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Divorce on Karva Chauth Vrat: पत्नी के करवाचैथ व्रत न रखने को पति ने बताया क्रूरता और ले लिया तलाक, हाईकोर्ट ने कहा- व्रत रहना, न रहना मर्जी का मामला, क्रूरता नहीं

Divorce on Karva Chauth Vrat: पति ने पत्नी पर उसके खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया था। याचिका में खासतौर पर करवा चैथ की एक घटना का जिक्र था, जब पत्नी ने व्रत रखने से इनकार कर दिया था। पति का कहना था कि उसने करवा चैथ का व्रत इसलिए नहीं रखा, क्योंकि पत्नी का मोबाइल फोन रिचार्ज नहीं कराया था।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 23 Dec 2023 6:26 PM IST
High Court said - fasting or not fasting is a matter of choice, not cruelty
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हाईकोर्ट ने कहा- व्रत रहना, न रहना मर्जी का मामला, क्रूरता नहीं: Photo- Social Media

Divorce on Karva Chauth Vrat: पत्नी ने करवा चैथ का व्रत नहीं रखा तो पति ने इसे पत्नी की क्रूरता बता दिया और सीधे कोर्ट पहुंच गया। ट्रायल कोर्ट ने दोनों का तलाक मंजूर कर लिया। फिर पत्नी ने खुद को क्रूर बताए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा- व्रत रहना पसंद का मामला है। हाईकोर्ट ने तलाक को बरकरार रखते हुए कहा- अलग-अलग धार्मिक विश्वास रखना और कुछ धार्मिक कर्तव्यों का पालन न करने को क्रूरता नहीं कहा जा सकता। रिवाजों के बीच रहते हुए महिला का उपवास से इनकार करना बताता है कि पत्नी के मन में पति के लिए कोई सम्मान नहीं।

पति ने फोन रिचार्ज नहीं कराया तो पत्नी ने करवा चैथ का व्रत नहीं रखा पति ने पत्नी पर उसके खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया था। याचिका में खासतौर पर करवा चैथ की एक घटना का जिक्र था, जब पत्नी ने व्रत रखने से इनकार कर दिया था। पति का कहना था कि उसने करवा चैथ का व्रत इसलिए नहीं रखा, क्योंकि पत्नी का मोबाइल फोन रिचार्ज नहीं कराया था।

पत्नी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी

शख्स ने यह भी दावा किया कि उसकी पत्नी छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती थी और उसके परिवार से झगड़ा करती थी। पति को स्लिप डिस्क की परेशानी थी, पत्नी ने सिंदूर हटाकर चूड़ियां तोड़ी थीं पति ने कोर्ट को बताया था कि 2009 में उसकी शादी हुई और 2011 में उनकी एक बेटी हुई। बच्चे के जन्म से कुछ दिन पहले महिला ने अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया था। इसके बाद शख्स ने तलाक की याचिका लगाई थी।

खुद को विधवा घोषित कर दिया था पत्नी ने

अप्रैल 2011 में जब वह स्लिप डिस्क से पीड़ित था तो उसकी पत्नी ने अपने माथे से सिंदूर हटा दिया था। इतना ही नहीं उसने अपनी चूड़ियां तोड़ ली थीं और सफेद सूट पहन लिया था और खुद को विधवा घोषित कर दिया था।

हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने इसे शादी खत्म करने का आखिरी काम बताया। इसे हद से ज्यादा क्रूरता बताते हुए कहा कि एक पति के लिए इससे ज्यादा कष्टदायक कोई अनुभव नहीं हो सकता।

फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति और सास-ससुर के खिलाफ शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन वह सबूत पेश नहीं कर सकी। उसने शादी के महज एक साल और तीन महीने के भीतर ही अपना ससुराल छोड़ दिया। न सुलह की कभी कोशिश की, न ही ससुराल लौटने की। इसलिए हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी ने पति के प्रति क्रूरता की है। लिहाजा हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (1) (आईए) के तहत तलाक के फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

Shashi kant gautam

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