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मुखर्जी नगर मामले में दिल्ली पुलिस का हमला बर्बरता का उदाहरण: उच्च न्यायालय

अदालत ने कहा कि यदि पुलिस इस तरह से बर्ताव करेगी तो यह नागरिकों को भयभीत करेगी जिन्हें यह महसूस करने की जरूरत होती है कि पुलिस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। आपको यह दिखाना होगा कि आप नागरिकों के साथ हैं। यही चीज बच्चे सहित नागरिक भी चाहते हैं।

PTI
By PTI
Published on: 19 Jun 2019 10:17 PM IST
मुखर्जी नगर मामले में दिल्ली पुलिस का हमला बर्बरता का उदाहरण: उच्च न्यायालय
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Delhi High Court

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक ऑटो रिक्शा चालक और उसके नाबालिग बेटे पर पुलिस का हमला उसकी (पुलिस की) बर्बरता का उदाहरण है।

न्यायमूर्ति जयंत नाथ और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा, ‘‘आप 15 साल के एक लड़के पर हमले को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? यदि यह पुलिस की बर्बरता का उदाहरण नहीं है, तो इससे ज्यादा आपको और क्या चाहिए? ’’

अदालत ने कहा कि यदि पुलिस इस तरह से बर्ताव करेगी तो यह नागरिकों को भयभीत करेगी जिन्हें यह महसूस करने की जरूरत होती है कि पुलिस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। आपको यह दिखाना होगा कि आप नागरिकों के साथ हैं। यही चीज बच्चे सहित नागरिक भी चाहते हैं।

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इस मामले की स्वतंत्र सीबीआई जांच का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, आप सरकार और दिल्ली पुलिस को अपना रुख बताने के लिए नोटिस जारी करते हुए पीठ ने यह टिप्पणी की।

पीठ ने इस घटना के बारे में पुलिस के संयुक्त आयुक्त स्तर के एक अधिकारी से एक हफ्ते में एक स्वतंत्र रिपोर्ट भी मांगी है और मामले की अगली सुनवाई दो जुलाई के लिए तय कर दी।

गौरतलब है कि रविवार शाम ऑटो चालक सरबजीत सिंह और पुलिसकर्मियों के बीच लड़ाई का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

घटना के एक कथित वीडियो में ऑटो चालक तलवार लेकर पुलिसकर्मियों के पीछे भागते हुए दिखाई दे रहा है। एक अन्य वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी ऑटो चालक और उसके बेटे की डंडों से पिटाई करते दिख रहे हैं।

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दिल्ली सरकार के अतिरिक्त वकील सत्यकाम ने पुलिस की ओर से पेश होते हुए कहा कि इस घटना के बाद वीडियो में पहचाने गए दिल्ली पुलिस के तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और संयुक्त पुलिस अधिकारी स्तर के एक अधिकारी घटना की स्वतंत्र जांच का नेतृत्व कर रहे हैं।

हालांकि, अदालत इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि इस हमले में आठ से नौ पुलिसकर्मी शामिल थे जिन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। अदालत ने पूछा कि उन सभी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

अदालत ने इस बात का जिक्र किया, ‘‘उन पांच अधिकारियों की पहचान करिए जिन्होंने लड़के पर हमला किया, दिनदहाड़े सड़क पर उसे घसीटा और डंडो से पीटा। लड़का निहत्था था और वह सिर्फ अपने पिता को वहां से दूर ले जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन फिर भी अधिकारियों ने उसे बुरी तरह से पीटा।’’

पेशे से वकील सीमा सिंघल द्वारा दायर याचिका में मीडिया में आयी खबरों का हवाला देते हुए कहा गया कि पुलिस ने ऑटो रिक्शा चालक और उसके नाबालिग बेटे को बुरी तरह से पीटा। साथ ही याचिका में मामले में मेडिकल रिपोर्ट समेत रिकॉर्ड तलब करने की मांग की गई।

अधिवक्ता संगीता भारती के जरिए दायर की गई याचिका में सिंह और उसके नाबालिग बेटे पर ‘‘बर्बर हमले’’ की सीबीआई या ऐसी ही किसी एजेंसी से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है।

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अदालत से यह भी अनुरोध किया गया है कि मामले की स्थिति और मेडिकल रिपोर्ट तथा मुखर्जी नगर थाना की सीसीटीवी फुटेज मंगाई जाए।

याचिका में ‘‘पुलिस की बर्बरता और अत्यधिक बल प्रयोग के हिंसक कृत्यों’’ को रोकने के लिए पुलिस सुधारों को लेकर उचित दिशा-निर्देश तय करने का अनुरोध किया गया है।

साथ ही, याचिका में आग्रह किया गया है कि मीडिया को सिंह के नाबालिग बेटे की पहचान उजागर करने और या उसकी तस्वीरें या साक्षात्कार प्रसारित करने से रोका जाए।

(भाषा)



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