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उसने काट दिए थे अपने 'स्तन', क्योंकि ढकने पर लगता था टैक्स
केरल में 19वीं सदी में त्रावणकोर के राजा द्वारा निचली जातियों की महिलाओं के स्तनों पर टैक्स लगाया जाता था। इस टैक्स से बचने का एक तरीका था कि वो अपने स्तन निवस्त्र कर निकलें।
लखनऊ : घटना 19वीं सदी की है। उस समय निचली जाति की महिलाओं पर एक ऐसा टैक्स लगता था जिसके बारे में पढ़ आपके दिमाग का दही हो जाएगा। केरल में 19वीं सदी में त्रावणकोर के राजा द्वारा निचली जातियों की महिलाओं के स्तनों पर टैक्स लगाया जाता था। इस टैक्स से बचने का एक तरीका था कि वो अपने स्तन निवस्त्र कर निकलें।
इसी टैक्स के खिलाफ खड़ी हुईं नानगेली। जिन्होंने अपनी जान देकर इस प्रथा का विरोध किया और उनका यह साहसिक कदम ब्रेस्ट टैक्स के अंत की वजह बना।
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अपमानित करने का तरीका
त्रावणकोर में नियमों के अनुसार उस दौरान निचली जाति की महिलाओं को अपने स्तन ढंकने की इजाजत नहीं थी। सार्वजनिक स्थानों पर स्तनों ढंकने के लिए राजा ब्रेस्ट टैक्स वसूल करता था।
कहा जाता है कि टैक्स का निर्धारण स्तन के साइज के आधार पर होता था। यह टैक्स निचली जाति के लोगों को अपमानित करने के उद्देश्य से लगाया जाता था। ब्रेस्ट टैक्स के साथ-साथ निचली जाति के पुरुषों को मूंछ रखने के लिए भी टैक्स देना होता था।
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कौन थी नानगेली चेरथाला
नानगेली चेरथाला एक गरीब दलित महिला थी। इस टैक्स का भुगतान उसके वश में नहीं था। नानगेली ने सार्वजनिक जगहों पर स्तनों को न ढकने से इंकार कर दिया। जब टैक्स अधिकारी नानगेली के घर टैक्स लेने पहुंचा तो इस टैक्स के विरोध में नानगेली ने अपने दोनों स्तन काटकर केले के पत्ते पर रख उस टैक्स अधिकारी के सामने रख दिया। खून से लथपथ नानगेली ने वहीं दम तोड़ दिया। नानगेली के मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैली और लोग इस टैक्स के खिलाफ उठ खड़े हुए। इस टैक्स के विरोध में नानगेली के पति चिरकुंडन ने उनकी चिता में कूदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
नानगेली के इस कदम से लोग इस घिनौने टैक्स के खिलाफ उठ खड़े हुए और राजा को यह क्रूर टैक्स समाप्त करना पड़ा।