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भारत में पहली बार ड्रोन नीति तय, अब मजे से उड़ाइए ड्रोन

seema
Published on: 31 Aug 2018 9:24 AM GMT
भारत में पहली बार ड्रोन नीति तय, अब मजे से उड़ाइए ड्रोन
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भारत में पहली बार ड्रोन नीति तय, अब मजे से उड़ाइए ड्रोन

नयी दिल्ली: भारत में पहली बार ड्रोन नीति तय की गयी है। ड्रोन संबंधी नियम 1 दिसंबर २०१८ से लागू होंगे। अभी ड्रोन्स नियामक 1.0 घोषित किया गया है साथ ही नागर विमानन महानिदेशालय ने ड्रोन नियामक 2.0 पर भी काम करना शुरू कर दिया है। केंद्रीय विमानन मंत्रालय द्वारा जारी ड्रोन नीति में फिलहाल सिर्फ दिन में ड्रोन उड़ाने, ४५० मीटर की दूरी तक की पहुंच और ६० फुट की उंचाई की सीमा तय की गई है। ड्रोन का खेतों में इस्तेमाल किया जा सकेगा लेकिन शादी-ब्याह समारोह में फोटोग्राफी के लिए ड्रोन इस्तेमाल करने से 24 घंटे पहले स्थानीय थाने को जानकारी देनी होगी। रात में इसके इस्तेमाल के लिए डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी। सरकार ने फिलहाल होम डिलिवरी के लिए ड्रोन उड़ाने की इजाजत नहीं दी है। इसके पीछे कारण है कि ड्रोन का पायलट की आंखों से ओझल होने की मंजूरी नहीं मिली है। सरकार इसे पहले पायलट प्रोजेक्ट की तरह लागू करना चाहती है।

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क्या है ड्रोन?

डीजीसीए ने ड्रोन को एक मानव रहित विमान के रूप में परिभाषित किया है जिसे दूरी पर खड़े होकर चलाया जा सकता है। नीति में कहा गया है कि ड्रोन के पायलट स्टेशन, कमांड और कंट्रोल लिंक और अन्य घटक पायलट एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) बनाते हैं। इसके अलावा, सिविल एविएशन के अनुसार (नियम 15 ए और नियम 133 ए के तहत) सभी ड्रोन को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन), मानव रहित विमान ऑपरेटर परमिट की आवश्यकता होगी और अन्य ऑपरेशनल आवश्यकताओं का पालन भी करना होगा।

ड्रोन की पांच कैटेगरी

नैनो : 250 ग्राम से कम या बराबर

माइक्रो : 250 ग्राम से 2 किलो तक

स्माल :2 किलो से 25 किलो तक

मीडियम: 25 किलो से 150 किलो तक

लार्ज : 150 किलो से बड़ा

(नैनो ड्रोन को उड़ाने के लिए सरकार की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। लेकिन स्मॉल, मीडियम एवं लार्ज ड्रोन के पायलट को सरकारी ऐप पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा)

ऑपरेटर परमिट

अनियंत्रित एयरस्पेस / परिसर में 50 फीट (15 मीटर) से नीचे नैनो ड्रोन चलाने के लिए किसी की इजाजत की आवश्यकता नहीं होगी।

अनियंत्रित एयरस्पेस / परिसर में 200 फीट (60 मीटर) से नीचे माइक्रो ड्रोन उड़ाने के लिए 24 घंटे पहले स्थानीय पुलिस को सूचित करना होगा।

एनपीआरओ, एआरसी और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा स्वामित्व और संचालित ड्रोन स्थानीय पुलिस को सूचित करने के बाद ही इस्तेमाल कर सकते हैं।

ड्रोन पायलट

सभी दस्तावेज पूरे होने पर डीजीसीए सात दिन के भीतर ड्रोन पायलट लाइसेंस जारी करेगा। यह लाइसेंस पांच साल के लिए मान्य होगा और किसी और के नाम पर ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। लाइसेंस सिर्फ 18 वर्ष से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति को मिलेगा। अंग्रेजी में 10 वीं परीक्षा उत्तीर्ण होना और डीजीसीए से प्रशिक्षण लेना जरूरी है। कोई भी पायलट किसी भी समय एक से अधिक ड्रोन संचालित नहीं कर सकता है। ड्रोन से किसी भी तरह के नुकसान को कवर करने के लिए एक बीमा करवाना अनिवार्य होगा।

