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Asmi Pistol: पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल 'अस्मी', दूर तक दुश्मन को मार गिराने में सक्षम, सबसे सस्ती
Asmi Pistol: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI को विकसित किया है।
Asmi Pistol: पहले लोग बंदूक और राइफल रखना शान की बात समझते थे। लेकिन अब लोगों को छोटे हथियार रास आ रहे हैं। इन सब के बीच क्या आपको इस बात की जानकारी है कि देश की पहली स्वदेशी पिस्टल किसने और कब बनाई है।
आइए जानते है इससे संबंधित खास जानकारियां
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI को विकसित किया है। डीआरडीओ द्वारा भारतीय सेना (Indian Army) की मदद से इस पिस्टल को तैयार किया गया है। इस पिस्टल को डिफेंस फोर्सेस की 9 एमएम पिस्टल की जगह इस्तेमाल में लाया जा सकता है। उम्मीद है कि इसे भारतीय सेना जल्द ही इसे अपने आर्म सेक्शन में शामिल करेगी।
फायर रेंज हैं करीब 100 मीटर
मिली जानकारियों अनुसार इस पिस्टल की फायर रेंज करीब 100 मीटर तक है। इसे इजराइल की यूजी सीरीज की गन की तर्ज पर तैयार किया गया है। सेना द्वारा दिखाई गई प्रोटोटाइप पिस्टल से 300 से ज्यादा राउंड फायर किए जा चुके हैं, जिसे पिछले साल ही पूरी तरह तैयार किया गया है।
कहां हो सकता है इसका इस्तेमाल
सशस्त्र बलों में हेवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों ड्राइवर/डिस्पैच राइडरों, रेडियो/राडार ऑपरेटरों, नजदीकी लड़ाई, चरमपंथ विरोधी तथा आतंकवाद रोधी कार्रवाई में व्यक्तिगत हथियार के रूप में इसकी क्षमता काफी अधिक है। इसका इस्तेमाल केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र बलों में विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर और साथ ही उग्रवाद तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में इस्तेमाल के लिए भी यह पिस्तौल दमदार साबित होगी।
क्या है इस पिस्तौल की लागत और मूल्य
प्रत्येक मशीन पिस्तौल को बनाने में खर्च 50 हजार रुपये से कम की लागत आती है और इसके निर्यात की संभावना भी है। इस स्वदेशी पिस्तौल का नाम 'अस्मी' रखा गया है। जिसका अर्थ गर्व, आत्म सम्मान एवं कठिन परिश्रम है। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को ध्यान में रखते हुए यह कदम आत्मनिर्भरता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा और सेना तथा अर्धसैनिक बलों में इसे शामिल किया जाएगा। स्वदेशी हिमतापक हीटिंग डिवाइस का भी किया निर्माण
हिमतापक हीटिंग डिवाइस
बता दें कि इससे पहले DRDO ने जवानों के लिए स्वदेशी हिमतापक हीटिंग डिवाइस भी तैयार की थी। इस डिवाइस के जरिए सेना का बंकर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी गर्म रहेगा। आर्मी ने DRDO को 420 करोड़ रुपए का ऑर्डर भी दे दिया है।