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परिस्थितियों से घबराएं नहीं : अच्छे कामों के लिए ऐसे करें प्रोत्साहित

Newstrack
Published on: 21 Oct 2017 1:03 PM IST
परिस्थितियों से घबराएं नहीं : अच्छे कामों के लिए ऐसे करें प्रोत्साहित
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बेशक आप आप मन से कितने ही मजबूत क्यों न हों लेकिन दफ्तर में कभी न कभी ऐसी परिस्थितियां जरूर आई होंगी, जब आप निराश हो गए होंगे। यह वह समय होता है जब आप खुद को बहुत असहाय और काम के बोझ तले दबा हुआ महसूस करते होंगे। ऐसे में जरूरत है कि आप खुद को एक बार देखें और प्रोत्साहित करें।

शक न पालें : यह इंसानी फितरत होती है कि जब कोई निराशाजनक स्थिति उत्पन्न होती है तो खुद के निर्णयों पर संदेह होने लगता है। इस समय अपनी शंकाओं पर ध्यान देने के बजाय सकारात्मक तरीके से सोचना चाहिए और खुद को बढ़ावा देना चाहिए। याद रखिये आप जबतक खुद को कमजोर नहीं मानेंगे तब तक आपको कोई भी हरा नहीं सकता है। अगर आप नकारात्मक परिस्थिति को जीतना चाहते हैं, तो खुद को प्रेरित करें। अपनी किसी उपलब्धि पर गर्व करें और मोटीवेटेड महसूस करें।

लगन से करें काम : लगन व मेहनत के बल पर ही इंसान को सफलता मिलती है। इस एक आदत में इतनी क्षमता है कि मुश्किल से मुश्किल रास्ते पर भी आगे बढ़ा जा सकता है। इससे न सिर्फ मजबूती मिलती है बल्कि आपको निराशाजनक माहौल में भी आसानी होगी। इस दौरान अपनी सभी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाएं और प्रयास करें कि काम में कोई त्रुटि या भूल न हो।

निडर रहें : हममें से कई लोग भविष्य की चिंता करके खुद के आज को एन्जॉय नहीं कर पाते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो यह आदत छोड़ दीजिये। असल में निर्भय बनकर ही जीवन की समस्त बाधाओं से निजात पायी जा सकती है। आप अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करें और तय समय-सीमा में अपने कार्यों को पूरा करें। आप फोकस करें कि आपके कल से आज कितना ज्यादा उपयोगी सिद्ध हुआ है। यकीन मानिये आपकी यह सोच आपको शीघ्र ही निराश दुनिया से बाहर लेकर आ जाएगी।

पढऩे की आदत डालें : कहते हैं कि किताबों से अच्छे दोस्त नहीं होते हैं. लेकिन आजकल के व्यस्त लाइफ स्टाइल में बहुत मुश्किल है कि किताबों को दोस्त बनाया जा सके। पढऩे की आदत न सिर्फ आपको तनाव से बाहर निकालेगी बल्कि आपको रचनात्मक भी बनाती है। पढऩे से आप में सुनने की क्षमता का भी विकास होता है। किताब पढ़ते समय पाठक लेखक की रची दुनिया में खो जाता है, अत: पढऩे से आपकी कल्पना शक्ति भी निखरती है। यही नहीं आप कुछ देर के लिए ही सही,अपनी निराशजनक सोच से बाहर निकल जाते हैं, और किसको पता किताब का कौन सा चरित्र आपकी सोच बदल दे।



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