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इलेक्ट्रिक वाहन: सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को तगड़ा झटका, जानें पूरा मामला

इलेक्ट्रिक वाहन को यूज़ करना प्रदूषण के लिए अच्छा होता है। इस में आम गाड़ियों की तरह धुंआ भी नहीं निकलता है।

Roshni Khan
Published on: 17 Jan 2020 10:59 AM GMT
इलेक्ट्रिक वाहन: सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को तगड़ा झटका, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक वाहन को यूज़ करना प्रदूषण के लिए अच्छा होता है। इस में आम गाड़ियों की तरह धुंआ भी नहीं निकलता है। इसी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक वाहनों, सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

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सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सभी सरकारी गाड़ियां और सार्वजनिक वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियां अपनाई जाए। इससे भी प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। लेकिन सरकार अपनी खुद की नीति को अब तक लागू नहीं कर पाई है।

इस याचिका में वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए सभी सार्वजनिक वाहनों और सरकारी वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की केंद्र की नीति के क्रियान्वयन का निवेदन किया गया है।

केंद्र को नोटिस भेजा

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर यचिका का संज्ञान लेते हुए केंद्र को नोटिस भेजा। सड़क परिवहन मंत्रालय को 04 सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब देना है।

इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की अपनी खुद की नीति का पालन करने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की है।

इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह योजना वायु प्रदूषण पर रोक लगाने और कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए तैयार की गई थी। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों को ठीक से चार्ज करने के लिये बुनियादी सुविधाएं विकसित करने की जरूरत है।

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पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ये बताने के लिए कहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उसने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं। पीठ ने इस याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है।

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