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अपराधियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक के पक्ष में चुनाव आयोग, SC को दिया हलफनामा
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह आपराधिक चरित्र वाले व्यक्तियों पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगाने और न्यायपालिका और कार्यपालिका में उनके प्रवेश को रोकने के पक्ष में है। कहा, कि वह सरकारी कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों और न्यायपालिका से जुड़े सदस्यों के आपराधिक मामलों का फैसला करने के लिए विशेष अदालतें बनाने के भी पक्ष में है।
आयोग ने ये बातें एक जनहित याचिका पर अपने जवाब के लिए दायर हलफनामे में कहा है। आयोग ने कहा, 'याचिकाकर्ता की ओर से उठाए गए मुद्दे गलत नहीं हैं।'
'यह मुद्दा कानूनी दायरे में आता है'
बता दें कि यह जनहित याचिका दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दी थी। विधायकों के लिए न्यूनतम योग्यता और अधिकतम आयु सीमा तय करने से जुड़ी मांग पर आयोग ने कहा, कि 'यह मुद्दा कानूनी दायरे में आता है और इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा।'
वैधानिक ढांचे के तहत उठाया मुद्दा
चुनाव आयोग का कहना था कि वह राजनीति के अपराधीकरण के मुद्दे को संवैधानिक और वैधानिक ढांचे के तहत उठा रहा है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर आयोग के कार्यों और शक्तियों से जुड़े आर्टिकल- 324 की भी मदद ली जा रही है। आयोग ने ये भी बताया कि उसने निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने और लोकतंत्र से अपराधीकरण को दूर करने के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किए हैं।
पहले भी दी जा चुकी हैं कई याचिकाएं
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपराधियों पर चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके न्यायपालिका और कार्यपालिका में प्रवेश को रोकने से जुड़ी एक याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए सरकार और चुनाव आयोग को 3 मार्च को अंतिम मौका दिया था। इससे पहले भी अदालतों में अपराधियों को चुनाव से दूर करने की मांग को लेकर कुछ याचिकाएं दी गई थीं। कुछ गैर सरकारी संगठन भी इस मांग को लेकर अभियान चलाते रहे हैं।