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Kisan Andolan: ड्रीमलैंड बना पंजाब में विरोध प्रदर्शन का नया ठिकाना

Kisan Andolan: पंजाब के संगरूर में स्थित ड्रीमलैंड के बाहर जो कुछ घट रहा है वह किसी भयानक सपने से कम नहीं है। दरअसल पंजाब के संगरूर में ड्रीमलैंड नाम की एक प्राइवेट कॉलोनी है जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का भी निजी मकान है।

Neel Mani Lal
Published on: 2 Aug 2022 9:26 AM GMT
Kisan Andolan in Panjab
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पंजाब के सीएम के कॉलोनी के बाहर प्रर्दशन करते किसान (साभार सोशल मीडिया)

Kisan Andolan Panjab: ड्रीमलैंड यानी सपनों की भूमि। लेकिन पंजाब के संगरूर में स्थित ड्रीमलैंड के बाहर जो कुछ घट रहा है वह किसी भयानक सपने से कम नहीं है। दरअसल पंजाब के संगरूर में ड्रीमलैंड नाम की एक प्राइवेट कॉलोनी है जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का भी निजी मकान है। इसी वजह से ये ड्रीमलैंड इन दिनों फोकस में बना हुआ है। 15 जुलाई की शाम को गुरजीत सिंह नामक एक प्रदर्शनकारी ने 'ड्रीमलैंड' के मुख्य द्वार के बाहर कीटनाशक पी लिया था, आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया और उसे बचा लिया गया। लेकिन उसी शाम, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने ड्रीमलैंड के पास बिजली सप्लाई में करेंट दौड़ते तार को छूने की कोशिश की, लेकिन किस्मत से उस समय बिजली की सप्लाई बंद थी।

उस प्रदर्शनकारी ने तब अपनी पगड़ी से एक पेड़ की डाली से लटकने की भी कोशिश की, लेकिन उसके दोस्तों ने बीच में आकर उसे बचा लिया। 16 जुलाई की दोपहर को, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने उसी क्षेत्र में कुछ जहरीला पदार्थ खा लिया और उसे पटियाला के राजिंद्र मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वह भी बच गया। इस तरह 24 घंटे में तीन लोगों ने उस कॉलोनी के बाहर आत्महत्या करने की कोशिश की है। जब जून में संगरूर में उपचुनाव का प्रचार चल रहा था तब छह महिला प्रदर्शनकारी भी कॉलोनी के पास पानी की टंकी पर चढ़ गई थीं। वैसे, मुख्यमंत्री इन दिनों इस घर में कम ही आते हैं।

ड्रीमलैंड कॉलोनी के बाहर करीब 150 प्रदर्शनकारी 8 मई से बैठे हुए हैं। ये वे लोग हैं जो पंजाब पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी के लिए 2016-17 में लिखित परीक्षा के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण भी पास किया था, लेकिन उन्हें प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया था। उनका दावा है कि उन्हें पिछली कांग्रेस सरकार और बाद में आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान नौकरी देने का वादा किया था। शिक्षा विभाग में शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक (पीटीआई) की नौकरी चाहने वाले बेरोजगार लोग भी नियमित आधार पर ड्रीमलैंड कॉलोनी के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हैं।

24 जुलाई को उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे 2011 से नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा कुल 646 नौकरियों का विज्ञापन किया गया था। लेकिन उन्होंने मेरिट लिस्ट घोषित करने के बजाय शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दी। जबकि नौकरी विज्ञापन प्रकाशित होने से पहले टीईटी की शर्त नहीं थी। आप नेताओं ने सत्ता में आने के तुरंत बाद नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन कुछ नहीं किया गया।

इसी तरह, पटियाला के राजिंद्र मेडिकल कॉलेज में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान वार्ड में नौकरी पर रखी गईं 150 से अधिक नर्सें भी इस कॉलोनी के गेट के बाहर 4 मई से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं। उन्हें कोरोना की दूसरी लहर के दौरान काम से हटा दिया गया था। नौकरी की मांग कर रहे अधिक उम्र के बेरोजगार संघ भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हैं। ड्रीमलैंड सोसायटी के बाहर विरोध के दृश्य आम होते जा रहे हैं। कॉलोनी के मुख्य द्वार के पास बैरियर लगाए गए हैं, जहां मान की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी हमेशा मौके पर मौजूद रहते हैं। जिस गली में सीएम का घर है, वह सुरक्षाकर्मियों से भरी पड़ी है।

क्षेत्र में आसपास के किसान बताते हैं कि पुलिस व स्वास्थ्य विभाग में नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगारों ने कॉलोनी के मेन गेट के बाहर अपना टेंट लगा रखा है। एक टेंट में किसान संघ का झंडा लगा हुआ है और इस यूनियन ने उन्हें बारिश होने पर उपयोग के लिए दो ट्रैक्टर ट्रॉलियां भी उपलब्ध कराई हैं। ज्यादातर प्रदर्शन कारी सुबह आते हैं और शाम को वापस चले जाते हैं। ये लोग अपना खाना साथ लेकर आते हैं। जो रात भर रुकते हैं वे लंगर के लिए पास के गुरुद्वारे जाते हैं। धरना स्थल के पास प्लास्टिक की एक बड़ी पानी की टंकी रखी गई है। महिला प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्हें सुरक्षा केबिन के पास ड्रीमलैंड कॉलोनी के भीतर शौचालय का उपयोग करने की अनुमति है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का अपना पैतृक घर सुनाम निर्वाचन क्षेत्र के सतोज गाँव में है। हालांकि 2019 में दूसरी बार सांसद बनने के बाद वह ड्रीमलैंड कॉलोनी में रहते थे। लेकिन अब वह यहां कभी-कभार ही आते हैं। लेकिन चूंकि यह उनका घर भी है, इसलिए विरोध करने वाले जमा रहते हैं। 'पक्का' धरने का यह चलन किसान आंदोलन के बाद शुरू हुआ और अब सीएम के घर के बाहर धरना देना भी एक नई चीज हैशिक्षा विभाग में नौकरी की तलाश कर रहे।

ओवरएज बेरोजगार यूनियन के अध्यक्ष रमन कुमार मान का अपना पैतृक घर सुनाम निर्वाचन क्षेत्र के सतोज गाँव में है। हालांकि 2019 में दूसरी बार सांसद बनने के बाद वह ड्रीमलैंड कॉलोनी में रहते थे। आजकल वह यहां कभी-कभार ही आते हैं। लेकिन चूंकि यह उनका घर भी है, इसलिए यहां विरोध करने वाले जमा होते हैं। पक्का यानी स्थाई धरने का यह चलन किसान आंदोलन के बाद शुरू हुआ और अब सीएम के घर के बाहर धरना देना भी एक नया ट्रेंड बना हुआ है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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