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क्षेत्रीय नेताओं की भावनाओं को महत्व देने के कारण महागठबंधन नहीं हो पाया: गोगोई
छह बार सांसद रहे गोगोई ने भाजपा के इस आरोप का भी खंडन किया कि कांग्रेस एक ‘वंशवादी’ पार्टी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस देश में ‘सबसे लोकतांत्रिक’ पार्टी है।
गुवाहाटी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं असम के तीन बार मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई ने कहा है कि विपक्ष का भाजपा विरोधी ‘महागठबंधन’ इसलिए वांछित आकार नहीं ले पाया क्योंकि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्यों के उन नेताओं की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जो महागठबंधन के पक्ष में नहीं थे।
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छह बार सांसद रहे गोगोई ने भाजपा के इस आरोप का भी खंडन किया कि कांग्रेस एक ‘वंशवादी’ पार्टी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस देश में ‘सबसे लोकतांत्रिक’ पार्टी है।
उन्होंने कहा कि औपचारिक गठबंधन नहीं होने के कारण विपक्षी गठबंधन की तस्वीर अस्पष्ट है, इसके बावजूद भाजपा विरोधी पार्टियां भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को शिकस्त देने के अपने उद्देश्य के लिए एकजुट हैं।
गोगोई ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘राहुल गांधी ने कई बार गठबंधन करना चाहा, लेकिन स्थानीय पार्टी नेताओं ने मना कर दिया। हमारी पार्टी क्षेत्रीय नेतृत्व को महत्व देती है। इसी कारण हम अधिकांश स्थानों पर गठबंधन करने में विफल रहे।’’
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उन्होंने बताया, ‘‘कांग्रेस को अक्सर एक वंशवादी पार्टी करार दिया जाता है, लेकिन यह सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है। राहुल गांधी स्थानीय नेताओं को सुनते और उचित महत्व देते हैं और उनकी भावनाओं को नजरअंदाज नहीं करते।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रस्तावित महागठबंधन के संभावित सहयोगियों के बीच चुनाव पूर्व समझौते से उन्हें अधिक सीट मिल सकने की उम्मीद है, गोगोई ने कहा कि कोई भी निश्चित तरीके से इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता।
असम के नेता इस बात के भी पक्षधर नजर आए कि विजयी रहने वाले गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी निर्णय ले कि सरकार की दिशा क्या होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन के मामले में, सबसे बड़ी पार्टी देश में प्रशासन और शासन की कमान संभाल सकती है। यह भी जरूरी है। सबसे बड़ी पार्टी के पास पर्याप्त संख्या बल होना चाहिए ताकि वह हमेशा गठबंधन पर निर्भर नहीं हो। अन्यथा गठबंधन (उसके छोटे घटक दल) हुक्म चलाएगा और यह देश के लिए अच्छा नहीं है।’’
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पश्चिम बंगाल में 2016 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और माकपा के बीच सीटों पर समझौते का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि वह लाभकारी नहीं था क्योंकि ‘‘कभी-कभी गठबंधन मदद नहीं करता और यह हमारे अपने हित के खिलाफ जाता है’’।
(भाषा)