×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

आर्थिक मंदी से ऐसे निपटे मोदी सरकार, IMF प्रमुख गीता गापीनाथ ने दिया सुझाव

पीएम नरेंद्र मोदी सरकार मौजूदा आर्थिक हालात से निपटने की कोशिशें कर रही है लेकिन सफल नहीं रही और इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा कि अगर छोटी अवधि में सरकार पब्लिक स्पेंडिंग बढ़ाने पर जोर देती है तो  इसके लिए सरकार को रेवेन्यू  बढ़ाने के साधनों के बारे में विचार करना होगा

suman
Published on: 20 Dec 2019 8:52 PM IST
आर्थिक मंदी से ऐसे निपटे मोदी सरकार, IMF प्रमुख गीता गापीनाथ ने दिया सुझाव
X

नई दिल्ली आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जनवरी में भारत की वृद्धि के अपने अनुमान में कमी कर सकता है। कई अन्य विश्लेषक भी इससे पहले भारत की वृद्धि के अनुमान में कमी की बात कह चुके हैं।पीएम नरेंद्र मोदी सरकार मौजूदा आर्थिक हालात से निपटने की कोशिशें कर रही है लेकिन सफल नहीं रही और इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा कि अगर छोटी अवधि में सरकार पब्लिक स्पेंडिंग बढ़ाने पर जोर देती है तो इसके लिए सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने के साधनों के बारे में विचार करना होगा ताकि उच्च पब्लिक स्पेंडिंग को लेकर संतुलन साधा जा सके। गीता गोपीनाथ ने यह बात फिक्की के सालाना कनवेंशन में कही।

उन्होंने कहा, भारत में उपभोक्ता मांग और निजी क्षेत्र के निवेश में आई कमी तथा कमजोर पड़ता निर्यात कारोबार जीडीपी वृद्धि में आई सुस्ती के लिये जिम्मेदार बताये जा रहे हैं।गोपीनाथ ने कहा,-सबसे पहले तो ये कि राजकोषीय घाटे को लेकर जब हम बात करते हैं तो हमें इसे मध्यावधि लक्ष्य के रूप में ही देखना चाहिए। कुछ ऐसा, जिसे एक अवधि में पूरा किया जा सके। न कि इसे रातों-रात पूरा कर लिया जाएगा। दूसरी बात ये है कि जब हम बात करते हैं कि हमें खर्च बढ़ाना है तो जरूरी नहीं कि ये हमारे लिए परेशानी ही होगी। सवाल ये है कि क्या इसे रेवेन्यू के हिसाब तय किया जा रहा है या नहीं।'

यह पढ़ें...NRC: सुलझ गई गुत्थी, यहां जानें किसे माना जायेगा भारत का नागरिक

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संतुलन बनाने के लिए सरकार नए रेवेन्यू स्ट्रीम्स के बारे में विचार करना चाहिए ताकि पब्लिक स्पेंडिंग को बढ़ाया जा सके। भारत के लिए मैक्रोइकोनॉमिक और फिस्कल स्तर पर स्थिरता रखना महत्वूपर्ण है। उन्होंने कहा, 'राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अंदर रखना जरूरी है. इसमें रेवेन्यू बढ़ाने के साथ-साथ खर्च को भी देखना होगा। मौजूदा सरकार ने हाल के महीनों में आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वहीं, आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती किया है।

बता दें सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 4.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ी है जोकि मार्च 2013 के बाद से न्यूनतम स्तर है। इसी माह जारी किए गए ऑफिशियल आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर माह में कमजोर आउटपुट की वजह से औद्योगिक सेक्टर प्रभावित हुआ है। हालां​कि, पिछले माह की तुलना में यह काफी कम रहा। चिंता की बात ये है कि कार, एयर कंडीशनर जैसे कंज्यूरम गुड्स का उत्पादन अक्टूबर माह में 18 फीसदी तक घटा है। इसमें लगातार 5वें महीने में भी गिरावट देखने को मिली है।

यह पढ़ें...NRC: सुलझ गई गुत्थी, यहां जानें किसे माना जायेगा भारत का नागरिक



\
suman

suman

Next Story