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बाबा तो बड़ा बवाली! 'जाम-ए-इंसां' की असलियत तो फिल्मी है भाई
नई दिल्ली : रेपिस्ट बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद उसका डेरा सच्चा सौदा चर्चा के केंद्र में हैं। उससे जुड़े खुलासे हो रहे हैं, उसकी वासना के रंग में रंगी जिंदगी अब किसी से छुपी नहीं है। लेकिन हम जो बताने जा रहे हैं, उसे जानकार आप दातों तले उंगली दबा लेंगे। हम बात कर रहे हैं 'जाम-ए-इंसां' की। ये ऐसा जाम था, जिसे पीने के बाद भक्त सम्मोहित हो जाता था और बाबा के लिए अपना सबकुछ छोड़ देता था।
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पहली बार कब सामने आया 'जाम-ए-इंसां'
'जाम-ए-इंसां' पहली बार डेरे में 29 अप्रैल 2007 को राम रहीम ने अपने भक्तों को पिलाया। कहा गया कि ये सिर्फ उनके लिए है जो राष्ट्र, धर्म और समाज की भलाई के लिए हमारे 47 नियमों का आजीवन पालन करेंगे। लेकिन जब भी ये जाम बना, वहां मौजूद सैकड़ों भक्तों को पिलाया गया, कुछ को जबरन भी। डेरा दावा करता है,कि अभीतक करोड़ों ने इसे पिया और देश, धर्मं और समाज के लिए वो अपना सबकुछ अर्पित कर चुके हैं।
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डेरा प्रवक्ता के मुताबिक जाम में जल, दूध और शर्बत ए रूह का इस्तेमाल होता था। जिसे सबके सामने तैयार किया जाता था। राम रहीम इसे तैयार करता और पहले वही इसका भोग भी लगाता। लेकिन प्रवक्ता ये नहीं बताते की शर्बत ए रूह थी क्या बला।
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पीजीआईएमएस के एक डाक्टर ने नाम न बताने कि शर्त पर बताया कि मेरे कई साथियों ने इस जाम को पिया। लेकिन हम ये पता नहीं लगा सके कि आखिर इसमें कौनसा ड्रग्स मिला था। क्योंकि इसे पीने के बाद तीन चार दिन नींद आती और न ही दिमाग काम करता। जो भी इसे पीता उसके दिमाग में सिर्फ राम रहीम के शब्द ही गूंजते जो उसने पीते समय सुने थे।
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जाम के नाम पर बाबा की नौटंकी YouTube के सौजन्य से
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जब इस जाम के पीने पिलाने का दौर चलता तो उस समय सिर्फ यही बताया जाता, कि धरती पर सिर्फ राम रहीम ही भगवान है बाकी कोई नहीं इसका असर महीनों तक रहता था।
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डेरे के कुछ करीबियों के मुताबिक पीनेवाला जब बेखयाली के दौर में होता, तो उसकी अधिक से अधिक संपत्ति डेरे के नाम लिखवा ली जाती थी। इसमें कोई जोर जबरदस्ती भी नहीं होती थी और डेरे को जमीन जायदाद भी मिल जाती।
जाँच एजेंसीज को इस जाम की भी जाँच करनी चाहिए कि इसमें किस तरह के ड्रग्स का इस्तेमाल हो रहा था और ये शर्बत ए रूह क्या है।
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जाम के साथ लॉकेट का भी प्रचार, YouTube के सौजन्य से
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