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हथियारों के हैं शौकीन तो जानिए पिस्टल, रिवॉल्वर और माउजर में क्या होता है अंतर

Difference between Pistol Revolver and Mauser: पिस्टल और रिवॉल्वर दिखते जरूर एक जैसे हैं लेकिन दोनों में बड़ा अंतर होता है।

Jugul Kishor
Published on: 11 Feb 2023 10:45 AM IST (Updated on: 11 Feb 2023 11:37 AM IST)
Revolver Pistol Mouser
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Revolver Pistol Mouser

Pistol Revolver and Mauser: आजकल ज्यादातर घरों में लोग लाइसेंसी हथियार रखते हैं, पहले के जमाने में भी लोग रखते थे लेकिन उस समय पिस्टल, रिवाल्वर और माउजर जैसे हथियार नहीं होते थे। जिस कारण से लोग बंदूक रखते थे। लेकिन, आज का समय बदल गया है। अब बंदूक की जगह रिवाल्वर, पिस्टल और माउजर ने ले ली है। दुनिया में माउजर, पिस्टल और रिवाल्वर के अपग्रेड असलहे लोगों के दिलों को खूब पसंद आ रहे। तीनों ही हैंडगन हैं। लेकिन इन तीनों में ऐसी गजब खूबियां हैं जो इन तीनों के चलने के तरीके से लेकर कीमत तक में अंतर को बयां करता है। बता दें कि अस्त्र-शस्त्र की नई तकनीक में इन तीनों को ही अब एक हाथ से भी चलाया जा सकता है। रिवॉल्वर, पिस्टल और माउजर में सबसे अधिक मारक क्षमता माउजर गन की होती है। माउजर में लकड़ी का भी कुंदा उपयोग हो सकता है। पिस्टल में एक बार में 18 गोलियां, माउजर में 20 और रिवॉल्वर में 6 राउंड फायर हो सकती है।

जानिए रिवाल्वर के बारे में

रिवॉल्वर (Revolver) गन को पिस्टल का पुराना वर्जन माना जाता है। जैसा कि नाम से ही साफ है इसमें एक रिवॉल्विंग सिलेंडर लगा होता है। जिसमें गोलियां सेट करनी पड़ती हैं। फायर करने से पहले सिलेंडर घुमाया जाता है ताकि ट्रिगर पॉइंट के सामने गोली आ जाए और हिट होने के साथ ही फायर हो जाए। ट्रिगर दबाने के साथ ही हैमर सिलेंडर में लगी गोली को हिट करता है और गोली बैरल को पार करते हुए फायर हो जाती है।


रिवॉल्वर से एक गोली चलने के साथ ही बैरल के पीछे लगा सिलेंडर खुद घूम जाता है और अगली गोली ट्रिगर पॉइंट पर आ जाती है। इसमें सिलेंडर ही मैगजीन का काम करता है जो पिस्टल की तरह हैंडल पर न होकर बीच में लगा होता है। रिवॉल्वर एक बार में 6 फायर कर सकती है लेकिन पिस्टल की मैगजीन में 18 गोलियां आ सकती हैं। रिवॉल्वर चलाना पिस्टल की तुलना में ज्यादा कठिन है क्योंकि इसका ट्रिगर थोड़ा टाइट चलता है।

क्या है माउजर गन

माउजर एक जर्मन कंपनी का नाम है जो कि बोल्ट एक्शन राइफल तथा सेमी-ओटोमैटिक हैंडगन्स का निर्माण करती है। इसके द्वारा निर्मित हथियार बहुत उच्च गुणवत्ता के माने जाते हैं। माउजर की मैगजीन ट्रिगर के आगे लगती थी। जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगजीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। बता दें कि इसकी प्रभावी मारक क्षमता 150 से 200 मीटर तक है।


माउजर गन में 7.63x25 मिमी साइज के कारतूस इस्तेमाल किये जाते हैं। जबकि 0.32" बोर के रिवॉल्वर में 7.65x25 मिमी साइज के कारतूस प्रयुक्त होते हैं। 0.32" बोर रिवॉल्वर के कारतूस माउजर के कारतूसों के मुकाबले 0.02 मिमी ही अधिक होते हैं। नाल की लंबाई 140-99 मिमी होती है। एक बार में 6, 10 और 20 गोलियां चल सकती हैं।

जानिए पिस्टल के बारे में

बता दें कि पिस्टल हैंडगन का एडवांस वर्जन है। इसमें मैगजीन होती है, जिसमें गोलियां स्टोर की जाती हैं। फायर करते वक्त स्प्रिंग की मदद से गोली मैगजीन से निकलकर फायर पॉइंट पर आती है। पिस्टल से गोलियां चलाते वक्त उसे लोड करने में ज्यादा टाइम नहीं लगता और लगातार एक के बाद एक फायर किए जा सकते हैं।


इसके अलावा लॉक सिस्टम के जरिए मैगजीन को बंद भी किया जाता है, ताकि लापरवाही में पिस्टल से अपने आप फायर न हो जाए।पिस्टल की बैरल काफी छोटी होती है और इसकी लंबाई 10 इंच से ज्यादा नहीं होती। आमतौर पर यह 50 मीटर तक फायर कर सकती है। अगर वजन की बात करें तो पिस्टल का वजन रिवॉल्वर से कम होता है क्योंकि इसमें गोली के स्टोर करने के लिए अलग सिलेंडर न होकर हैंडल में ही मैगजीन लगी होती है।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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