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Dussehra 2022 Date: जानें 4 या 5 अक्टूबर में कब है दशहरा, साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
Dussehra 2022 Date and Time: इस दिन भगवान राम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराकर रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला भी जलाने का रिवाज है।
Dussehra 2022 Date and Time: हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में दशहरा पर्व का विशेष महत्व माना गया है। शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दशहरा पर्व रावण दहन के साथ मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ मनाये जाने वाला ये पर्व अपने आप में बेहद ख़ास महत्त्व रखता है। वैदिक पंचांग के मुताबिक़ प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही दशहरा मनाया जाता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत या कहें बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराकर रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला भी जलाने का रिवाज है। इसके साथ ही इस दिन अस्त्र- शस्त्र की पूजा का का विशेष महत्व बताया गया है। आमतौर इस त्योहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है।
इस साल नवरात्री सोमवार 26 सितंबर से शुरू हो रहा है ऐसे में इस साल दशहरा के डेट 4 या 5 अक्टूबर को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी है।
तो आइये जानते हैं दशहरा की सही तिथि और उसका महत्व…
क्या है दशहरा की सही तिथि और मुहूर्त?
हिन्दू वैदिक पंचांग के मुताबिक़ इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी बुधवार, 05, अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक बनी रहेगी। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उदयातिथि को आधार मानकर दशहरा 05 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इसके साथ ही इस दिन विजय, अमृत काल और दुर्हुमूर्त जैसे शुभ योग भी बनने के कारण ज्योतिष में भी इसका विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इन शुभ योगों में विशेष उपाय करने से अवश्य सिद्ध हो जाता है।
महत्व की विशेषता
हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल की दशमी तिथि को प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर मां सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। बता दें कि विजयदशमी के ठीक 20 दिन बाद ही दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन शस्त्र पूजा के विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन क्षत्रिय लोग विशेष रुप से शस्त्रों की पूजा भी करते हैं। इसके साथ ही दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, तब ही से विजय दशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जा रहा है।
मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन रावण का प्रतीकात्मक पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। कहा जाता है कि रावण दहन करने से व्यक्ति को रोग, शोक, दोष, ग्रहों की विपरीत स्थिति और संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए पौराणिक काल से ही दशहरा के दिन रावण दहन के साथ ही शस्त्रों का भी पूजन किया जाता रहा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक रावण दहन सूर्यास्त के बाद ही किया जाना शुभ होता है।