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Drug Business In India: अरबों रुपये का है भारत में ड्रग्स का धंधा, जो पकड़ में आता है वह तो सुई की नोक है
Drug Business In India: ड्रग्स का धंधा पूरी दुनिया में फैला है और भारत की भौगोलिक स्थिति उसकी सप्लाई में अहम भूमिका निभाती है।
Drug Trade In India: फिल्मस्टार शक्ति कपूर के बेटे सिद्धांत (Filmstar Shakti Kapoor's son Siddhant) की ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के चलते ड्रग्स का कारोबार फिर चर्चा में आ गया है। इसके पहले शाहरुख खान एक बेटे आर्यन (Shahrukh Khan has a son Aryan) का मामला खूब सुर्ख़ियों में रहा था। बहरहाल, दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी नशीली चीजों और ड्रग्स का कारोबार (drug trade) काफी फैला हुआ है। शराब, भांग और तम्बाकू उत्पादों जैसी वैधानिक चीजों को छोड़ दें तो बाकी नशीली वस्तुओं का कितना बड़ा बाजार है, इसका अनुमान लगा पाना कठिन है।
फिर भी विभिन्न एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का अनुमान है कि भारत में सिर्फ गांजा और चरस (ganja and charas business in india) का सालाना अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का है। एक और अनुमान ये है कि 2019 में भारत में सभी तरह की ड्रग्स और नशीले पदार्थों का लगभग 350 अरब रुपये का योगदान था।
देश में 90 फीसदी ड्रग कंसाइनमेंट पकड़ा ही नहीं जाता
ड्रग्स का धंधा पूरी दुनिया में फैला है और भारत की भौगोलिक स्थिति उसकी सप्लाई में अहम भूमिका निभाती है। भारत हेरोइन और हशीश का उत्पादन करने वाले देशों के बीच में स्थित है। गोल्डन ट्रायंगल (थाइलैंड –लाओस-म्यांमार) और गोल्डन क्रीसेंट (अफगानिस्तान – पाकिस्तान - ईरान) के कई देशों की सीमाएं भारत से मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देश में 90 फीसदी ड्रग कंसाइनमेंट पकड़ा ही नहीं जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार सालाना लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं नई दिल्ली एम्स की नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट, की वर्ष 2019 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं देश में शराब,अफीम और कैनबिस (गंजा-भांग) का सेवन करती हैं।
अवैध ड्रग्स की वजह से दुनिया भर में लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत
आंकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी (10-75 वर्ष के बीच की) विभिन्न प्रकार के नशे की चपेट में है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2017 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत अवैध ड्रग्स की वजह से हुई। इनमें से लगभग 22000 मौतें भारत में हुईं। गंभीर बात यह है कि देश में पारंपरिक नशे जैसे कि तम्बाकू, शराब, अफीम के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स मेटाफेटामाइन, स्मैक, हिरोइन, आइस, कोकीन, मारिजुआना आदि का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स ऐंड क्राइम कार्यालय ने भी भारत को ड्रग्स के अवैध कारोबार वाले देशों में शामिल किया है। उसने चेताया है कि भारत में ड्रग बेहद आसानी से ऑनलाइन मिल जाती है। संयुक्त राष्ट्र की 2019 की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में इंटरनेट पर ड्रग्स खरीदने का प्रचलन बढ़ रहा है। इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (आइएनसीबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कुछ ऑनलाइन वेंडर ने बताया है कि डार्कनेट प्लेटफॉर्म के जरिए एक हजार से ज्यादा ड्रग्स 50 से ज्यादा ऑनलाइन क्रिप्टो-मार्केट प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए मौजूद हैं। भारत में तेजी से बढ़े क्रिप्टो करेंसी बाजार को भी इसी से जोड़ कर देखा जा सकता है।
ड्रग्स के लिए भारत एक बड़ा जरिया
अमेरिका के ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) के अधिकारियों का कहना है कि दक्षिण एशिया से अमेरिका और यूरोप पहुंचने वाली ड्रग्स के लिए भारत एक बड़ा जरिया बन गया है। उनके अनुसार 90 फीसदी हेरोइन का उत्पादन अफगानिस्तान और पांच फीसदी उत्पादन म्यांमार में होता है। अस्सी के दशक में ईराक - ईरान युद्ध के बाद हेरोइन को यूरोप और अमेरिका पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाला पारंपरिक बाल्कन रास्ता बंद हो गया है। ऐसे में हेरोइन ट्रेड के लिए भारत और पूर्वी अफ्रीका का रास्ता अहम हो गया।
अफगानिस्तान भी ड्रग्स का बड़ा अड्डा है और तालिबान के शासन के तहत इस कारोबार में व्यापकता आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग एंड कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में पूरी दुनिया भर में सप्लाई होने वाले कुल गांजा का 6 प्रतिशत यानी लगभग 300 टन गांजा अकेले भारत में जब्त किया गया था। 2017 में यह मात्रा बढ़कर 353 टन हो गई। वहीं चरस की यदि बात की जाए तो 2017 में 3.2 टन चरस जब्त की गई।