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Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने जारी किए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े, अब पता चलेगा किस पार्टी को कितना मिला चंदा
ECI on Election Bond: चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर एसबीआई की तरफ से मिले डाटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
ECI on Electoral Bonds: भारत चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Election Bond News) को लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरफ से मिले डाटा को समय सीमा से एक दिन पहले ही यानी गुरुवार (14 मार्च) को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Bond News) ने सोमवार (11 मार्च) को भारतीय स्टेट बैंक की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें भुनाए गए चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के आवेदन को खारिज कर दिया था।
EC ने एक दिन पहले ही डेटा किया सार्वजानिक
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च को ये डेटा निर्वाचन आयोग को सौंप दिया था। इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े डेटा को 15 मार्च शाम 5 बजे तक सार्वजानिक किया जाना था। हालांकि, चुनाव आयोग ने ये डेटा एक दिन पहले ही यानी 14 मार्च को ही सार्वजनिक कर दिया। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक अलग पोर्टल लिंक भी जारी किया है।
इन कंपनियों के नाम डेटा में शामिल
चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के मुताबिक, चुनावी बांड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज (Grasim Industries) में जो कंपनी शामिल है। उनके नाम इस प्रकार से हैं- मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा आदि शामिल हैं।
कहां मिलेगी लिस्ट?
आपको बता दें, ये डेटा अनलिंक है। अर्थात पोर्टल पर जाकर आपको इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) खरीदने वालों की एक लिस्ट मिलेगी। वहीं, इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाने वाली राजनीतिक पार्टियों की भी लिस्ट अलग-अलग मिलेगी। इनके अनलिंक होने की वजह से ये पता नहीं चल सकता है कि, किस इलेक्टोरल बॉन्ड को किस पार्टी ने भुनाया है।
किन पार्टियों को मिला चंदा?
भारत चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों में जो पार्टियां शामिल हैं उनमें हैं- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), तृणमूल कांग्रेस (TMC), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी को भी चुनावी बांड के जरिए चंदा मिला है। वहीं इनके अलावा चुनावी बांड के जरिए धन प्राप्त करने वालों में भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिव सेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस शामिल हैं।
CJI के नेतृत्व वाली बेंच ने दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की बेंच ने कहा था,'हम भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देते हैं कि वह एसबीआई से जानकारी हासिल कर 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण प्रकाशित करेगा।' बता दें, पांच सदस्यीय बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया था 'असंवैधानिक'
सर्वोच्च न्यायालय ने 15 फरवरी को चुनावी बांड (Electoral Bond) योजना को 'असंवैधानिक' ठहराया था। एसबीआई को मामले का खुलासा करने के आदेश दिए थे। 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आवेदन में स्टेट बैंक ने कहा था कि, चुनावी बांड की डिकोडिंग और दानकर्ता का दान से मिलान करने में समय लगेगा। यह काम 3 हफ्ते की समय-सीमा में पूरा नहीं हो पाएगा।