विभाग से विधानपरिषद तक कन्फ्यूजन

raghvendra
Published on: 27 July 2018 7:41 AM GMT
विभाग से विधानपरिषद तक कन्फ्यूजन
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शिशिर कुमार सिन्हा

पटना: बिहार में चार बड़े शहर हैं, लेकिन सारी सुविधाएं पटना के आसपास ही दी जा रही हैं। ऐसे में एक बड़ी सुविधा ने राजधानी पटना के लिए संकट का रूप भी ले लिया है। पार्किंग और जाम से बुरी तरह परेशान पटना के लिए प्लानिंग के स्तर पर काम नहीं होने के कारण संकट बढ़ता ही जा रहा है। विधानसभा सत्र के दौरान सरकार का जब इस संकट से सामना हुआ तो आननफानन में सदन में ऐसा जवाब आ गया कि खुद का सरकारी सिस्टम ही घिर गया। पहले के नुकसान की भरपाई कागजी प्रकिया में है और एक नए पार्किंग टेंडर को भी सरकारी योजना ने नुकसान में धकेल दिया है।

23 जुलाई को विधानपरिषद में सदस्य केदार नाथ पांडेय ने फ्लाईओवर के नीचे बढ़ते अतिक्रमण पर जवाब मांगा, लेकिन पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव कब्जा हटाने को अपनी जिम्मेदारी नहीं बता कह गए कि सरकार ने फ्लाईओवर के नीचे पार्किंग की व्यवस्था कर दी है। पहले हुए टेंडर को खत्म कर मुफ्त में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। उनका यह कहना था कि शहर के दूसरे सबसे बड़े एग्जीबिशन रोड फ्लाईओवर के नीचे बवाल शुरू हो गया। हंगामा 24 जुलाई को और बढ़ गया। आखिरकार शाम होते-होते खुद पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव को बैकफुट पर आना पड़ा। वजह-जानकारी का अभाव। विभाग से विधानपरिषद तक कन्फ्यूज़न और फिर मीडिया के स्तर पर भी जानकारी के अभाव ने ऐसा बवाल खड़ा किया कि अगले दिन मंत्री का बयान लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा कि जहां पार्किंग का टेंडर है, वहां पूर्व निर्धारित समय तक यह कायम रहेगा।

सरकार को नहीं सूझ रहा उपाय

बिहार सरकार को पार्किंग और जाम संकट का उपाय नहीं सूझ रहा है। पटना में दोनों ही संकट के कारण बार-बार हाईकोर्ट की न केवल फटकार लगी है, बल्कि अफसरों को हाजिर होकर जवाब भी देना पड़ा है। सरकार जब-तब इस बड़े संकट का उपाय ढूंढक़र सामने लाती है, लेकिन हर बार यह संकट बढ़ता ही जाता है।

विधानपरिषद के ताजा मामले में भी सरकार पार्किंग को लेकर ही योजना बताना चाहती थी, लेकिन विभागीय मंत्री ने विचाराधीन बातों को सदन में रखकर फजीहत करा ली। ‘अपना भारत’ ने बिहार की राजधानी में रोजाना आवाजाही करने वाली आम जनता से जुड़ी खबर की परत-दर-परत पड़ताल शुरू की तो सामने आया कि पथ निर्माण विभाग खुद ही अस्पष्ट है। पथ निर्माण मंत्री से जब पार्किंग की बात की जाती है तो वह पार्किंग फ्री की बात कहते हैं, लेकिन जून तक पुल निर्माण निगम पटना के सबसे बड़े फ्लाईओवर के नीचे की पार्किंग के लिए टेंडर प्रक्रिया में ही लगा था।

