TRENDING TAGS :
इंदिरा की इमरजेंसी: आज ही आई थी वह स्याह रात
Emergency: देश के इतिहास में 25 जून की तिथि बहुत अहम है। साल 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए देश में आपातकाल (Emergency) लगा दिया था।
Today History 25 June in Hindi : 47 साल पहले आज ही के दिन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) द्वारा भारत में आपातकाल (Emergency in India) लगाया गया था। ये आज़ाद भारत का सबसे अंधियारा दिन था। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने के लिए आपातकाल (Emergency) लागू रहा। कहने को ये आपातकाल आंतरिक सुरक्षा के लिए लगाया गया था, यानी बहाना हालातों का था। जबकि सच्चाई पूरी तरह पोलिटिकल थी।
आपातकाल को अक्सर भारत के लोकतंत्र के इतिहास में एक काले दौर के रूप में माना जाता है, क्योंकि यह अवधि संविधान के तहत गारंटीशुदा मौलिक अधिकारों के निलंबन, मीडिया पर सरकारी सेंसरशिप और नागरिक स्वतंत्रता पर कार्रवाई के रूप में चिह्नित है। वैसे, भारत 1975 से पहले दो बार आपातकाल की स्थिति में रहा है। लेकिन वह युद्ध का समय था। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी।
आपातकाल है क्या?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 यह कहता है कि यदि देश की सुरक्षा दांव पर है और युद्ध, बाहरी आक्रमण, या आंतरिक अशांति / सशस्त्र विद्रोह से खतरा है तो भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
क्या हुआ था उस रात?
सन 75 में 25 जून की रात को, पीएम गांधी और राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के बीच बातचीत होती और इसके के कुछ घंटों के भीतर, राष्ट्रपति देश में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर देते हैं। बताया जाता है कि राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिशों पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक गड़बड़ी के कारण आपातकाल की घोषणा की है।
आपातकाल की घोषणा होते ही देशभर में कार्रवाई शुरू हो गई और कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। मीडिया का मुंह बंद करने के लिए खास तौर पर दिल्ली में समाचार पत्रों और मीडिया घरानों की बिजली काट दी गई ताकि कोई अखबार न छप सके। उस जमाने में न इंटरनेट था और न सोशल मीडिया। ले देकर रेडियो, अखबार और मात्र सात शहरों में टीवी यानी दूरदर्शन था। बहरहाल, अगली सुबह यानी 26 जून को इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर आपातकाल की घोषणा की।
पृष्ठभूमि
12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी ठहराया था और उन्हें 6 साल के लिए किसी भी सार्वजनिक पद पर रहने से रोक दिया था। कोर्ट ने 1971 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और प्रधानमंत्री के पद पर बनी रहीं।
दूसरी ओर जयप्रकाश नारायण लगातार इंदिरा गांधी को पद से हटाने के लिए विरोध कर रहे थे। जयप्रकाश नारायण ने 1975 से पहले के वर्षों में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने व्यवस्था में सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। उन्होंने देश की सभी समस्याओं के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जिम्मेदार ठहराया था। जेपी ने 25 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने का ऐलान किया हुआ था।
बहरहाल, आपातकाल लग गया। देश भर में अगले कई महीनों में एक लाख से अधिक उन लोगों की गिरफ्तारी हुई जो केंद्र सरकार का विरोध कर रहे थे या आवाज उठा रहे थे। कई विपक्षी नेता और कार्यकर्ता भूमिगत हो गए। उस समय मानवाधिकारों के उल्लंघन की ढेरों घटनाएं हुईं, जिसमें संजय गांधी के नेतृत्व में सामूहिक जबरन नसबंदी अभियान भी शामिल था। आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे विवादास्पद दौरों में से एक है।
आपातकाल हटने के बाद फिर से लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें इंदिरा गांधी हार गईं और आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस के अलावा कोई और पार्टी सत्ता में आई। मार्च 1977 में हुए मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा।