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Election Commission की बड़ी कार्रवाई : 86 पार्टियां सूची से बाहर, 253 दलों को किया निष्क्रिय घोषित
253 राजनीतिक दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया गया है। क्योंकि, उन्होंने उन्हें दिए गए पत्र/नोटिस का जवाब नहीं दिया है।न ही किसी राज्य की आम सभा या 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े।
Election Commission News : भारतीय चुनाव आयोग ने फर्जी राजनीतिक पार्टियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 86 राजनीतिक पार्टियों को सूची से बाहर कर दिया है तथा 253 दलों को निष्क्रिय करार दिया है। सूची से बाहर की गई पार्टियां चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। आयोग ने पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा उचित अनुपालन गाइडलाइन लागू करने के बाद 25 मई को शुरू की गई कार्रवाई को जारी रखते हुए, कल 86 राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया और 253 को निष्क्रिय घोषित कर दिया। इस तरह से आयोग ने 353 राजनीतिक दलों के खिलाफ ये कार्रवाई की है।
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, आरपी अधिनियम की धारा 29 ए के तहत वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार, प्रत्येक राजनीतिक दल को बिना किसी देरी के अपने नाम, प्रधान कार्यालय, पदाधिकारियों, पते, पैन में किसी भी बदलाव के बारे में आयोग को सूचित करना होगा।
संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन के बाद या संबंधित आरयूपीपी के पंजीकृत पते पर डाक प्राधिकरण से भेजे गए पत्रों/नोटिस की रिपोर्ट के आधार पर 86 राजनीतिक दलों के न के बराबर पाए गए हैं। आपको बता दें, कि इससे पहले चुनाव आयोग ने 25 मई, 2022 और 20 जून, 2022 के आदेशों के तहत 87 राजनीतिक दलों और 111 राजनीतिक दलों को डीलिस्ट किया था, इस प्रकार डी-लिस्टेड राजनीतिक दलों की कुल संख्या 284 हो गई थी।
भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, 253 राजनीतिक दलों द्वारा गाइडलाइन के गैर अनुपालन के खिलाफ यह निर्णय सात राज्यों बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। आयोग के मुताबिक इन 253 राजनीतिक दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया गया है, क्योंकि उन्होंने उन्हें दिए गए पत्र / नोटिस का जवाब नहीं दिया है और न ही किसी राज्य की आम सभा या 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक भी चुनाव लड़ा है।
बयान में कहा गया है कि 2015 के बाद से 16 से अधिक अनुपालन चरणों के लिए वैधानिक आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहने पर इन्हें डिफ़ॉल्टर माना गया है। यह भी गौरतलब है कि उपरोक्त 253 दलों में से 66 दलों ने वास्तव में प्रतीक आदेश 1968 के पैरा 10बी के अनुसार एक समान प्रतीक के लिए आवेदन किया था और संबंधित चुनाव नहीं लड़ा था।