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हरियाणा: अब नहीं रहा चुनाव में बाबाओं का दखल

raghvendra
Published on: 28 Aug 2023 11:49 AM GMT
हरियाणा: अब नहीं रहा चुनाव में बाबाओं का दखल
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चंडीगढ़: हरियाणा में बाबाओं का खेल खूब चला करता था। लाखों अनुयायियों को दम पर ये बाबा राज्य के राजनीतिक सिस्टम में घुले मिले रहते थे। चुनावों के पहले इन बाबाओं का आशीर्वाद लेने के लिए सभी दलों के नेता इनके पैरों पर गिरते थे। खास कर विधान सभा चुनावों में ये बाबा नतीजों को प्रभावित करने की कूवत रखते थे।

ये सब अब पहले जैसा नहीं रहा। डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम सिंह और संत रामपाल के जेल पहुंचने के बाद इन दोनों पावरफुुल धर्म गुरुओं का राजनीतिक रसूख और इनकी लोकप्रियता अर्श से फर्श पर आ गई है। २०१४ में इसी देरा सच्चा सौदा के बारे में कहा जाता था कि इसने राज्य में भाजपा सरकार बनवाने में प्रमुख भूमिका अदा की थी।

भाजपा को इस चुनाव में ९० में से ४७ सीटें मिली थीं। वैसे डेरा का दबदबा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है तभी कांग्रेस, भाजपा, इनेलो समेत कोई भी राजनीतिक दल डेरा के खिलाफ बोलने से कतराते हैं। राम रहीम ने हाल में जब जमानत की अर्जी दी तो इस बारे में भी सबने चुप्पी साधे रखी। हरियाणा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास और निरंकारी मिशन का भी खासा प्रभाव है। इनके अलावा कई धर्मगुरु हैं जिनका स्थानीय स्तर पर प्रभाव रहता है।

हाल रामपाल का

सतलोक आश्रम नाम से एक डेरा चलाने वाले धर्म गुरु रामपाल की लोकप्रियता भी हत्या के मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद से बहुत नीचे आ गई है। २०१५ में रामपाल के सतलोक आश्रम पर छह दिन तक उसके अनुयायियों और सुरक्षा बलों के बीच टकराव चला था जिसमें ६ लोगों की मौत भी हुई थी। इस लोकसभा चुनाव के दौरान डेरा ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी डेरा ने कांग्रेस को ही समर्थन दिया था।

सिरसा का डेरा

डेरा सच्चा सौदा का हेडक्वार्टर हरियाणा के सिरसा जिले में है। अपने आपको नॉन-प्रॉफिट धार्मिक संगठन कहने वाले डेरा सच्चा सौदा की स्थापना १९४८ में हुई थी लेकिन इसके सितारे ९० के दशक में राम रहीम द्वारा बागडोर संभालने के बाद चमके।

राम रहीम की अगुवाई में डेरा का साम्राज्य पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में फैला। माना जाता है कि एक समय में डेरा के अनुयायियों की तादाद ६ करोड़ से ज्यादा थी। इसके के बल पर राम रहीम पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ इलाकों में चुनाव प्रभावित करने की क्षमता रखता था।

डेरा सच्चा सौदा में राजनीतिक मामलों को देखने के लिए एक 15 सदस्यों की कमेटी है। चुनाव में किस राजनीतिक पार्टी को समर्थन देना है, इसका फैसला यह कमेटी ही करती है।

कमेटी के एक सदस्य जोगिंदर सिंह ने बताया कि पूरे राज्य में संगत के जरिए लोगों की राय ली जा रही है। लोग जिस पार्टी के पक्ष में राय देंगे उसी को समर्थन देने का ऐलान करेंगे। अगर हम चुनाव के एक दिन पहले भी ऐलान करेंगे तो यह हमारे अनुयायियों को निर्देश देने के लिए काफी होगा। २०१४ में राम रहीम ने चुनाव से एक दिन पहले ही एलान किया था।

डेरा बालक पुरी

डेरा बाबा श्री बालक पुरी के बालक करण पुरी ने बताया कि वह अपने अनुयायियों को किसी खास पार्टी के पक्ष में वोट देने के लिए नहीं कहते। उनके डेरा का पंजाबी समुदाय में अच्छा प्रभाव माना जाता है और यहां ज्यादातर भाजपा के नेता आते हैं।

गोकरण धाम

रोहतक में गोकरण धाम नाम का एक और डेरा है, जिसका रोहतक, गोहना और इसके सटे इलाकों में रहने वाले पंजाबी समुदाय पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। डेरे के मुखिया बाबा कपिल पुरी को कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा का समर्थक माना जाता है। हालांकि इस चुनाव में उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का संकेत दिया है।

करोड़पतियों का बोलबाला

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में करोड़पति प्रत्याशियों का बोलबाला है। चुनाव में खड़े हुए 481 प्रत्याशी करोड़पति हैं। नामांकनों का विश्लेषण करने वाली संस्था एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार जजपा के सोहना से उम्मीदवार रोहतास सिंह सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। वह 335 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के मालिक हैं। नारनौल से चुनाव लड़ रहे कैप्टन अभिमन्यु 170 करोड़ की प्रॉपर्टी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। गुडग़ांव से कांग्रेस के उम्मीदवार सुखबीर कटारिया ने अपनी सम्पत्ति 106 करोड़ रुपए बताई है। एयर हॉस्टेज खुदकुशी मामले से चर्चा में आए गोपाल कांडा 95 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के मालिक हैं। साथ ही उन पर 78 करोड़ रुपए का कर्ज भी है। सालाना आय के मामले में भाजपा के गढ़ी सांपला किलोई से प्रत्याशी सतीश नांदल सबसे आगे हैं। वह अकेले सालाना 4 करोड़ तो उनका पूरा परिवार कुल 6 करोड़ रुपए की कमाई कर रहा है।

आपराधिक रिकॉर्ड वाले 117 नेता

पिछले चुनाव में आपराधिक छवि के उम्मीदवारों की संख्या 94 थी तो इस बार 117 उम्मीदवारों ने हलफनामे में खुद पर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। रिपोर्ट के अनुसार 70 ऐसे उम्मीदवार भी मैदान में हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें कांग्रेस पहले नंबर पर है। कांग्रेस ने 22 ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि बीजेपी ने चार ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है। वहीं बसपा ने 21, जजपा ने 16 और इनेलो ने 12 आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेताओं को टिकट दिये हैं।

25 प्रत्याशी अनपढ़

शिक्षा की बात करें तो २५ प्रत्याशी अनपढ़ हैं, १९ साक्षर, ४२ पांचवीं पास, २२९ दसवीं पास, २३० १२वीं पास, २०० ग्रेजुएट, १३६ पीजी, १५ डॉक्टर हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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