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Oath Ceremony: जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद आज बनेगी चुनी हुई सरकार, उमर दूसरी बार लेंगे शपथ
Jammu-Kashmir: सूत्रों की माने तो उमर अब्दुल्ला के मंत्रिपरिषद में उनके समेत कुल 10 सदस्य होंगे। इनमें सकीना इत्तू, सैफुल्लाह मीर, अब्दुल रहीम राथर, अली मोहम्मद सागर, सुरिंदर सिंह, अजय सधोत्रा, पीरजादा मोहम्मद सैयद और कुछ निर्दलीय शामिल हैं।
Oath Ceremony: जम्मू कश्मीर में दस साल बाद फिर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार बनने जा रही है। शपथ ग्रहण की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की जीत हुई। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अब्दुल्ला आज शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह डल झील के किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में होगा।
सूत्रों की मानें तो उमर अब्दुल्ला के मंत्रिपरिषद में उन्हें लेकर कुल 10 सदस्य होंगे। इनमें सकीना इत्तू, सैफुल्लाह मीर, अब्दुल रहीम राथर, अली मोहम्मद सागर, सुरिंदर सिंह, अजय सधोत्रा, पीरजादा मोहम्मद सैयद और कुछ निर्दलीय शामिल हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सुबह 11ः30 बजे मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए इंडिया गठबंधन के घटकों को निमंत्रण भेजे गए हैं। एलजी ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष को केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। यह आमंत्रण केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के एक दिन बाद भेजा गया। एलजी के प्रमुख सचिव ने उमर अब्दुल्ला को पत्र सौंपकर शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय के बारे में बताया।
सर्वसम्मति से नेता चुना गया था
बीते गुरुवार को उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे मुख्यमंत्री के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल के लिए रास्ता तैयार हो गया। उमर का पहला कार्यकाल 2009 से 2014 तक था जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था, तब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार थी। हाल ही में हुए चुनावों में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों में से नेकां ने 42 तो कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं हैं। चुनाव के पहले ही दोनों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। दोनों को मिलाकर विधानसभा में 48 सीटें हैं जो बहुमत से दो अधिक हैं।
बता दें कि पांच सदस्यों को उप राज्यपाल द्वारा अलग से नामित किया जाना है। पांच निर्वाचित निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी (आप) के एकमात्र निर्वाचित विधायक के समर्थन से उमर अब्दुल्ला की ताकत और बढ़ गई।