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आसान नहीं अररिया की राह, सरफराज ने जदयू से नाता तोड़ा
शिशिर कुमार सिन्हा
अररिया/पटना: कहने को तो शाहनवाज भी खुद को यहीं का बता जाते हैं। पिछली बार जब भाजपा की सरकार थी और खुद वह भागलपुर के सांसद थे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यहां खैरमकदम करने भी आए थे। लेकिन इस बार माहौल नहीं है। हिस्ट्री भूल जाइए, अभी तो नहीं लगता है ऐसा कुछ। फारबिसगंज में मो. शमशाद की बैठकी पर 15 फरवरी की सुबह भाजपा को लेकर चर्चा छिड़ते ही यह बात निकली। भाजपा के मुस्लिम चेहरा और भागलपुर की सांसदी गंवा चुके सैय्यद शाहनवाज हुसैन को लेकर कहीं पक्ष तो कहीं विपक्ष में बोल निकल रहे, लेकिन अररिया लोकसभा उपचुनाव में इस बार राजद के प्रत्याशी का शायद ही कोई विकल्प निकले। पत्रकार नहीं, आम आदमी की तरह चाय की चुस्की के बीच हालचाल लेने के क्रम में जगह-जगह कई बातें सुनाई पड़ीं, लेकिन तीन बातें हर जगह कॉमन निकलीं।
पहली बात- राजद सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन से उनके परिजनों के प्रति सहानुभूति। दूसरी- राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के जेल चले जाने से मुस्लिम और यादव समुदाय में राजद के प्रति सहानुभूति की लहर। और तीसरी- सांसद पिता मो. तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद पुत्र जदयू विधायक मो. सरफराज आलम की घर (राजद) वापसी। जोकीहाट के एक राजनीतिक परिवार से जुड़े युवा नेता शादाब हुसैन कहते हैं कि अररिया सीट ने पिछली बार ही अपना सांसद बदला था। तब लहर यहां नहीं चली। इस बार दूसरे तरह की लहर है। जिसे बेइज्जत होना होगा, वही यहां राजद के खिलाफ कैंडिडेट उतारेगा।
वैसे आंकड़े तो भाजपा-जदयू के पक्ष में
माहौल और गणित कुछ और है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़े भाजपा और जदयू के पक्ष में हैं। लोकसभा चुनाव में राजद को करीब चार लाख वोट मिले थे और उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी को ढाई लाख से ज्यादा।
जदयू को इस चुनाव में करीब सवा दो लाख वोट मिले थे। भाजपा, जदयू और राजद में ही मुख्य रूप से वोटों का बंटवारा हुआ था और भाजपा-जदयू को मिला दें तो वोटों का अंतर 75 हजार से ज्यादा है। यह आंकड़ा बिहार में सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा के पक्ष में है, लेकिन दोनों ही दल सीधे-सीधे पूरी इच्छा के साथ मैदान में कूदने की तैयारी में नहीं हैं। धर्म और जातिगत समीकरण तथा सामने वाले प्रत्याशी के हिसाब से जदयू के कई मुस्लिम नाम इस सीट पर अपनी दावेदारी चाह रहे हैं, लेकिन वह इस पर कुछ नहीं बोल रहा है। दूसरी तरफ भाजपा भी अभी आलाकमान के निर्देश की बात कह रही है। भाजपा के कई कद्दावर नेता यह संभावना भी जता रहे कि अगर शाहनवाज अपनी ओर से चाहेंगे तो भाजपा उन्हें टिकट देने से नहीं चूकेगी।
भाजपा की लहर में भी भागलपुर की अपनी सीट गंवाने वाले सैय्यद शाहनवाज हुसैन के नाम को लेकर भाजपा ने अभी तक कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन क्षेत्र में उनके नाम की जबरदस्त चर्चा है। इस चर्चा को भाजपा ने फैलाया भी नहीं है। राजद के वोटर वाली सीट देखकर माना जा रहा था कि भाजपा यहां से अपने साथी जदयू को प्रत्याशी उतारने का मौका दे, लेकिन जोकीहाट के जदयू विधायक और मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम ने उपचुनाव की सुगबुगाहट के साथ जदयू से नाता तोड़ते हुए बयान दे दिया कि जदयू उनके पिता की सीट पर अपनी ओर से प्रत्याशी नहीं उतारकर भाजपा को सीट देने की तैयारी में था।
उन्होंने सैय्यद शाहनवाज हुसैन का नाम भी सामने कर दिया, जिसके कारण जदयू से उनके इस्तीफे को भी जायज मानने वालों की ठीकठाक संख्या हो गई। सरफराज ने अररिया से राजद का टिकट पक्का मानते हुए साफ-साफ कहा कि पिता मो. तस्लीमुद्दीन के अनुयायियों और मां की इच्छा के कारण उन्होंने जदयू से नाता तोड़ा है। उन्होंने अररिया में अपने पिता के छोड़े गए कार्यों को पूरा करने का आश्वासन देना शुरू कर दिया है और यह संदेश बहुत तेजी से पूरे संसदीय क्षेत्र में फैल भी गया है।
सात बार की सीट छोड़ने को तैयार हुई कांग्रेस
अररिया लोकसभा और जहानाबाद व भभुआ विधानसभा सीटों के लिए 11 मार्च को वोटिंग होनी है। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही महागठबंधन में रार ठन गई थी। कांग्रेस जहां सात बार की विजेता रहने के आधार पर अररिया सीट को लेकर भी चाहत जता चुकी थी, वहीं राजद खुले तौर पर अपनी सीट छोड़ने से मना कर चुका था। मामला एक तरफ जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तो दूसरी तरफ कांग्रेस आलाकमान की अदालत में पहुंचा और आखिरकार फैसला हुआ कि भभुआ सीट पर कांग्रेस भाग्य आजमाएगी, जबकि अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद विधानसभा सीट पर राजद अपने प्रत्याशी उतारेगी।
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने ‘अपना भारत’ से विशेष बातचीत में कहा कि उपचुनाव में माहौल बदला हुआ है। जदयू अब गठबंधन में नहीं है। ऐसे में कार्यकर्ताओं के बीच सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की चर्चा में कुछ अस्वाभाविक नहीं था, लेकिन आलाकमान का निर्णय ही अंतिम और मान्य होता है। हमें उम्मीद थी कि महागठबंधन धर्म के तहत कांग्रेस को एक सीट पर मौका जरूर मिलेगा। राजद के शीर्ष नेतृत्व ने भभुआ सीट कांग्रेस को दी है और महागठबंधन का हर कार्यकर्ता इस सीट को हासिल करने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में खड़ा होगा। कांग्रेस के कार्यकर्ता अररिया और जहानाबाद में राजद प्रत्याशी के समर्थन में पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं। किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं है और विरोधियों को खुशफहमी पालने की जरूरत भी नहीं।