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ऑफिस में तेजी से आगे बढ़ना है तो नये बॉस के साथ तालमेल जरूरी
किसी भी ऑफिस में कर्मचारी के लिए उसका बॉस काफी अहम होता है। जिस तरह नई नौकरी एक चुनौती होती है, उसी तरह वर्कप्लेस पर नया बॉस भी आपके लिए चुनौती साबित हो सकता है। अगर आप वर्कप्लेस पर नए बॉस के साथ तालमेल बैठाकर काम करते हैं तो आपको किसी तरह की परेशानी नहीं आती है और आप तेजी से आगे बढ़ते हैं। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरुरत पड़ती है। जानते हैं कि ऑफिस में नया बॉस आने पर क्या किया जाए ताकि आपको भविष्य में कोई परेशानी न हो और आपका काम अच्छा चलता रहे।
तनाव न पालें
कर्मचारी कभी तय नहीं कर सकते कि वर्कप्लेस पर कब नया बॉस आएगा। यह बात केवल मैनेजमेंट के लोगों को पता होती है। इसलिए आप इस घटना को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं और न ही इससे बच सकते हैं। आपको यह भी पता नहीं होता है कि नया बॉस आने के बाद आपके लिए काम की स्थितियों में सुधार होगा या फिर आप तनाव से घिर जाएंगे।
तीन स्थितियों में आपको नया बॉस मिलता है- आप जॉब बदलते हैं या आपको प्रमोशन मिलता है या आपका मौजूदा बॉस बदल जाता है। अगर आपके नए बॉस के पास एक मैनेजर के रूप में अनुभव नहीं है या वह कंपनी में नया है तो आपका जीवन काफी रोचक हो जाता है। इसलिए दिमाग में एक बात को लेकर चलें कि नए बॉस के साथ तालमेल बिठाकर ही काम करना है।
पुरानी बातों को भुला दें
अक्सर यह होता है कि नए बॉस के आने के बाद कर्मचारी पुराने बॉस से तुलना करते हैं। किसी की किसी के साथ तुलना हमेशा गलत होती है। पुराने बॉस से नए बॉस की तुलना बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए। आपके दिलोदिमाग में पुराने बॉस से जुड़ी जो मेमोरी और अनुभव है, सब डिलीट कर दें। यह बात जान लें कि आपको हर तरह की अपेक्षा और नजरिये से मुक्त होकर नए बॉस से मिलना चाहिए। आपकी बातों से आत्मविश्वास झलकना चाहिए। आपके अंदर जोश दिखना चाहिए। आपको एकदम एक्शन मोड में नजर आना चाहिए। आपके अंदर से पॉजिटिव वाइब्रेशन आने चाहिए।
पूरा सहयोग करें
बॉस के ऑफिस ज्वाइन करते समय केवल कर्मचारियों के मन में ही उत्सुकता नहीं होती है बल्कि यह बात बॉस के मन भी चलती है। इस बात को समझ लें कि आपका बॉस प्रेशर में है। उसे नए ऑफिस में कई लोगों को समझना है। उसे हर प्रक्रिया की बारीकी को जानना है। वह तुरंत परिणाम देना चाहता है। वह हर तरह का सहयोग चाहता है।
क्या आप इस अवसर का इस्तेमाल कर सकते हैं? क्या आप उसके नए सफर को आसान बना सकते हैं? दिल से मदद करने की कोशिश करें। सवाल पूछें कि उसे कहां परेशानी आ रही है। उसे विकल्पों के बारे में जानकारी प्रदान करें। उसे बताएं कि वह शुरुआती दिनों में कैसे रूटीन के कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकता है। ध्यान रखें कि आप ईमानदारी के साथ अपनी राय प्रकट करें। यह भी दिखाएं कि आप असहमत होने पर भी बॉस के निर्णय को सही तरह से क्रियान्वित करते हैं। अगर बॉस के शुरू के दिनों में आपने सहयोग कर दिया तो आपके लिए आगे भी फायदेमंद रहता है। बॉस का विश्वास भी बना रहता है।
आगे बढक़र चर्चा करें
