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Maharashtra Politics: चुनाव आयोग ने शरद पवार खेमे को दिया नोटिस, अजित गुट ने असली NCP के दावे पर दी थी याचिका
Maharashtra Politics: अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग में एनसीपी और चुनाव चिन्ह पर दावा करने संबंधी याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद EC ने शरद पवार खेमे को नोटिस जारी किया है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र का प्रमुख दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में सियासी घमासान तेज है। अजित पवार गुट और शरद पवार खेमे में शह-मात का खेल जारी है। NCP का सियासी संग्राम अब चुनाव आयोग (Election Commission) के दरवाजे तक जा पहुंचा है। इसी मामले में चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को नोटिस जारी किया है।
बता दें, अजित पवार खेमे ने 30 जून को इलेक्शन कमीशन को सूचित किया था कि पार्टी की ओर से एनसीपी का अध्यक्ष बदल दिया गया है। अजित पवार पार्टी के नए अध्यक्ष हैं। अजित खेमे ने ये भी दावा किया था कि असली NCP वही हैं। लिहाजा, अजित गुट ने चुनाव आयोग में एनसीपी और चुनाव चिह्न पर दावा करने संबंधी याचिका दाखिल की थी।
EC को दिए हलफनामे में ये कहा
आपको बता दें कि, अजित पवार के नेतृत्व वाले खेमे ने पिछले दिनों चुनाव आयोग (EC) को एक हलफनामा दिया था। इलेक्शन कमीशन को बताया गया था कि उन्हें 30 जून को एनसीपी के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर वाले प्रस्ताव के माध्यम से पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है। इस प्रस्ताव पर विधायी और संगठनात्मक (Legislative and Organizational) दोनों विंग के सदस्यों के दस्तखत थे। ये भी कहा गया था कि, प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने रहेंगे।
शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने अजित
महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी के टूटने को बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। पिछले महीने अटकलों-कयासबाजियों के बाद एनसीपी नेता अजित पवार महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde Govt.) में शामिल हो गए। अजित पवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई। अजित पवार, छगन भुजबल समेत पार्टी के 8 विधायकों को 02 जुलाई को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
आसान नहीं हैं राहें
दरअसल, अजित पवार गुट द्वारा एनसीपी के चुनाव चिह्न (NCP Symbol) पर कब्जा कर पाना इतना आसान नहीं होगा। नियम के अनुसार, दोनों खेमे को खुद को असली NCP साबित करने के लिए पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों तथा सांसदों का बहुमत हासिल करना जरूरी होगा। जिसे बड़ी संख्या में विधायकों का समर्थन हासिल होगा पार्टी पर उसका दावा मजबूत होगा। आयोग सांसदों, पदाधिकारियों के समर्थन को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला लेगा।