सरकार को लाखों का नुकसान

बेली रोड और एग्जीबिशन रोड की शुरुआत में हुई पार्किंग बंदोबस्ती से फायदे की जगह नुकसान ही हुआ। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड इस हद तक लाचार हुआ कि उसने पटना के एएएसपी को लिखित रूप से जानकारी दी कि चिरैयाटांड़-एग्जीबिशन रोड फ्लाईओवर के नीचे वाहन पार्किंग की बंदोबस्ती खत्म होने के बाद भी वसूली को वह नहीं रोक पा रही है। जब इससे भी यह सब नहीं रुका तो एग्जीबिशन रोड फ्लाईओवर के नीचे अवैध पार्किंग को लेकर गांधी मैदान थाना में एफआईआर भी दर्ज कराई गई।

दरअसल, एग्जीबिशन रोड पार्किंग का शुरुआती टेंडर हासिल करने वाले संवेदक के रवैए के कारण पुल निर्माण निगम पहले से परेशान था। उसने किस्तों पर दी जानी वाली राशि का भुगतान लटकाए रखा था। कुल 46 लाख रुपए के पार्किंग टेंडर से पुल निर्माण निगम को क्या हासिल हुआ होगा, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मद की कुल राशि 41.40 लाख रुपए की राशि के साथ लाखों रुपए के बिजली बिल के भुगतान के लिए पुल निर्माण निगम संवेदक को टेंडर खत्म होने के बाद ढूंढता रहा।

बेली रोड पर पर भी लगा चूना

बेली रोड फ्लाईओवर का टेंडर पुल निर्माण निगम ने 58 लाख में फाइनल किया था। शुरुआत में ही यह सामने आया कि यहां निर्धारित शुल्क से अधिक की वसूली हो रही है। सडक़ पर जहां-तहां पार्किंग के कारण होने वाले जाम से बेली रोड को बचाने के लिए पार्किंग की यह व्यवस्था दी गई, लेकिन कई पिलरों के नीचे के स्पेस को संवेदक ने ठेके पर दे दिया गया।

पैथोलॉजी, मीट शॉप, रेस्तरां से लेकर होटल तक को जगह दे दी गई। पार्किंग में ठेले-खोमचे वालों से एकमुश्त मासिक राशि लेकर अतिक्रमण का एक तरह से लाइसेंस दे दिया गया। इस बीच एक शिकायत की प्रति लगाकर नुकसान बताते हुए संवेदक ने पुल निर्माण निगम को ही बंदोबस्ती खत्म करने की धमकी दे दी। अप्रैल में टेंडर हासिल करने वाले संवेदक ने दिसंबर में यह धमकी क्यों दी, यह पुल निर्माण निगम को भी पता था। दरअसल, टेंडर हासिल करने के बाद संवेदक ने कभी सरकार को राजस्व देने की सोची ही नहीं। संवेदक मिशेल कुमार ने 58 लाख के टेंडर का 10 प्रतिशत 5.80 लाख रुपए देकर बंदोबस्ती दस्तावेज हासिल करने के बाद निगम से लेन-देन का नाता ही तोड़ लिया।

टेंडर नहीं हो सका फाइनल

बेली रोड फ्लाईओवर के नीचे की पार्किंग के लिए पुल निर्माण निगम टेंडर की प्रक्रिया जून तक करता रहा, लेकिन इधर पटना नगर निगम से बेली रोड के दूसरे हिस्से का पार्किंग टेंडर हासिल करने वाला संवेदक फ्लाईओवर के नीचे की पार्किंग वसूल रहा है।

पटना नगर निगम इस जानकारी के बावजूद इसे हटा नहीं सका है। फ्लाईओवर के नीचे पार्किंग फ्री होने के बावजूद पटना नगर निगम का संवेदक यहां वसूली कर रहा है तो इस जानकारी से वाकिफ दुकानदार भी यहां कब्जा करने में दिन-रात जुटे हुए हैं। हालत यह है कि बेली रोड की पार्किंग में बकझक से बचने के लिए लोग वाहनों को सडक़ किनारे छोड़ दे रहे हैं। बेली रोड पर किनारे-किनारे हर जगह गाडिय़ा खड़ी होने लगीं, जबकि फ्लाईओवर के नीचे की पार्किंग फ्री होकर भी फ्री नहीं है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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