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Electricity Amendment Bill 2022: बिल के विरोध में 8 अगस्त को काम बंद, बिजली कर्मचारी व इंजीनियर करेंगे प्रदर्शन

Electricity Amendment Bill 2022: बिजली के निजीकरण हेतु संसद में रखे जा रहे इलेक्ट्रीसिटी अमेण्डमेंट बिल 2022 के विरोध में बिजली कर्मचारी 08 अगस्त को दिनभर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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Newstrack Network
Published on: 7 Aug 2022 2:58 PM GMT
Electricity Amendment Bill 2022: बिल के विरोध में 8 अगस्त को काम बंद, बिजली कर्मचारी व इंजीनियर करेंगे प्रदर्शन
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Lucknow: केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह द्वारा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 (Electricity Amendment Bill 2022) , 08 अगस्त को लोकसभा में रखे जाने के विरोध में देश के तमाम बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के साथ उत्तर प्रदेश के सभी बिजली कर्मी 08 अगस्त को काम छोड़कर कर दिनभर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसीके इसीके साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है।

समिति ने पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) से मांग करते हुए कहा है कि जल्दबाजी में इस बिल को संसद में न पारित कराया जाए और बिजली उपभोक्ताओं तथा बिजली कर्मचारियों सहित सभी स्टेकहोल्डर्स से विस्तृत चर्चा करने हेतु इस बिल को संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को संदर्भित कर दिया जाए।

बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा

संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पल्लब मुकर्जी ,प्रभात सिंह, गिरीश पाण्डेय, सदरूद्दीन राना, सुहेल आबिद, पी के दीक्षित, शशिकान्त श्रीवास्तव, महेन्द्र राय, मो वसीम, सनाउल्ला, डी के मिश्रा, दीपक चक्रवर्ती, प्रेम नाथ राय, मो इलियास, धर्मेन्द्र, सुनील प्रकाश पाल, विशम्भर सिंह, ए के श्रीवास्तव ,राम सहारे वर्मा, शम्भू रत्न दीक्षित, पी एस बाजपेई तथा जी पी सिंह ने आज यहां बताया कि केन्द्र सरकार संसदीय परम्पराओं का उल्लंघन करते हुए इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022, 08 अगस्त को संसद के चालू सत्र में रखने जा रही है जिससे पूरे देश के बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा है।

उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 का मसौदा 05 अगस्त को लोकसभा के सांसदों को दिया गया है और इस पर केंद्रीय विद्युत् मंत्री आर के सिंह के 02 अगस्त की तारीख में हस्ताक्षर हैं। इससे स्पष्ट है कि इस बिल पर किसी भी स्टेकहोल्डर से राय नहीं माँगी गई है। उन्होंने आगे बताया कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में क़ानून बनाने में केंद्र और राज्य का बराबर का अधिकार है। किन्तु इस बिल पर केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से कमेन्ट नहीं मांगे है और इसे 08 अगस्त को लोकसभा में रख कर पारित कराने की कोशिश है जो संसदीय परम्परा का खुला उल्लंघन है और साथ ही देश के संघीय ढाँचे पर चोट है।

आगमी 10 अगस्त को मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन

संघर्ष समिति द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार 08 अगस्त को सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व अभियन्ता कार्य छोड़कर कार्य स्थल से बाहर आ जायेंगे और दिन भर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके अतिरिक्त आगमी 10 अगस्त को राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजना मुख्यालयों पर अपराह्न 04 बजे से 05 बजे तक विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे।

संघर्ष समिति ने यह आह्वान किया है कि राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजनाओं पर सोमवार 08 अगस्त को सभी बिजली कर्मचारी व अभियन्ता प्रातः 10 बजे एक स्थान पर एकत्र रहेंगे और जनपदों व परियोजनाओं पर पूरे दिन विरोध प्रदर्शन करेंगे | लखनऊ में राणाप्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में लखनऊ और लेसा के सभी कर्मचारी 10 बजे एकत्र होंगे और शक्तिभवन मार्च करेंगे।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 के जरिये केन्द्र सरकार इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने जा रही है जिसके बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं पर दूरगामी प्रतिगामी प्रभाव पड़ने वाले हैं। केन्द्र सरकार ने पिछले वर्ष संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर यह वायदा किया था कि किसानों तथा सभी स्टेक होल्डर्स से विस्तृत वार्ता किये बिना इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 संसद में नहीं रखा जायेगा। केन्द्र सरकार ने बिजली के सबसे बड़े स्टेक होल्डर्स बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से आज तक कोई वार्ता नहीं की है। केन्द्र सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।

बिल में प्राविधान

इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2022 में यह प्राविधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कम्पनियों को लाईसेंस दिया जायेगा। निजी क्षेत्र की नई वितरण कम्पनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का प्रयोग कर बिजली आपूर्ति करेंगी। बिल में यह भी प्राविधान है कि यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लीगेशन अर्थात् सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की बाध्यता केवल सरकारी कम्पनी की होगी और निजी क्षेत्र की कम्पनियां मन मुताबिक केवल मुनाफे वाले औद्योगिक व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देकर मुनाफा कमायेंगी।

नेटवर्क के अनुरक्षण का कार्य सरकारी कम्पनी के पास रहेगा और इसको सुदृढ़ करने व संचालन व अनुरक्षण पर सरकारी कम्पनी को ही पैसा खर्च करना होगा। इस प्रकार निजी कम्पनियां मात्र कुछ व्हीलिंग चार्जेस देकर मुनाफा कमायेंगी। परिणामस्वरूप सरकारी कम्पनियां आर्थिक तौर पर दिवालिया हो जायेंगी।

किसानों को 10 हजार से 12 हजार रूपये प्रतिमाह का बिल देना पड़ेगा

बिल के अनुसार सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी समाप्त की जायेगी जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूल की जा सके। 7.5 हार्स पावर के पम्पिंग सेट को मात्र 06 घण्टे चलाने पर किसानों को 10 हजार से 12 हजार रूपये प्रतिमाह का बिल देना पड़ेगा। यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा। इस प्रकार यह बिल न तो आम जनता के हित में है और न ही कर्मचारियों के हित में है।

Shashi kant gautam

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