हाल ए शिक्षा व्यवस्था: आठ बार फेल हुए गुरुजी

raghvendra
Published on: 10 Aug 2018 8:07 AM GMT
हाल ए शिक्षा व्यवस्था: आठ बार फेल हुए गुरुजी
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रायपुर: शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सारे नियमों को शिथिल कर देने के बाद भी शिक्षकों को प्रशिक्षित कर पाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है। छत्तीसगढ़ के उदाहरण से इसे आसानी से समझा जा सकता है। छत्तीसगढ़ का हाल यह है कि छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल से डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) करने वाले 500 से अधिक गुरुजी आठ बार परीक्षा देने के बाद भी पास नहीं हो पाए। इससे समझा जा सकता है कि केन्द्र व राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद क्यों कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

नियमों को कर दिया शिथिल

इन शिक्षकों को 2013, 2014 , 2015, 2016 और 2017 तक करीब पांच साल तक डीएड पास करने का मौका दिया गया मगर वे सफल नहीं हो पाए। सरकार ने इन शिक्षकों को शिक्षाकर्मी से नियमित शिक्षक तो बना दिया, लेकिन उन अभिभावकों का चिंतित होना लाजमी है जिनके बच्चों को ये शिक्षक पढ़ाएंगे। इन गुरुओं को परीक्षा पास कराने के लिए सरकार कितना बेचैन थी, इसे इसी से समझा जा सकता है कि सरकार ने नियमों को तोडऩे से भी परहेज नहीं किया।

दरअसल नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के मापदंडों के अनुसार डीएड में परीक्षा देने के लिए अधिकतम 6 अवसर ही दिए जा सकते हैं। इसी नियम के आधार पर माशिसं ने 2016 ने करीब तीन हजार शिक्षकों को डीएड की परीक्षा में सातवीं बार बैठने का अवसर देने से इनकार कर दिया। तब राज्य सरकार आगे आई और सरकार के हस्तक्षेप के बाद शिक्षकों को दो अवसर और दे दिए गए। पांच सौ से अधिक शिक्षक इसका भी लाभ नहीं उठा सके और परीक्षा पास करने में नाकामयाब रहे।

परीक्षा पास करना जरूरी

एनसीटीई के नियमों के अनुसार इन शिक्षकों के लिए परीक्षा पास करना जरूरी है। नियम के मुताबिक सितम्बर 2010 के बाद ऐसे सेवारत शिक्षक जो टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं, उन्हें टीईटी पास करना है। इसके साथ ही जो शिक्षक प्रशिक्षित नहीं हैं उन्हें मार्च 2019 तक प्रशिक्षित होना है। एनसीटीई ने 2012-13 में करीब 40 हजार शिक्षकों को डीएड करने के लिए अनुमति दी थी। इन्हीं में से 500 से अधिक शिक्षक ऐसे हैं जो आठ बार में भी अभी तक परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं।

राज्य सरकार इन शिक्षकों को लेकर अजीब मुसीबत में फंसी हुई है। इस बाबत स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि लगातार फेल होने वाले इन शिक्षकों के लिए क्या किया जाए, राज्य शासन जल्द ही इस पर विचार करेगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने संविलियन के दौरान नियमों में जमकर शिथिलता बरती है। जबकि पहले इसे लेकर विभाग का रुख काफी कड़ा था। कई अप्रशिक्षित शिक्षकों का भी संविलियन कर लिया गया है। पहले ऐसे शिक्षकों की वेतनवृद्धि पर ही रोक लगा दी थी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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