×

क्या इसबार EVM के माथे से मिटेगा कलंक, लगता तो नहीं है

5 राज्यों में चल रही मतगणना के बीच जहां जीत हार की खबरें आ रहीं हैं। वहीं ईवीएम फिर एक बार चर्चा में आ गई है, क्योंकि जब से बीजेपी केंद्र सहित कई राज्यों में सत्ता में आई तभी से ईवीएम भी विरोधियों के निशाने पर थी।

Rishi
Published on: 11 Dec 2018 3:50 PM IST
क्या इसबार EVM के माथे से मिटेगा कलंक, लगता तो नहीं है
X

नई दिल्ली : 5 राज्यों में चल रही मतगणना के बीच जहां जीत हार की खबरें आ रहीं हैं। वहीं ईवीएम फिर एक बार चर्चा में आ गई है, क्योंकि जब से बीजेपी केंद्र सहित कई राज्यों में सत्ता में आई तभी से ईवीएम भी विरोधियों के निशाने पर थी। लेकिन आज जिस तरह बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस बहुमत के नजदीक पहुंची उससे ईवीएम पर विपक्ष को विश्वास करना ही चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि लोकसभा चुनावों में बहुत कम समय बचा है और यदि बीजेपी के हाथ में ईवीएम का रिमोट कंट्रोल होता तो वो कभी भी इन राज्यों में हार का मुहं न देखती क्योंकि ये चुनाव लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल से कम नहीं हैं।

ये भी देखें :मध्यप्रदेश में सपा कांग्रेस को देगी समर्थन: राम गोपाल यादव

यहां एक बात और भी मजबूती से सामने आती है वो ये कि विपक्ष जिस तरह महागठबंधन का सपना देख रहा था उसे अब मजबूती मिलेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के सर्वमान्य नेता बनकर उभरने वाले हैं। यूपी में भले ही सपा-बसपा कांग्रेस से दूरी बना रही हो लेकिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को संयुक्त विपक्ष की बैठक में शामिल होकर कांग्रेस के साथ आने के संकेत दे दिए थे।

ये भी देखें :Assembly Election Results 2018 live: मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर

शाम 6 बजे ये साबित हो जाएगा कि राहुल देश के नए सर्वमान्य नेता हैं और कांग्रेस मुकाबले में वापस आ चुकी है। इसके बाद बीजेपी को अपनी रणनीति बदल कर ही लोकसभा चुनाव में उतरना होगा। इसके साथ ही ये भी पता चलेगा कि बागियों ने अपने दलों को कितना नुकसान पहुंचाया। लेकिन इन सबके बीच एक बार ईवीएम की चर्चा होनी जरुरी है क्योंकि कल तक भले ही विपक्ष उसे भला बुरा कह रहा हो लेकिन आज वो उसकी चहेती है। ये अलग बात है कि तेलंगाना में कांग्रेस को ईवीएम में खोट नजर आ रहा है, जबकि राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में उसे ईवीएम में कोई कमी महसूस नहीं हो रही। ये विश्वास लोकसभा चुनाव के बाद कायम रहेगा या नहीं ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

ये भी देखें :Chhattisgarh Election: कांग्रेस-64, बीजेपी-16 सीटों पर आगे

ईवीएम पर होते रहे हैं हमले

यूपी में हुए विधानसभा चुनावों के बाद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम पर हमला बोला था। इसके बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कहा, अगर किसी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं तो उसकी जांच कराई जानी चाहिए।

पंजाब विधानसभा के नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे।

ओडिशा कांग्रेस के नेता जेबी पटनायक ने भी राज्य विधानसभा में बीजू जनता दल की जीत की वजह ईवीएम को ठहराया था।

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद कांग्रेस के नेता और असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए थे और कहा था कि बीजेपी की जीत की वजह ईवीएम है।

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी ईवीएम का विरोध करने वालों में शामिल हैं। जबकि बाद में इन्हें बहुमत मिला। लेकिन उस समय इन्होने ईवीएम का विरोध नहीं किया ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पार्टियां अपनी सुविधा के मुताबिक ईवीएम पर हमला करते हैं। उन्हें ये बात समझ में नहीं आती कि उन्हें जनता ने बाहर का रास्ता दिखाया है।

ये भी देखें :कैसा रहेगा 11 दिसंबर, जानने के लिए पढ़े मंगलवार का राशिफल

election shimla

बीजेपी भी कर चुकी है विरोध

2009 में जब बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, तब पार्टी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे। इसके बाद बीजेपी ने ईवीएम मशीन के साथ होने वाली धोखाधड़ी को लेकर जोरदार अभियान भी चलाया था।

विरोध में लिख डाली किताब

बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने एक किताब लिखी नाम था डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?

प्रस्तावना लिखी लाल कृष्ण आडवाणी ने। वोटिंग सिस्टम के एक्सपर्ट स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डेविड डिल ने भी लिखा कि ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित नहीं।

किताब में लिखा गया कि मशीनों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है, भारत में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन इसका अपवाद नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक उम्मीदवार को दिया वोट दूसरे उम्मीदवार को मिल गया है या फिर उम्मीदवारों को वो मत भी मिले हैं जो कभी डाले ही नहीं गए।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2009 के नतीजे के बाद आरोप लगाया था कि 90 ऐसी सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है जो असंभव है। ईवीएम के ज़रिए वोटों का 'होलसेल फ्रॉड' संभव है।

कब हुआ पहला हमला

ईवीएम के प्रयोग पर सबसे पहला सवाल दिल्ली हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील प्राण नाथ लेखी ने 2004 में उठाया था।

आइए जानते हैं सोशल मीडिया में ईवीएम पर क्या चल रहा है...









Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story