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Presidential elections India: द्रौपदी मुर्मू हो सकती हैं देश की नयी राष्ट्रपति

Presidential elections India: RSS ने सबसे अधिक काम आदिवासियों में किया है। मुर्मू को राष्ट्रपति बना कर संघ अपने अब तक आदिवासियों के लिए किये गये काम पर मुहर लगवाने में भी कामयाब हो जायेगा।

Yogesh Mishra
Published on: 11 Jun 2022 10:18 PM IST (Updated on: 11 Jun 2022 7:00 PM IST)
Draupadi Murmu could be Indias New President
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Draupadi Murmu with PM Modi (Photo credit: Social Media)

Presidential elections India: यूँ तों नरेंद्र मोदी व अमित शाह को पूरी तरह डी कोड करना बेहद मुश्किल है। लेकिन अगर इनके ट्रेंड व काम करने के तरीक़े को देखा समझा जाये तो यह तथ्य हाथ लगता है कि द्रौपदी मुर्मू (draupadi murmu) देश की नई राष्ट्रपति (New President of India) हो सकती है। इसकी कई वजहें शीशे की तरह एक दम साफ़ हैं। एक, रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को जब राष्ट्रपति बनाया गया था तब वह भी राज्यपाल ही थे।

कोविंद का रिश्ता भाजपा के अनुसूचित प्रकोष्ठ से था। जबकि द्रौपदी मुर्मू का रिश्ता भाजपा के आदिवासी मोर्चे से है। दूसरे, कोविंद भाजपा की ओर से पहले दलित राष्ट्रपति बने। जबकि मुर्मू भाजपा की ओर से पहली आदिवासी राष्ट्रपति होने का गौरव हासिल कर सकती है। मुर्मू को राष्ट्रपति बना कर भाजपा महिला को राष्ट्रपति बनाने का दावा सच साबित कर सकती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सबसे अधिक काम आदिवासियों में किया है। मुर्मू को राष्ट्रपति बना कर संघ अपने अब तक आदिवासियों के लिए किये गये काम पर मुहर लगवाने में भी कामयाब हो जायेगा।

जानियें द्रौपदी मुर्मू के बारे में

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा (Odisha) में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था और उनका विवाह श्याम चरम मुर्मू से हुआ था। वह ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। दंपति के दो बेटे और एक बेटी थी। द्रौपदी मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा हुआ है। उनके पति और दो बेटों असमय मृत्यु को प्राप्त हो गए।

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में की थी और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। उसी वर्ष मुर्मू भाजपा की ओडिशा इकाई के अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनीं।

राजनीति में आने से पहले, मुर्मू ने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया था।

मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष (BJP District President) के रूप में भी कार्य किया। वह ओडिशा में दो बार भाजपा की विधायक रही हैं और नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय ओडिशा में बीजू जनता दल और भाजपा की गठबंधन सरकार चल रही थी। ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई 16, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।

साल 2007 में उन्हें ओडिशा विधान सभा (Odisha Assembly) का सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया और नीलकंठ पुरस्कार (Neelkanth Award) से सम्मानित किया गया। द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। मुर्मू भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकी हैं।

वह झारखंड (Jharkhand) की पहली महिला राज्यपाल (Governor) भी रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल थीं। वह वर्ष 2000 में झारखण्ड के गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल थीं। वह देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल थीं।



Rakesh Mishra

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