फीस

यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर : 1,000 रुपये फीस

परमिट : 25,000 रुपये की फीस

परमिट रिन्यू : 10,000 रुपये की फीस

कुछ जगहों पर प्रतिबंध

  • ड्रोन को मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में हवाई अड्डे की परिधि के 5 किमी के भीतर और किसी भी अन्य हवाई अड्डे के परिधि से 3 किमी के भीतर नहीं उड़ाया जा सकता है।
  • ड्रोन स्थायी या अस्थायी निषिद्ध, प्रतिबंधित और खतरे वाले क्षेत्रों के भीतर और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 25 किमी के भीतर नहीं जा सकता है। इसमें एलओसी, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और वास्तविक ग्राउंड पोजिशन लाइन (एजीपीएल) शामिल है।
  • यह 500 मीटर से अधिक समुद्र तट से समुद्र में और सैन्य प्रतिष्ठानों के परिधि से 3 किमी के भीतर उड़ नहीं सकता है।

    दिल्ली में विजय चौक के 5 किमी के भीतर भी नहीं जा सकता है।

  • रणनीतिक स्थानों / गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और राज्य सचिवालय परिसरों से 3 किमी के भीतर महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से 2 किमी के भीतर नहीं उड़ सकता है।
  • इसे मोबाइल प्लेटफार्म जैसे ऑपरेटिंग वाहन, जहाज या विमान से भी संचालित नहीं किया जा सकता है।

    राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्य के आसपास पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र में पूर्व अनुमति के बिना नहीं उड़ाया जा सकेगा।

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय इसके लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म नामक मोबाइल ऐप लाएगा। ऐप के जरिए ही ड्रोन के लिए अप्लाई करना होगा। ऐप से ही पता चल जाएगा कि इजाजत मिली है या नहीं।

    नैनो या मिनी ड्रोन

    ये छोटे ड्रोन की कैटेगरी है जिसे उड़ाने के लिए किसी। ऐसे कुछ ड्रोन तो इतने छोटे होते हैं कि हथेली में समा जाएं। नैनों ड्रोन का वजन 250 ग्राम या उससे भी कम होता है। ऐसे ड्रोन ही दुनिया भर में सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं और सबसे ज्यादा इन्हीं का उत्पादन किया जाता है। आमतौर पर इन ड्रोनों में कैमरा फिट रहता है। नैनो ड्रोन अधिकतम 35मीटर तक उड़ सकता है लेकिन ये ब्रांड पर भी निर्भर करता है। नैनो ड्रोन बहुत महंगे नहीं होते और 1500 रुपए तक में आसानी से मिल जाते हैं। कई खिलौना हेलीकॉप्टर भी नैनो ड्रोन जैसा काम करते हैं। बाजार में सबसे मशहूर ड्रोन ब्रांड है 'डीजेआई टेलो' जो करीब12हजार रुपए में मिलता है।

माइक्रो ड्रोन

माइक्रो ड्रोन 250 ग्राम से 2किलो तक के होते हैं और आमतौर पर इनका इस्तेमाल मल्टीमीडिया कामों के लिए किया जाता है। ये ड्रोन 200मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं। इनको उड़ाने के लिए रजिस्ट्रेशन और लोकल पुलिस थाने से २४ घंटे पहले इजाजत लेना जरूरी है।

छोटे ड्रोन

इस कैटेगरी के ड्रोन भारी वजन उठा सकने में सक्षम होते हैं। ज्यादातर प्रोफेशन फिल्म निर्माता ऐसे ड्रोन का प्रयोग करते हैं। एक छोटा ड्रोन 400 फुट तक उड़ सकता है। 'डीजेआई फैंटम 4 प्रो 'मैविक प्रो मॉडल एक लाख रुपए से ज्यादा में आते हैं। 'पैरेट बीबॉप 2 या 'शियोमी एमआई मॉडल 50 हजार तक में भी उपलब्ध हैं।

मीडियम ड्रोन

इस आकार के ड्रोन 25 से 150 किलो तक के होते हैं और आमतौर पर सरकारी या डिफेंस कार्यों में इनका इस्तेमाल किया जाता है।

बड़े ड्रोन

ऐसे ड्रोन हवाई जहाज के आकार के होते हैं। इनका इस्तेमाल जासूसी या राकेट-बम मिराने के लिये किया जाता है।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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