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Eid-ul-Adha 2023: माह-ए-जिलहिज्ज का दिखा चांद, 29 जून को मनाई जाएगी बकरीद...फिरंगी महली ये बोले
Eid-ul-Adha 2023: लखनऊ में मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि, 'माह-ए-जिलहिज्ज का चांद दिख गया है। 29 जून को बकरीद मनाई जाएगी।'
Eid-ul-Adha 2023: देशभर में 29 जून को बकरीद (Bakrid or Qurbani Eid) मनाई जाएगी। राजधानी लखनऊ में मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली (Maulana Khalid Rasheed Firangi Mahali) ने सोमवार (19 जून) को कहा, 'माह ए जिलहिज्ज का चांद दिख गया है। बकरीद 29 जून को मनाई जाएगी। भारत (Eid-ul-Adha 2023 in India), पाकिस्तान (Pakistan), ऑस्ट्रेलिया (Australia), न्यूजीलैंड (New Zealand) सहित अन्य देशों में जिलहिज्ज का चांद का दिखना, इस्लामिक महीने माह ए जिलहिज्ज की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है।'
आपको बता दें, ये इस्लामी कैलेंडर (Islamic Calendar) का बारहवां और अंतिम महीना है। दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ये महीना खास महत्व रखता है। क्योंकि, ये वही महीना है जिसमें मक्का की हज यात्रा (The Hajj to Mecca) होती है। इस महीने के 10वें दिन ईद-अल-अजहा (Eid-ul-Adha) यानी बकरीद होती है। सऊदी अरब (Saudi Arab) समेत खाड़ी के देशों में रविवार को ही ईद-अल-अजहा का चांद नजर आ गया था। खाड़ी देशों (Gulf Countries) में बकरीद 28 जून, 2023 को मनाई जाएगी।
बकरीद: कुर्बानी का त्योहार
मुस्लिम धर्म (Muslim Religion) में बकरीद बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे कुर्बानी का त्योहार कहा जाता है। इस्लाम (Islam) में बकरीद पर 'अल्लाह' के नाम पर कुर्बानी दी जाती है। मुसलमान भाई इस दिन नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं। रमजान (Ramadan) के पवित्र महीने के दो महीने बाद बकरीद मनाया जाता है।
जानें क्यों मनाते हैं बकरीद?
इस्लामिक मान्यता (Islamic Beliefs) के अनुसार, हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल (Story of Prophet Ismail) को इसी दिन खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। तब अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दिया। इसी की याद में ये त्योहार मनाया जाता है। पूरी दुनिया के मुस्लिम इस महीने में ही सऊदी अरब के मक्का में जमा होकर 'हज' मनाते हैं। बकरीद के मौके पर गरीबों का खास ख्याल रखा जाता है। बकरीद (Eid-ul-Adha 2023) पर दी गई कुर्बानी के तीन हिस्से किए जाते हैं। इसमें से एक हिस्सा अपने लिए और शेष दो हिस्से अपने करीबियों और गरीबों तथा जरूरतमंदों को दिए जाते हैं।