Besan: ये कौन सा बेसन खा रहे हैं आप, चने की दाल वाला या पीली मटर वाला?

Besan: पीली मटर की कीमत लगभग 35 रुपये प्रति किलोग्राम की है जबकि चना दाल की कीमत औसतन 74 रुपये प्रति किलोग्राम है।

Neel Mani Lal
Published on: 7 Oct 2024 1:01 PM GMT
Besan
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Besan (Pic: Social Media)

Besan: बहुत मुमकिन है कि जिस बेसन को आप बड़े चाव से तरह तरह के व्यंजन बनाने में इस्तेमाल करते हैं वह चने की दाल से बना ही न हो। वजह ये है कि पारंपरिक रूप से प्रीमियम चना दाल (बंगाल चना) से बनने वाले बेसन की जगह सस्ते पीले मटर वाला बेसन या मिक्स बेसन बेचा जा रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, पीले मटर खाने में नुकसान नहीं है और वे सुरक्षित होते हैं लेकिन यहाँ मसला दाम का है। पीली मटर की कीमत लगभग 35 रुपये प्रति किलोग्राम की है जबकि चना दाल की कीमत औसतन 74 रुपये प्रति किलोग्राम है। पीले मटर की कीमत चना दाल की कीमत से आधी से भी कम होने के बावजूद, बेसन की खुदरा कीमत 110 रुपये प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। जबकि पीले मटर के साथ मिक्स बेसन की कीमत आदर्श रूप से 50 रुपये प्रति किलोग्राम से कम होनी चाहिए, लेकिन यह एडजस्टमेंट अभी तक बाजार में दिखाई नहीं दिया है। इस मसले से निपटने के लिए, सरकारी एजेंसियाँ पीले मटर के उपयोग की सीमा निर्धारित करने के लिए बेसन के नमूनों का परीक्षण कर रही हैं।

पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात

2023 के अंत में भारत सरकार ने पीली मटर को शुल्क मुक्त घोषित कर दिया, जिससे आयात में वृद्धि हुई। आयात को जुलाई 2024 तक शुल्क मुक्त अनुमति दी गई थी, जिसे बाद में अक्टूबर 2024 तक बढ़ा दिया गया। सस्ता होने के कारण यह कथित तौर पर बेसन उत्पादन में एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है।

भारत का दाल आयात

भारत का दाल आयात भी इस साल अप्रैल में छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 84 प्रतिशत बढ़ गया है। आयात में वृद्धि मुख्य रूप से लाल मसूर और पीली मटर के कारण हुई, इसके बाद काले चने का स्थान रहा।

अगस्त में इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा था कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने पीली मटर का रिकॉर्ड दो मिलियन टन आयात किया है। उन्होंने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2024 के अंत तक एक और 1-1.5 मीट्रिक टन आने की उम्मीद है।

नए नियम आएंगे

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार नए नियमों पर काम कर रही है, जिसके तहत निर्माताओं को बेसन में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का खुलासा करना होगा। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब चना दाल के बजाय सस्ती पीली मटर का उपयोग किया जाता है तो उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ मिले। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण भी बेसन बाजार में इन लेबलिंग मानकों को लागू करने में शामिल होगा।

मुद्रास्फीति और बढ़ती खाद्य लागत

उत्पादन में यह बदलाव और दालों की बढ़ती मांग ने भारत में खाद्य कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है। क्रिसिल की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि दालों की कीमतें इस साल 14 प्रतिशत बढ़ गई हैं। सितंबर 2024 में भारतीय घरों में शाकाहारी भोजन की कुल लागत भी पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ गई। दालों के कम घरेलू उत्पादन और साल की शुरुआत में कम स्टॉक स्तरों ने कीमतों को और बढ़ा दिया है।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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