अगर नया बॉस ऑफिस में बैठने लगा है तो उससे मिलने और बात करने का सही समय तय करें। इस अवसर पर खुद का परिचय दें। अपने रोल, जिम्मेदारियों और मौजूदा प्रोजेक्ट्स के बारे में बताएं। बॉस की अपेक्षाओं को समझने का प्रयास करें। पता लगाएं कि भविष्य में किस तरह का संवाद रखना है और फीडबैक प्रोसेस क्या रहेगा। उसकी प्राथमिकता में कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स हैं और उन पर काम करने के तरीके के बारे में बॉस का क्या नजरिया है। अगर खुद ही ऐसा करते हैं तो बॉस का आपके प्रति सकारात्मक रवैया बनेगा।
नये प्रोजेक्ट शेयर करें
बॉस मौजूदा प्रोसेस और प्रोजेक्ट में बदलाव और सुधार करना चाहता है। अगर आप नए बॉस की तुलना पुराने बॉस के साथ करेंगे तो आप नई पहल का विरोध कर सकते हैं। स्वीकार करें कि वर्कप्लेस पर बदलाव होना सहज बात है और इससे आमतौर पर सकारात्मक वातावरण बनता है। बॉस के हर काम का पूरा सपोर्ट करें। इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि हालांकि आपका नया बॉस चीजों को समझने की कोशिश कर रहा है, पर वह आप पर भी पूरी निगाह रखे हुए है। इसलिए यदि आपको लगता है कि कोई प्रोजेक्ट कंपनी के हित में है तो उसे बॉस से शेयर कर सकते हैं।
बॉस की एक्टिविटी पर ध्यान दें
जब भी बॉस ऑफिस आए तो उसकी एक्टिविटी पर ध्यान दें क्योंकि वह भी एक इंसान है। उसकी काम की टाइमिंग क्या है, वह कब लोगों से मिलता है, वह ईमेल का जवाब कब देता है, वह जटिल मुद्दों को कब सुलझाता है, क्या वह तुरंत निर्णय लेता है, क्या उसे नियमित रूप से फीडबैक पसंद है। इस जानकारी से संवाद का तरीका तय होता है। इससे पता लगा सकते हैं कि बॉस आपसे क्या अपेक्षा रखता है। उसके अनुरूप काम करने की कोशिश करें।
अपडेट रहें
जब आप अपने नए बॉस के साथ पहले कुछ दिनों में काम करेंगे तो कई बार चीजें अच्छी तो कुछ फेल होंगी। शुरुआती बातचीत का इस्तेमाल रिकवरी प्रोसेस सेटअप के लिए करें। इसमें फीडबैक और करेक्शन की मदद लें। शुरुआती महीनों में हर 2 या 3 दिनों में संवाद करना एक अच्छा आइडिया है। इस अवधि के दौरान संवाद की अलग-अलग स्टाइल्स के अंतर को समझने का प्रयास करें। इससे आपके बीच में गलतफहमी पैदा नहीं होगी। अगर एक बार आपके लिए बॉस के मन में गलतफहमी बन गई तो आगे भी समस्या हो सकती है। इसलिए अनावश्यक बातों को लेकर बॉस के पास न जाएं।
बॉस के सामने इन गलतियों से बचें
- गैंग न बनाएं : किसी भी कंपनी में गैंग बनाने का सबसे अधिक खतरा आपकी नौकरी पर रहता है। इसलिए इससे बचें और बॉस को समझकर उसको सहयोग दें।
- गॉसिप से बचें : अपने नए बॉस के बारे में गॉसिप करने से बचना चाहिए। उसके पहनावे, व्यवहार आदि के बारे में चर्चा न करें। वर्कप्लेस पर कोई भी बात छुपती नहीं है। आपके नए बॉस को उस बात का पता लग जाएगा कि आप उसके बारे में गॉसिप कर रहे हैं तो वह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- लापरवाही न बरतें : अगर पुराने बॉस के समय आप कॉन्फिडेंस में भी लापरवाही करते थे तो चल जाता होगा, लेकिन नए बॉस के आने के बाद लापरवाही या कोई गड़बड़ी करने से बचें। शुरू में इंप्रेशन खराब हो जाएगा तो भविष्य में भी परेशानी होती रहेगी। अगर बॉस कोई काम दे तो उसे टाइम से पूरा करें।
- चापलूसी न करें : हो सकता है कि बॉस को अपनी तारीफ सुनना पसंद हो, लेकिन शुरू में ऐसा कोई भी बॉस नहीं करता है। इसलिए चापलूसी न करें। यह हमेशा काम की साबित नहीं होती है। अगर आपका नया बॉस समझदार है तो वह सिर्फ आपका काम देखेगा, न कि आपकी चापलूसी। वह ईमानदार राय चाहता है, ताकि वह नए वर्कप्लेस पर अच्छी तरह से सेट हो जाए।