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झारखंड में ऐसे मना दुर्गा पूजा, न सिंदूर खेला और न ही निकला विसर्जन जुलूस
वर्षों बाद ऐसा हुआ हो कि, रांची के दुर्गाबाटी में बंगाली समुदाय के बीच सिंदूर खेला नहीं हुआ। सरकारी गाइडलाइन को मानते हुए आयोजन समिति ने सिंदूर खेला को सार्वजनिक तौर पर आयोजित नहीं किया।
रांची: दुर्गा पूजा समेत अन्य गतिविधियों को लेकर झारखंड सरकार ने 01 अक्टूबर को नई गाइडलाइन जारी की। नए SOP में पूजा पंडालों के आकार से लेकर मां की मूर्ति की ऊंचाई भी सीमित रखने का निर्देश जारी किया गया। इतना ही नहीं श्रद्धुलाओं को पूजा पंडालों में प्रवेश करने से भी रोका गया। विसर्जन जुलूस को सीमित करने के साथ ही दुर्गाबाटी में सिंदूर खेला भी नहीं हुआ। कुल मिलाकर कहें तो इस बार बार कोरोना ने दुर्गा पूजा का रंग फीका कर दिया लेकिन श्रद्धालुओं की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई।
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दुर्गाबाटी में नहीं हुआ सिंदूर खेला
वर्षों बाद ऐसा हुआ हो कि, रांची के दुर्गाबाटी में बंगाली समुदाय के बीच सिंदूर खेला नहीं हुआ। सरकारी गाइडलाइन को मानते हुए आयोजन समिति ने सिंदूर खेला को सार्वजनिक तौर पर आयोजित नहीं किया। हालांकि, जो श्रद्धालु दुर्गाबाटी पहुंचे उन्हे बाहर से ही वापस कर दिया गया।
jharkhand-matter (Photo by social media)
सुरक्षा घेरे में हुआ मां का विसर्जन
राजधानी समेत अन्य ज़िलों में ज़िला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में मां का विसर्जन किया गया। रांची के बड़ा तालाब से लेकर चडरी और स्वर्णरेखा नदी में विसर्जन किया गया। इस दौरान बेहद सीमित संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही। पुलिस प्रशासन ने सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक विसर्जन जुलूस में लोगों को शामिल होने दिया।
मुख्यमंत्री ने आवास में की पूजापाठ
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में ही परिवार के साथ पूजा-पाठ की। इस दौरान हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के अलाव उनकी माता रूपी सोरेन और परिवार के अन्य लोग शामिल हुए। अपने संदेश में सीएम ने राज्यवासियों के लिए सुख, समृद्धि, शांति और समग्र विकास की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि, दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का महापर्व है। मां दुर्गा हर किसी की मनोकामना को पूरी करती हैं।
jharkhand-matter (Photo by social media)
अब छठ महापर्व की तैयारी
बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों में छठ महापर्व बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रांची समेत अन्य ज़िलों में भी लोग बड़ी संख्या में छटी मय्या को अर्घ्य देते हैं। लिहाज़ा, अभी से ही छठ घाटों की साफ-सफाई का काम शुरू हो गया है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी ज़रूर हुई है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि, अर्घ्य देने से पहले तक छट घाटों को साफ-सुथरा कर लिया जाएगा। दुर्गा पूजा की तरह छठ में भी कोरोना का असर रहने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
शाहनवाज़
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