुरा सरकार से मांगी थी, लेकिन पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया।"
उन्होंने कहा, "अब हमने राज्य के पुलिस महानिदेशक से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करने का निश्चय किया है, वरना हम अपना आंदोलन शुरू कर देंगे।"
जनजाति पार्टी आईपीएफटी ने अपनी मांग को लेकर त्रिपुरा की जीवरेखा कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग आठ तथा राज्य की एकमात्र रेलवे लाइन को 10 जुलाई के बाद 10 दिनों से अधिक वक्त के लिए अवरुद्ध कर दिया था, जिसके कारण जरूरी वस्तुओं की भारी कमी हो गई थी।
राज्य तथा केंद्र सरकार के अलावा, राज्यपाल तथागत रॉय के हस्तक्षेप के बाद आईपीएफटी ने 20 जुलाई को नाकेबंदी वापस ली थी।
आईपीएफटी नेताओं की दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों तथा अगरतला में राज्यपाल के साथ एक बैठक के बाद देबबर्मा ने कहा कि अलग राज्य की उनकी मांग पर सकारात्मक कार्यवाही के प्रति वह उत्साहित हैं।
पश्चिम जिले के पुलिस प्रमुख अभिजीत सप्तर्षि ने आईएएनएस से कहा कि शांति भंग होने की आशंका को लेकर आईपीएफटी को रैली के आयोजन की मंजूरी नहीं दी गई।
पिछले साल 23 अगस्त को आईपीएफटी ने रैलियां निकाली थीं, जिसमें हिंसा की घटनाएं हुई थीं। अगरतला में कम से कम 17 वाहनों व दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी।
एक अन्य जनजाति पार्टी ट्विप्रालैंड स्टेट पार्टी (टीएसपी) ने भी अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।
टीएसपी के अध्यक्ष चितरंजन देबबर्मा ने कहा, "टीटीएएडीसी के तहत आने वाले इलाके को अलग कर एक नए राज्य के गठन की मांग को लेकर हम त्रिपुरा के 23 उप-प्रमंडलों में रैलियों का आयोजन करेंगे।"
आईपीएफटी तथा टीएसपी दोनों ही निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं। आईपीएफटी साल 2009 से ही अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है। राज्य का 10,491 वर्ग किलोमीटर भूभाग टीटीएएडीसी के अधिकार क्षेत्र में हैं, जहां 12,16,000 लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश जनजाति समुदाय के हैं।
--आईएएनएस