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Digital Personal Data Protection Act: लाभ, चुनौतियाँ और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

Digital Personal Data Protection Act:

Ramkrishna Vajpei
Published on: 27 March 2025 3:21 PM IST
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digital personal data protection News (Image From Social Media)

Digital Personal Data Protection Act: आज के डिजिटल युग में, डेटा सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक बन चुका है। व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं को देखते हुए भारत सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection) (DPDPA) 2023 को लागू किया। यह अधिनियम नागरिकों की डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी संतुलित रखने का प्रयास करता है। लेकिन क्या यह अधिनियम भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा या इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी सामने आएंगे? और क्या अन्य देशों में ऐसे कड़े डेटा संरक्षण कानून आर्थिक समस्याओं का कारण बने हैं? इस लेख में हम इन्हीं पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

क्या है डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023?

DPDPA 2023 का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा (Personal Data) को नियंत्रित करना और डेटा संग्रह, उपयोग और स्टोरेज से जुड़े नियम तय करना है। यह अधिनियम उन कंपनियों और संगठनों को बाध्य करता है जो भारतीय नागरिकों का डेटा इकट्ठा और प्रोसेस करते हैं। इसमें निम्नलिखित मुख्य प्रावधान शामिल हैं:

डेटा संग्रह पर सहमति – कंपनियों को उपयोगकर्ताओं की स्पष्ट सहमति लेनी होगी।

डेटा सुरक्षा और उत्तरदायित्व – कंपनियों को उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) की स्थापना – यह बोर्ड डेटा उल्लंघनों की निगरानी करेगा।

डेटा का सीमित भंडारण – कंपनियां केवल आवश्यक डेटा रख सकती हैं और उसे जरूरत खत्म होने पर डिलीट करना होगा।

बच्चों के डेटा की सुरक्षा – 18 साल से कम उम्र के बच्चों का डेटा प्रोसेस करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होगी।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के लाभ

1. निजता की सुरक्षा में वृद्धि

यह कानून नागरिकों को उनके व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण देता है, जिससे गोपनीयता अधिकार मजबूत होते हैं।

2. डेटा सुरक्षा के उच्च मानक

कंपनियों पर डेटा सुरक्षा उपाय लागू करने की बाध्यता होगी, जिससे साइबर अपराध और डेटा लीक की घटनाएँ कम हो सकती हैं।

3. अंतरराष्ट्रीय डेटा विनियमन के अनुरूप

GDPR (यूरोपियन जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) की तरह यह कानून भारत को अंतरराष्ट्रीय डेटा सुरक्षा मानकों के करीब लाएगा, जिससे भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों में बेहतर अवसर मिल सकते हैं।

4. डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

जिन कंपनियों की डेटा सुरक्षा मजबूत होगी, उन पर उपयोगकर्ताओं का विश्वास बढ़ेगा, जिससे डिजिटल सेवाओं का अधिक उपयोग होगा।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट की चुनौतियाँ और नुकसान

1. छोटे और मध्यम उद्यमों पर दबाव

छोटी कंपनियों और स्टार्टअप्स को डेटा सुरक्षा उपाय लागू करने में अधिक लागत आएगी, जिससे उनका संचालन कठिन हो सकता है।

2. सरकार को व्यापक शक्तियाँ मिलना

इस कानून के तहत सरकार को यह अधिकार मिल जाता है कि वह कुछ कंपनियों को डेटा सुरक्षा से छूट दे सकती है, जिससे सरकारी निगरानी बढ़ने का खतरा पैदा हो सकता है।

3. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर प्रभाव

कुछ विदेशी कंपनियाँ भारत में डेटा प्रोसेसिंग की जटिलताओं से बचने के लिए अपने ऑपरेशंस को सीमित कर सकती हैं, जिससे व्यापार और निवेश प्रभावित हो सकता है।

4. डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग की लागत में वृद्धि

कानून के अनुसार डेटा स्थानीय सर्वरों पर स्टोर करना होगा, जिससे कंपनियों को अपने डेटा सेंटर बनवाने पड़ सकते हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी।

क्या ऐसे कानून अन्य देशों की आर्थिक गिरावट का कारण बने?

1. यूरोप और GDPR:

यूरोपियन यूनियन ने 2018 में GDPR (General Data Protection Regulation) लागू किया था। इसका उद्देश्य यूरोपीय नागरिकों के डेटा को सुरक्षित रखना था। लेकिन इसके बाद कई कंपनियों को यूरोप में अपने ऑपरेशंस बंद करने पड़े, क्योंकि वे नए नियमों का पालन करने में असमर्थ थीं।

2. चीन और डेटा संरक्षण:

चीन में Personal Information Protection Law (PIPL) लागू होने के बाद कई विदेशी कंपनियाँ वहाँ से बाहर चली गईं, जिससे चीनी अर्थव्यवस्था को झटका लगा।

3. अमेरिका और टेक कंपनियों की मुश्किलें:

अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में डेटा सुरक्षा के कानून लागू किए गए हैं, जिससे टेक कंपनियों को नए नियमों का पालन करने में समस्याएँ हो रही हैं।

भारत पर संभावित प्रभाव:

भारत की अर्थव्यवस्था सेवा-आधारित है, जिसमें आईटी और डेटा प्रोसेसिंग कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि डेटा संरक्षण कानून बहुत सख्त हुए, तो इससे भारत के आईटी और बीपीओ सेक्टर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष: संतुलन आवश्यक है

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय नागरिकों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। लेकिन यह जरूरी है कि इस कानून को लागू करते समय छोटे व्यवसायों, स्टार्टअप्स और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाए।

भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जहाँ नागरिकों की गोपनीयता भी सुरक्षित रहे और डिजिटल अर्थव्यवस्था भी प्रभावित न हो। अन्य देशों में लागू डेटा संरक्षण कानूनों से सीख लेते हुए, भारत को ऐसा समाधान अपनाना होगा जिससे तकनीकी नवाचार और व्यापार का विकास बना रहे।

आपका क्या विचार है?

क्या आपको लगता है कि यह कानून भारत के लिए लाभदायक रहेगा या इससे आर्थिक क्षेत्र में चुनौतियाँ आएंगी? अपने विचार कमेंट में साझा करें!

Ramkrishna Vajpei

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