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मेयर बन जाने के बाद भी इस महिला ने नहीं छोड़ा दूध बांटने का काम

केरल के त्रिशूर शहर में स्कूटी सवार महिला हर रोज घर-घर दस्तक देती है। यह महिला दूध के पैकेट पहुंचाने के साथ ही लोगों से उनके सुख-दुख के बारे में जानकारी भी लेती है।

Manali Rastogi
Published on: 30 Dec 2018 7:08 AM GMT
मेयर बन जाने के बाद भी इस महिला ने नहीं छोड़ा दूध बांटने का काम
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मेयर बन जाने के बाद भी इस महिला ने नहीं छोड़ा दूध बांटने का काम

त्रिशूर: केरल के त्रिशूर शहर में स्कूटी सवार महिला हर रोज घर-घर दस्तक देती है। यह महिला दूध के पैकेट पहुंचाने के साथ ही लोगों से उनके सुख-दुख के बारे में जानकारी भी लेती है।

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अजिता विजयन नामक यह महिला पिछले 18 साल से लोगों के घरों में दूध के पैकेट पहुंचाने का काम कर रही है। वैसे दूध पहुंचाना खास बात नहीं मगर विजयन के लिए यह खास बात जरूर हो जाती है। विजयन ने हाल ही में त्रिशूर के मेयर पद का चुनाव जीता है मगर त्रिशूर की मेयर बन जाने के बाद भी उन्होंने दूध के पैकेट बांटने का काम बंद नहीं किया है।

18 साल से बांट रही हैं दूध

अजिता विजयन ने घर-परिवार की आर्थिक दिक्कतें दूर करने के लिए 18 साल पहले दूध बेचने का काम शुरू किया था। उस वक्त उन्होंने सोचा था कि दूध बेचने से परिवार की आमदनी पढ़ेगी जिससे आर्थिक दिक्कतें दूर हो जाएंगी। विजयन का मानना था कि दूध बेचकर वो अपने पति को परिवार को खर्च चलाने में कुछ मदद कर सकेंगी जिससे घर का खर्च चलाना आसान हो जाएगा।

सुबह पांच बजे निकल पड़ती हैं दूध बांटने

विजयन ने इसी सोच के साथ दूध बेचने का काम शुरू किया। दूसरी गतिविधियों में सक्रिय होने के बाद भी यह सिलसिला पिछले 18 सालों से बदस्तूर चल रहा है। दूध बांटने के लिए विजयन को तडक़े उठना पड़ता है। विजयन के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है। नियमित दैन्य क्रिया के बाद वे सुबह पांच बजे दूध के पैकेट अपनी स्कूटी पर लादकर बांटने के लिए घर से निकल पड़ती हैं।

विजयन के काम से लोग अचरज में

विजयन त्रिशूर में करीब 150 घरों में दूध पहुंचाने का काम करती हैं। पहले तो उनके ग्राहकों को लगा कि मेयर बनने के बाद वो शायद ये काम बंद कर देंगी, लेकिन विजयन की खासियत यह है कि मेयर बनने के बाद भी उन्होंने दूध बांटने का काम बंद नहीं किया। उनका ऐसा करना लोगों के लिए किसी अचरज से कम नहीं है।

आगे भी नहीं छोड़ेंगी दूध बांटना

विजयन का कहना है कि पार्टी ने जो उनके प्रति विश्वास दिखाया है, वो उसके लिए पार्टी की आभारी हैं, लेकिन मेयर का पद स्थायी नहीं है। वे कहती हैं कि चुनाव जीतने के बाद भी दूध के पैकेट बांटना बंद करने का उनका कोई इरादा नहीं है। ये उनके परिवार के लिए कमाई का जरिया है।

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इस कारण इसे छोडऩे का उनका कोई इरादा नहीं है। इस काम से उन्हें लोगों से जुडऩे और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी भी मिलती है। विजयन का कहना है कि दूध बांटने का काम सुबह ही समाप्त हो जाता है।

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इसके बाद वो मेयर के रूप में अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में लगाती हैं। दूध बांटने से उन्हें मेयर की जिम्मेदारी पूरी करने में किसी प्रकार की अड़चन नजर नहीं आती। विजयन सीपीआई से जुड़ी हुई हैं और वे 1999 से ही राजनीति में सक्रिय हैं।

Manali Rastogi

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