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Earthquake: लगातार आ रहे बड़े भूकंप - कहीं किसी बड़ी तबाही की आहट तो नहीं?

Earthquake: तुर्की में आज तड़के 7.8 तीव्रता का जबर्दस्त भूकम्प आया है। इसके झटके पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र तक में महसूस किए गए हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 6 Feb 2023 11:06 AM IST
Earthquake
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तुर्की में भूकंप से मची तबाही (Pic: Social Media)

Earthquake: तुर्की में आज तड़के 7.8 तीव्रता का जबर्दस्त भूकम्प आया है। इसके झटके पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र तक में महसूस किए गए हैं। स्थानीय समयानुसार तड़के 4.17 आये इस भूकंप की गहराई 17.9 किलोमीटर थी। भूकम्प से बहुत सी इमारतें ढह गईं है।

लगातार बढ़ रही घटनाएं

इसके पहले पहली फरवरी को दक्षिणी फिलीपींस में 6 स्केल का भूकम्प आया था। और 24 जनवरी को भी फिलीपींस के एक द्वीप में ही बड़ा भूकम्प आया था। नेपाल, अफगानिस्तान और ईरान भी इस साल बड़े भूकंप झेल चुके हैं। भारत में भी पड़ोस के देशों के भूकम्प का असर पड़ा है लेकिन देश में भी भूकम्प की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। हालाँकि जानमाल का बहुत बड़ा नुक्सान नहीं हुआ लेकिन एक आशंका और दहशत बनी हुई है।

150 साल में चार बार तबाही

वैसे, पिछले 150 वर्षों में हिमालयी क्षेत्र में चार बड़े भूकंप दर्ज किए गए, जिनमें 1897 में शिलांग (मेघालय) में, 1905 में कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में, 1934 में बिहार-नेपाल में और 1950 में असम के भूकंप शामिल थे। इसके अलावा 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2015 में नेपाल में एक बड़ा भूकंप आया।

10 साल में 5 हजार झटके

बीते 10 वर्ष में पांच हजार भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, छोटे भूकंप इस लिहाज से अच्छे होते हैं कि उनसे बहुत भूगर्भीय एनर्जी रिलीज हो जाती है और बड़े भूकंप का खतरा टल जाता है। लेकिन घर्षण ज्यादा होने पर बड़े भूकंप की संभावना रहती है। भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र प्राकृतिक रूप से भूकम्प जोखिम वाला क्षेत्र है और यहाँ लगातार जमीन खिसकने की गतिविधियाँ चलती रहती हैं।

बना हुआ है अंदेशा

जिस तरह बीते कुछ समय में लगातार भूकम्पीय गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, उसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किसी बड़े भूकंप का संकेत भी है। सतह से बहुत नीचे लगातार जमा होती ऊर्जा थोड़ा-थोड़ा रिलीज़ होती रहती है लेकिन बड़े पैमाने पर अगर ये ऊर्जा रिलीज़ हुई तो वह विध्वंसकारी भूकंप के रूप में सामने आयेगा। उत्तराखंड स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक बड़े भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है जो बड़े इलाके पर असर डाल सकता है। कानपुर आईआईटी कानपुर के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है।

यह बताना संभव नहीं है कि वैसा भूकंप कब आएगा, लेकिन यह तय है कि ऐसी घटना अवश्य घटेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप से बचाव की ठोस रणनीति बनाने की स्थिति में जानमाल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

उत्तराखंड और हिमाचल

आईआईटी, कानपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कभी भी रिक्टर स्केल पर 7.8 से 8.5 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। उनका कहना है कि खासकर उत्तराखंड के रामनगर इलाके में तीव्र भूकंप का खतरा है। इसी इलाके में ही वर्ष 1803 में तीव्र भूकंप आया था। उसके बाद धरती के नीचे ऊर्जा लगातार एकत्रित हो रही है जिसके रिलीज़ होने पर बड़े पैमाने पर भूकंप आना तय है।

आधा हिस्सा खतरे में

भारत के भूकंपीय क्षेत्र के नक्शे के मुताबिक देश की लगभग 59 प्रतिशत भूमि मध्यम या गंभीर भूकंप के खतरे में है। देश के भूकंपीय जोनिंग मैप के अनुसार भूकंप के खतरे वाले इलाकों को चार भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है। जोन 5 भूकंपीय रूप से सबसे सक्रिय क्षेत्र है, जबकि जोन 2 सबसे कम है। भारत मौजूदा समय में भूकंप के जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए जोन 1 का उपयोग नहीं करता है।

जोन 5 में कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के इलाके शामिल हैं। जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, गंगा के मैदानों के कुछ हिस्से, उत्तरी पंजाब, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई, बिहार का एक बड़ा हिस्सा, उत्तर बंगाल, सुंदरवन और दिल्ली जोन 4 में आती है।

2022 का रिकॉर्ड

परेशान करने वाली बात ये है कि 2022 में अगस्त - सितंबर में दुनियाभर में 6.0 तीव्रता से ज्यादा के 17 भूकंप आये थे। और तबसे लगातार जमीन हिलने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में किसी बड़ी आपदा के आने की आहट का अंदेशा हो गया है।

22.09.22 : 6.8 - मिचोआकन, मेक्सिको - गहराई 24.1 किमी

20.09.22 : 6.0 - उस्त-कामचतस्क स्टारी, रूस - गहराई 10.0 किमी

10.09.22 : 7.6 - अक्विला, मेक्सिको - गहराई - 15.1 किमी

18.09.22 : 6.9 - लुगु, ताइवान - गहराई 10.0 किमी

17.09.22 : 6.5 - ताइवान - गहराई 10.0 किमी

14.09.22 : 7.0 - इसेंजेल, वानुअतु - गहराई 144.9 किमी

11.09.22 : 7.6 - केनंटू, पापुआ न्यू गिनी - गहराई 90.0 किमी

11.09.22 : 6.0 - परियामन, इंडोनेशिया - गहराई 20.0 किमी

10.09.22 : 6.2 - बियाक, इंडोनेशिया - गहराई 17.6 किमी

10.09.22 : 6.2 बियाक, इंडोनेशिया - गहराई 18.0 किमी

05.09.22 : 6.6 - कांगडिंग, चीन - गहराई 12.0 किमी

05.09.22 : 6.2 - दक्षिणी पूर्व प्रशांत सागर - गहराई 10.0 किमी

04.09.22 : 6.9 - सेंट्रल मिड - अटलांटिक रिज- गहराई 10.0 किमी

03.09.22 : 6.1 - कांड्रियन, पापुआ न्यू गिनी - गहराई 126.0 किमी

30..08.22 : 6.3 प्रशांत अंटार्कटिक रिज - गहराई 10.0 किमी

29.08.22 : 6.2 - परियामन, इंडोनेशिया - गहराई 17.0 किमी

23.08.22 : 6.2 - पगार आलम, इंडोनेशिया - गहराई 50.50 किमी।



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Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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