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क्या आप जानते हैं?: राष्ट्रपतियों के लिए क्यों खास रहा है 25 जुलाई
Vinod Kapoor
लखनऊ: देश के नए राष्ट्रपति के लिए जुलाई की 25 तारीख का खास महत्व रहा है। देश के सांसद और विधायक सोमवार (17 जुलाई) को 15 वें राष्ट्रपति का चुनाव कर रहे हैं। 20 जुलाई को वोटों की गिनती होगी और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होगा।
वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। वर्तमान राष्ट्रपति से पहले लगातार सात ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं जिन्होंने 25 जुलाई को पद की शपथ ली और पांच साल बाद इसी तारीख को उनका कार्यकाल खत्म हुआ।
राष्ट्रपति पद के लिए खास है 25 जुलाई
जुलाई की 25 तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले पहले राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी थे। उन्होंने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 25 जुलाई 1982 को सेवानिवृत हुए। ज्ञानी जैल सिंह को भी 25 जुलाई 1982 को शपथ दिलाई गई थी। उनका कार्यकाल भी 25 जुलाई 1987 को खत्म हुआ था। जैल सिंह इस पद के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से उनकी ऐसी अनबन हुई कि एक बार ये लगने लगा था कि वो सरकार को बर्खास्त कर देंगे। बहरहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।
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..जारी रहा सिलसिला
जैल सिंह के बाद आर. वेंकटरमण को प्रेसिडेंट बनाया गया। उन्होंने भी 25 जुलाई 1987 को शपथ ली। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 1992 को समाप्त हुआ। इसके बाद शंकर दयाल शर्मा 25 जुलाई 1992 को राष्ट्रपति बने और 1997 की इसी तारीख तक इस पद पर रहे। के आर नारायणन 25 जुलाई 1997 को प्रेसिडेंट बने और 25 जुलाई 2002 तक इस पद पर अपना कार्यकाल पूरा किया। फिर, देश के 'मिसाइल मैन' कहे जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद की शपथ 25 जुलाई 2002 को दिलाई गई थी। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। उनका स्थान प्रतिभा पाटिल ने 25 जुलाई 2007 को लिया और 2012 में इसी तारीख तक इस पद पर रहीं। प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को शपथ ग्रहण किया था।
नए राष्ट्रपति 14वें हैं या 15वें
गुरुवार 20 जुलाई को जीतने वाले राष्ट्रपति 14वें हैं या 15वें। इसे लेकर संशय बना हुआ है। संख्या के हिसाब से ये 14वें हैं, लेकिन देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद लगातार दो बार इस पद पर रहे। राजेंद्र प्रसाद 1952 से 1957 और 1957 से 1962 तक इस पद पर रहे। इसलिए वर्तमान राष्ट्रपति के चुनाव को 15वां कहा जा रहा है।
जब वीवी गिरि बने कार्यवाहक राष्ट्रपति
सन 1962 में राजेंद्र प्रसाद का स्थान सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लिया, जो 1967 तक इस पद पर रहे। देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था। कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया था। जाकिर हुसैन ने 1967 में पद संभाला, लेकिन 3 जुलाई 1969 को उनका निधन हो गया। उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को 3 जुलाई 1969 को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया, लेकिन इस पद के प्रत्याशी बनने के कारण उनका कार्यकाल 20 जुलाई तक ही रहा। वीवी गिरि के प्रत्याशी बनने के बाद मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने लेकिन उनका कार्यकाल 20 जुलाई 1969 से 24अगस्त 1969 तक रहा।
फखरुद्दीन भी पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल
वीवी गिरि ने 24 अगस्त 1969 को कार्यभार संभाला और 24 अगस्त 1974 तक इस पद पर रहे। उनके बाद फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 को राष्ट्रपति बने, लेकिन वो भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उनका निधन 11 फरवरी 1977 को हो गया। तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीडी जत्ती 11 फरवरी 1977 को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए, जो 25 जुलाई तक इस पद पर रहे।