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पंजाब: अब डोप टेस्ट धोएगा नशे का दाग

raghvendra
Published on: 27 July 2018 8:39 AM GMT
पंजाब: अब डोप टेस्ट धोएगा नशे का दाग
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़: नशे के मामले में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी झेल रही पंजाब सरकार ने अपने कर्मचारियों का डोप टेस्ट करवाने का फैसला है। यदि दूसरे शब्दों में कहें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार सूबे के दामन पर लगे नशे के स्याह धब्बे को डोप टेस्ट के साबुन से धोने का प्रयास कर रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो माह में चिट्टे (नशे) के सेवन से करीब सौ लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। नशे से मरने वालों में 12 साल की उम्र से लेकर 35 साल तक के युवा शामिल हैं। इनमें गरीब तबके से लेकर व्यापारी, सरकारी कर्मचारी व पुलिस मुलाजिम तक शामिल हैं।

ऐसा नहीं है कि डोप टेस्ट का आदेश पहली बार आया है। इससे पहले भी प्रकाश सिंह बादल की सरकार में सूबे में पुलिस भर्ती के दौरान भी डोप टेस्ट के आदेश दिए गए थे क्योंकि भर्ती में पहुंचने वाले युवाओं में कुछ ऐसे युवा भी शामिल थे जो नशे का सेवन कर भर्ती प्रतियोगिता में शामिल होने पहुंच रहे थे। लेकिन इस बार यह मामला थोड़ा अलग है। अलग इसलिए कि कैप्टन सरकार ने यह आदेश ऐसे समय में जारी किया है जब डेढ़ माह में 80 लोगों की मौत होने के बाद नशे का मामला अखबारों की सुर्खिया बनने लगा। ऐसे में सरकार ने बिना समय गंवाए अपने कर्मचारियों का डोप टेस्ट करवाने का आदेश दे दिया।

हालांकि प्रदेश सरकार के इस आदेश का सरकारी महकमे के मुलाजिमों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। यही नहीं कुछ राजनीतिक पाॢटयां भी इसके विरोध में उतर आई हैं। सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने यह आदेश खजाना भरने के लिए जारी किया है। उनका कहना है कि इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने राज्य की जनता पर हर माह 200 रुपये प्रोफेशनल टैक्स लगा दिया। इसका असर यह पड़ा कि दो लाख रुपये सालाना कमाने वाला सरकारी कर्मचारी हों या मिल मजदूर उसे प्रतिमाह सरकार को टैक्स के रूप में दो सौ रुपये दे रहे हैं। अब हर सरकारी मुलाजिम के लिए डोप टेस्ट करवाना जरूरी है। इसके लिए करीब 1500 रुपये प्रति व्यक्ति देना होगा। यानी यह पैसा भी सरकार के खजाने में जाएगा।

नशे के कारोबार पर अंकुश की कोशिश

नशा कारोबारियों पर नकेल न कस पाने के कारण सरकार की हो रही किरकिरी के बाद अब प्रशासन ने नशे के सौदागरों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। महज तीन दिनों में ही कार्रवाई करते हुए पंजाब पुलिस ने जालंधर व लुधियाना के दो बड़े दवा करोबारियों को गिरफ्तार कर भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवओं को जब्त करने के साथ ही उनके फर्म भी सीज किए हैं। इसके साथ ही केमिस्ट की दुकानों पर भी छापेमारी की जा रही है। पकड़े गए दवा कारोबारी प्रतिबंधित दवाओं को बिना बिल के लाते थे और उन्हें छोटे-छोटे तस्करों के जरिए सप्लाई करते थे। जिन दवाओं का उपयोग जीवनरक्षक के रूप में होना चाहिए, उनका सेवन नशेड़ी अपने नशे की लत पूरी करने के लिए करते हैं। कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं, जिसमें बेटा चारपाई पर पड़ा जीवन की आखिरी सांस ले रहा है और मां अफीम व हेरोइन की खेप पहुंचा रही है।

नशे की लत ने बना दिया एचआईवी पीडि़त

यह जानकर हैरानी होगी कि करीब तीन सौ नशेड़ी ऐसे मिले हैं जिन्हें एचआईवी है। यह खुलासा नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करवाने पहुंचने वाले नशेडिय़ों के टेस्ट के दौरान मिली रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों ने किया है। एचआईवी पीडि़त नशेडिय़ों का कहना है कि वह यह नहीं जानते कि उन्हें यह रोग कहां से लग गया। वैसे डॉक्टरों का मानना है कि एक ही सीरिंज से नशे का डोज लेने की वजह से ऐसा हुआ होगा। इस बात की पुष्टिï नशेड़ी भी करते हैं कि कई बार ग्रुप में बैठकर एक ही सीरिंज कई लोग नशे के टीके लगाते थे और इसका इस्तेमाल एक बार नहीं बल्कि कई-कई बार करते थे। यही नहीं तरनतारन जिले के नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया कि उसका अपना करोबार था। शहर के नामी कारोबारियों में उसकी गिनती होती थी। शौक-शौक में शुरू किया गया नशा उसके लिए नासूर बन गया और सब कुछ बिक गया। यहंा तक कि वह एचआईवी पीडि़त हो गया और उसका 22 साल का बेटा भी हेरोइन लेने का आदी हो गया है।

यह नहीं एक मामला ऐसा भी सामने आया जिसमें नशे की पूॢत के लिए एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को देह व्यापार के धंधे में धकेल दिया। यहंा तक कि इसका विरोध करने पर अपने पिता को घर से निकाल दिया जो इस समय किसी गुरुद्वारे में रह रहा है। यही नहीं कई पुलिस कॢमयों का नशा करने वाला वीडियो भी वायरल हो चुका है। ऐसे में अब कैप्टन सरकार को दो-दो मोर्चों पर लडऩा होगा। एक नशा व दूसरा एचआईवी से।

बिना नशे वाला दूल्हा मिलना मुश्किल

एक रिपोर्ट के मुताबिक अब पंजाब में हालात इतने खराब हो गए हैं कि यहंा के 70 प्रतिशत से अधिक युवा नशेड़ी हो गए हैं। यह नशा अफीम, भुक्की, हेरोइन, चरस या दवाओं वाला कुछ भी हो सकता है। शराब को इसमें शामिल नहीं गया है। जानकारों का कहना है कि यदि शराब को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 90 प्रतिशत के पास पहुंच जाएगा। इसकी वजह से पंजाब की जवानी खोखला हो चुकी है। हालत यह है कि यदि कोई चाहे कि वह अपनी बेटी की शादी किसी ऐसे लडक़े से करना चाहता है जो नशा न करता हो तो ऐसा हो पाना काफी मुश्किल काम है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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