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झारखंड : राज्यपाल द्रौपदी ने विवादित भूमि संशोधन विधेयक लौटाए
रांची : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दो अधिनियमों में संशोधन से संबंधित विवादास्पद संशोधन विधेयक रविवार को लौटा दिए। ये उनकी मंजूरी के लिए उनके कार्यालय भेजे गए थे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल ने एक प्रश्न के साथ संशोधन विधेयक लौटाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार से पूछा है कि 'यह संशोधन विधेयक किस प्रकार जनजातीय लोगों के लिए लाभदायक होगा?'
झारखंड सरकार ने बीते वर्ष नवंबर में विधनसभा से पारित होने के बाद दो अधिनियमों- छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए उनके पास भेजे थे।
भाजपा सरकार विधानसभा में विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच इन संशोधनों को ध्वनिमत से पारित करने में कामयाब रही थी। विपक्ष के नाराज विधायकों ने संशोधनों का विरोध करते हुए विधेयक को सदन के पटल पर रखे जाने के दौरान विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार भी किया था।
विपक्षी दलों के अलावा सत्तारूढ़ दल की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भी उक्त अधिनियमों में संशोधन का विरोध किया है। यहां तक कि कुछ भाजपा विधायक और पार्टी के लोकसभा सदस्य भी अधिनियमों में बदलाव के खिलाफ हैं।
राज्यपाल ने विधेयकों को बीते साल नवंबर से अपने पास रोके रखा। विपक्षी दलों, कार्डिनल टेलीस्फोर टोप्पो तथा दूसरे जनजातीय नेताओं ने राज्यपाल से अलग से मुलाकात कर संशोधन विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया था।
इन संशोधनों के प्रभावी होने के बाद कृषि भूमि का इस्तेमाल गैर-कृषि कार्यो के लिए किया जा सकेगा। संशोधनों में प्रस्तावित है कि राज्य सरकार विकास कार्यो, बुनियादी ढांचे तथा अन्य ऐसे ही कार्यो के लिए भूमि का अधिग्रहण कर सकेगी।
इस बीच, रघुबर दास की सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।