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ED action: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED का एक्शन, प्रतिबंधित PFI के 3 सदस्य गिरफ्तार
ED action: ईडी ने तीनों लोगों पर पीएफआई कैडर को हथियारों का प्रशिक्षण देने और इसके लिए प्रतिबंधित संगठन से पर्याप्त धन प्राप्त करने का आरोप लगाया है।
ED action: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में शनिवार को PFI के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई केंद्रीय जांच एजेंसी ने पीएमएलए (PMLA) के तहत की है। PFI को सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। PFI का गठन साल 2006 में केरल में हुआ था। इसका मुख्यालय दिल्ली में था।
धन प्राप्त करने का आरोप लगाया है
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को जानकारी देते हुए बताया कि अब्दुल खादर पुत्तूर, अंशद बदरुद्दीन और फिरोज नामक तीन लोग PFI के लिए फिजिकल ट्रेनर के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन तीनों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है। तीनों आरोपी सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद शनिवार को राजधानी दिल्ली की एक विशेष अदालत में पेश किया गया। एजेंसी ने तीनों लोगों पर PFI कैडर को हथियारों का प्रशिक्षण देने और इसके लिए प्रतिबंधित संगठन से पर्याप्त धन प्राप्त करने का आरोप लगाया है।
पीएफआई को आतंकवादी गतिविधियों के साथ कथित संबंधों को लेकर सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। पीएफआई का गठन साल 2006 में केरल में हुआ था। इसका मुख्यालय दिल्ली में था।
सबसे पहले क्या है PFI?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बनाया गया था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। पीएफआई की कई शाखाएं भी हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।
फंड कैसे मिलता है?
पिछले साल फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PFI और इसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के पांच सदस्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की थी। ED की जांच में पता चला था कि PFI का राष्ट्रीय महासचिव के ए रऊफ गल्फ देशों में बिजनेस डील की आड़ में पीएफआई के लिए फंड इकट्ठा करता था। ये पैसे अलग-अलग तरीके से पीएफआई और CFI से जुड़े लोगों तक पहुंचाए गए।
जांच एजेंसी के मुताबिक लगभग 1.36 करोड़ रुपये की रकम आपराधिक तरीकों से प्राप्त की गई। इसका एक हिस्सा भारत में पीएफआई और सीएफआई की अवैध गतिविधियों के संचालन में खर्च किया गया। सीएए के खिलाफ होने प्रदर्शन, दिल्ली में 2020 में हुए दंगों में भी इस पैसे के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। पीएफआई द्वारा 2013 के बाद पैसे ट्रांसफर और कैश डिपॉजिट करने की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि भारत में पीएफआई तक हवाला के जरिए पैसा आता है।
इस संगठन पर क्या आरोप हैं?
PFI एक कट्टरपंथी संगठन है। 2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के कथित रूप से हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है। एनआईए ने पीएफआई पर हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं यह संगठन युवाओं को कट्टर बनाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी उकसाता है।