Haryana Election 2024: दुष्यंत चौटाला के लिए इस बार ‘करो या मरो’ की लड़ाई, विधायकों के साथ छोड़ने से बढ़ गई चुनौती

Haryana Election 2024: 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल करके डिप्टी सीएम की कुर्सी हथियाने वाले दुष्यंत चौटाला भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद अब सियासी वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 25 Sep 2024 5:02 AM GMT
Dushyant Chautala
X

Dushyant Chautala  (photo: social media )

Haryana Election 2024: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा कुछ क्षेत्रीय दलों ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। इंडियन नेशनल लोकदल और दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी हरियाणा में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। दुष्यंत चौटाला के लिए मौजूदा विधानसभा चुनाव ‘करो या मरो’ की लड़ाई माना जा रहा है।

2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल करके डिप्टी सीएम की कुर्सी हथियाने वाले दुष्यंत चौटाला भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद अब सियासी वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले उनके सात साथी विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में दुष्यंत चौटाला अपने साथी विधायकों के साथ ही भाजपा और कांग्रेस को भी अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। वैसे उनके लिए हरियाणा की सियासी जंग आसान नहीं मानी जा रही है।

भाजपा से गठबंधन टूटने पर ताकत दिखाने की चुनौती

2019 के विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद दुष्यंत चौटाला करीब पांच वर्षों तक पूरी तरह ताकतवर बने रहे और भाजपा ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद दिया था। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद इस बार दुष्यंत चौटाला एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इस बार उन्होंने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं और इनमें से 69 सीटों पर जननायक जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। राज्य की 16 सीटों पर आजाद समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

जजजा ने तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी रानियां में रणजीत चौटाला, महम में राधा अहलावत व पूंडरी में सज्जन ढुल का समर्थन कर रही है। इसके बदले में रणजीत चौटाला डबवाली विधानसभा सीट दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला को समर्थन दे रहे हैं।

देवीलाल की विरासत हथियाने की जंग

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इस बार चौटाला परिवार में जबर्दस्त घमासान दिख रहा है। चौटाला कुनबे के सदस्यों में चौधरी देवीलाल की विरासत पर कब्जे की जंग छिड़ी हुई है। ऐसे में जननायक जनता पार्टी के सामने अपना वजूद बचाने के साथ ही देवीलाल की विरासत का उत्तराधिकारी बनने की भी बड़ी चुनौती है। इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होने के बाद दुष्यंत चौटाला ने 2018 में जजपा का गठन किया था।

इनेलो,भाजपा और कांग्रेस के बागियों को टिकट देकर उन्होंने 2019 के चुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। दुष्यंत चौटाला के मजबूत होने से सबसे बड़ा झटका इंडियन नेशनल लोकदल को ही लगा था। 2014 में 19 सीटों पर जीत हासिल करने वाली यह पार्टी 2019 में सिर्फ एक सीट पर सिमट गई थी। इनेलो के सिर्फ अभय चौटाला ही जीत हासिल कर सके थे।

लोकसभा चुनाव में लगा था बड़ा झटका

लोकसभा चुनाव से पहले दुष्यंत चौटाला को उस समय बड़ा झटका लगा था जब उनकी पार्टी जजपा का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव के नतीजे जजपा के लिए बेहद निराशाजनक रहे। पार्टी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे। लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर कांग्रेस और पांच सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। राज्य के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में जजपा प्रत्याशी को बढ़त नहीं मिल सकी थी।

भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत की पार्टी के सात विधायक उनका साथ छोड़ चुके हैं। उनकी पार्टी के तीन बागी विधायक इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं जबकि रामकरण काला को कांग्रेस ने शाहाबाद से चुनाव मैदान में उतारा है। जजपा के झज्जर के जिला अध्यक्ष रह चुके संजय कबलाना भी भाजपा के टिकट पर बेरी सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। साथी विधायकों के साथ छोड़ने से भी दुष्यंत चौटाला की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।

दुष्यंत चौटाला खुद कड़े मुकाबले में फंसे

दुष्यंत चौटाला ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है मगर उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वे खुद अपने ही घर में कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की उचाना कलां विधानसभा सीट से फिर नामांकन दाखिल किया है मगर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है। बृजेंद्र सिंह हिसार से भाजपा के सांसद भी रह चुके हैं। उनके पिता बीरेंद्र सिंह की भी मजबूत सियासी पकड़ मानी जाती रही है।

दुष्यंत चौटाला 2019 के लोकसभा चुनाव में बृजेंद्र सिंह से मिली हार का बदला लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं। 2019 में भाजपा के टिकट पर लड़ने वाले बृजेंद्र सिंह ने हिसार लोकसभा क्षेत्र में दुष्यंत चौटाला को करारी शिकस्त दी थी। बाद में दुष्यंत ने उचाना कलां में बृजेंद्र की मां प्रेमलता को हराकर अपनी हार का बदला लिया था। इस बार दुष्यंत चौटाला और बृजेंद्र आमने-सामने हैं और सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि चुनावी बाजी किसके हाथ रहती है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story