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High Court: भले सहमति से हुआ हो सेक्स लेकिन आप पार्टनर को पीट नहीं सकते, जानें हाई कोर्ट ने किस मामले में सुनाया फैसला

High Court: सहमति से बने शारीरिक संबंध किसी भी पुरुष को महिला पर हमला करने या हिंसा करने का अधिकार नहीं देते।

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Newstrack Network
Published on: 26 Jan 2025 8:50 AM IST
High Court: भले सहमति से हुआ हो सेक्स लेकिन आप पार्टनर को पीट नहीं सकते, जानें हाई कोर्ट ने किस मामले में सुनाया फैसला
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High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सहमति से बने शारीरिक संबंध किसी भी पुरुष को महिला पर हमला करने या हिंसा करने का अधिकार नहीं देते। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने सर्कल इंस्पेक्टर बी. अशोक कुमार के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान दी। अशोक कुमार पर एक महिला ने यौन और शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता, जो एक पुलिस कांस्टेबल की पत्नी है, और अशोक कुमार के बीच 2017 से 2022 तक संबंध थे। 11 नवंबर 2021 को महिला ने आरोप लगाया कि अशोक कुमार ने एक होटल में उसका बलात्कार किया और उसे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई। अगले दिन आरोपी ने महिला को एक बस स्टॉप पर छोड़ दिया, जिसके बाद महिला अस्पताल गई और अपनी चोटों का इलाज कराया। उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए हत्या के प्रयास, बलात्कार, हमला और गलत तरीके से बंदी बनाए रखने का आरोप लगाया। अशोक कुमार ने अदालत में मामले को खारिज करने की याचिका दायर की और दावा किया कि उनके बीच संबंध पूरी तरह सहमति से बने थे। हालांकि, पुलिस जांच के बाद आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई।

हाई कोर्ट ने क्या कहा

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "सहमति से बने शारीरिक संबंध किसी पुरुष को महिला पर हिंसा करने या हमला करने का लाइसेंस नहीं देते। यह मामला पुरुषवादी क्रूरता को उजागर करता है।" अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच संबंध सहमति से बने थे और बल, धोखाधड़ी या दबाव का मामला नहीं पाया गया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चार वर्षों तक सहमति से बनाए गए संबंधों को बलात्कार का अपराध नहीं माना जा सकता, भले ही सहमति को धोखाधड़ी या दबाव से प्राप्त किया गया हो।

हालांकि, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सहमति का संबंध केवल यौन संबंध तक सीमित है और यह किसी भी प्रकार की हिंसा या उत्पीड़न को सही ठहराने का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आरोपी के खिलाफ जांच और कानूनी कार्रवाई को जारी रखने का निर्देश दिया।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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