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नोटबंदी क्यों हुई, कब-कब हुई और इसकी जरूरत क्यों आई? यहां जानें सबकुछ

आज नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गये हैं। आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 की रात पीएम मोदी ने देश में नोटबंदी की घोषणा की थी।

Aditya Mishra
Published on: 8 Nov 2019 4:44 AM GMT
नोटबंदी क्यों हुई, कब-कब हुई और इसकी जरूरत क्यों आई? यहां जानें सबकुछ
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लखनऊ: आज नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गये हैं। आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 की रात पीएम मोदी ने देश में नोटबंदी की घोषणा की थी।

इस दौरान सब भौचक्क रह गए कि इसका मतलब क्या है? तब टेलीविजन पर नरेंद्र मोदी ने बताया था कि काले धन और आंतकवाद के खात्मे के लिए देश में 500 और 1000 रुपये के नोट को अर्थव्यस्था के चलन से बाहर कर किया जा रहा है।

एक घोषणा के चंद घंटों में 86% करंसी महज कागज का टुकड़ा रह गई थी। इस दिन करीब 15.44 लाख करोड़ रुपये नोट चलन से बाहर हो गए थे।

इतनी बड़ी राशि का अर्थव्यवस्था से बाहर हो जाने का अर्थ इस बात से समझ सकते हैं कि ये राशि 60 छोटे देशों की सकल घरेलू उत्पाद के बराबर थी।

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नोटबंदी का फैसला क्यों लिया गया?

नोटबंदी के लिए मोदी सरकार ने कई तर्क पेश किए। जिसमें से इस कदम को भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोट और आतंकवाद के खिलाफ उठाया गया।

गौरतलब है कि नोटबंदी का ऐसा फैसला 1978 में भी हुआ था। तब जनता पार्टी की सरकार ने 1000, 5000 और 10000 हजार के नोटों को बंद कर दिया था।

नोटबंदी के प्रभाव

2000 के नये नोटों ने लोगों के कैश होल्ड करने की क्षमता बढ़ा दी।

नकद लेन-देन में कमी लाना नोटबंदी का एक प्रमुख उद्देश्य था।

अभी भी 36 फीसदी लोग ग्रोसरी तथा 31 फीसदी लोग घरेलू नौकरों को नकद ही भुगतान करते हैं।

सिर्फ 12 फीसदी लोगों ने बताया कि वे कोई भुगतान नकद नहीं करते हैं।

नोटबंदी के बाद पूरे देश में नकली नोटों के पकड़े जाने की घटनायें काफी कम हो गई हैं।

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नोटबंदी के लाभ

42 फीसदी लोगों का मानना है कि टैक्स चोरी करने वाले लोग अब बड़ी संख्या में टैक्स के दायरे में आ गये हैं। वहीं 21 फीसदी मानते हैं कि अर्थव्यवस्था में ब्लैक मनी घटी है। 12 फीसदी लोगों के अनुसार इससे प्रत्यक्ष कर में वृद्धि हुई है। वहीं 25 फीसदी लोग नोटबंदी में कोई फायदा नहीं देखते हैं।

ब्लैकमनी घटाने के लिए क्या हो अगला कदम

42 फीसदी ने कहा सभी मंत्रियों, सरकारी अफसरों व उनके परिवार के लोगों की सारी संपत्ति का खुलासा होना चाहिए।29 फीसदी ने कहा सभी संपत्तियों को आधार से जोड़ा जाना चाहिए। 11 फीसद ने कहा 2000 के नोट तत्काल बंद किये जाएं। पांच फीसदी लोगों ने कहा बैंकों में लेनदेन पर 2 फीसद कर लगना चाहिए।

लोकल सर्किल्स ने कराया सर्वेक्षण

इस सर्वे में कुल 50000 जवाब मिले। 220 शहरों के लोगों को इसमें शामिल किया गया। सबसे अधिक 42 फीसदी टायर-1 सिटी के इसमें शामिल हुए। 34 फीसदी महिलायें शामिल रही।

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Aditya Mishra

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