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अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive : सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे की कोशिश

Rishi
Published on: 21 July 2017 4:02 PM IST
अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive : सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे की कोशिश
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राहुल लाल

सावन के प्रथम सोमवार को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में शिवभक्तों पर पाकिस्तान परस्त आतंकी हमलों में कम से कम 7 लोग मारे गए हैं, जबकि 19 अन्य घायल हुए हैं। मृतकों में 5 महिलाएं व 2 पुरुष शामिल हैं। खूबसूरत अनंतनाग के शिव भक्तिमय वातावरण को आतंकवादियों ने गोलियों से छलनी कर अपने कायरतापूर्ण हरकत से घटिया इरादों को प्रदर्शित किया।

हमला शाम में लगभग 8.20 बजे हुआ था। घायलों में से कई की हालत नाजुक बनी हुई है। आतंकियों ने केवल यात्रियों पर ही हमला नहीं किया, बल्कि पुलिस पार्टी को भी निशाना बनाया। आतंकियों ने 8.15 से 8.20 के बीच तीन बार आतंकी हमला करते हैं, जिसमें दो बार हमला सुरक्षाकर्मियों पर हुआ। यह हमला लश्कर का बताया जा रहा है। हमले का मास्टर माइंड पाकिस्तानी आतंकवादी इस्माइल है।

इस आतंकवादी हमलों को आतंकवाद के एक नए अध्याय के रूप में देखा जा सकता है। अमरनाथ यात्रा घाटी में हिंदुओं एवं मुस्लिमों के अभूतपूर्व भाईचारा को प्रतिबिंबित करता है। पाकिस्तान प्रायोजित इस आतंकवादी हमलों से इसी भाईचारा को तोडक़र देश के सांप्रदायिक सद्भावना पर भी हमले का प्रयास किया गया है। लंबे अवधि के बाद बाबा बर्फानी के भक्तों पर यह हमला हुआ है। इस वर्ष के अमरनाथ यात्रियों पर पहले से ही आतंकवादी हमलों की पूर्व सूचना थी। इसके बावजूद यह हमला सुरक्षा में भारी चूक को दिखाता है।

अमरनाथ यात्रा के आतंकवादी हमलों के अलर्ट सुरक्षा एजेंसियों को 25 जून को ही प्राप्त हो गया था, जिसके मद्देनजर इस यात्रा के सुरक्षा में 40 हजार सुरक्षाकर्मी शामिल हैं तथा पहली बार ड्रोन से सुरक्षा की निगरानी हो रही थी। फिर भी आतंकवादी हमलों में सफल हुए, इस गंभीर सुरक्षा खामी को लेकर स्थानीय प्रशासन, साइन बोर्ड, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार अपने जिम्मेवारी से बच नहीं सकते। अब सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि बस साइन बोर्ड से रजिस्डर्ड नहीं था, अर्थात् अमरनाथ यात्रा का अधिकृत भाग नहीं था तथा शाम 7 बजे के बाद बस को चलने की अनुमति नहीं है।

लेकिन एक प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर अगर बस इतने नियमों का उल्लंघन कर रही थी तो उसे सुरक्षा चेक पोस्ट क्यों नहीं रोका गया? आखिर दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद के गढ़ में यूं ही जाने की अनुमति बस को कैसे मिला? यह सुरक्षा संबंधी एक बहुत बड़ी खामी है। अभूतपूर्व सुरक्षा का जो दावा किया गया था तो वह इस आतंकवादी हमले से खंडित अवश्य हुआ है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आतंकवादी हमला कर भागने में सफल रहे हैं।

अमरनाथ यात्रियों पर हमले से पूर्व आतंकवादियों ने सुरक्षाकर्मियों के चेक पोस्ट पर हमला किया। उसके बाद सीआरपीएफ कैंप पर भी हमले का असफल प्रयास हुआ है। लेकिन बिना सुरक्षा के चल रहे अमरनाथ यात्रियों के इस बस को आतंकवादियों ने सॉफ्ट टार्गेट के रूप में हमला किया।

अब प्रश्न उठता है कि क्या आतंकियों को पहले से पता था कि एक तीर्थयात्रियों का बस बिना सुरक्षा के आ रहा है और इसलिए उसपर घात लगाकर हमला कर दिया? यह सुरक्षा चूक कैसे रह गई? आतंकवादी हमले के शिकार बस ड्राइवर ने हिम्मत से भयंकर गोलीबारी के बीच भी बस को तेजी से चलाते हुए सुरक्षित स्थान पर ले गया, जिससे आतंकवादी हमला और भी विभत्स होने से बच गया।

पिछले माह ही कश्मीर जोन के पुलिस महानिदेशक ने बेहद गोपनीय पत्र में महकमे को अमरनाथ यात्रा को लेकर अलर्ट जारी किया था। इस खुफिया अलर्ट के अनुसार आतंकवादी 100-150 अमरनाथ यात्रियों को हताहत करना चाह रहे थे। इसमें पुलिस के जवानों एवं अफसरों को भी निशाना बनाने की बात थी। इन हमलों से आतंकवादी देश भर में सांप्रदायिक दंगा फैलान चाह रहे थे। इससे आतंकवादियों के घृणित सोच को समझा जा सकता है।

इसी खुफिया रिपोर्ट के बाद सेना, पुलिस और अद्र्धसैनिक बलों के करीब 40 हजार जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर इस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है तथा इसे आतंकवादियों का कायरतापूर्ण हरकत बताया है।

दक्षिण कश्मीर में जिस तरह भारतीय सेना लगातार विपरीत परिस्थितियों के बीच भी आतंकवादियों पर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रहे है, उससे आतंकवादी बौखला गए हैं। अमरनाथ यात्रा पर हमला आतंकवादियों के इसी बौखलाहट का परिणाम है। करीब 15 वर्षों के बाद अमरनाथ यात्रा पर यह हमला हुआ है। अमरनाथ यात्रा का एक ओर तो अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय महत्व है, वहीं यह घाटी के अर्थतंत्र का अति महत्वपूर्ण घटक है।

इससे स्पष्ट है कि आतंकवादी न केवल तीर्थयात्रियों पर हमला कर रहे थे, अपितु घाटी के अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पवित्र अमरनाथ यात्रा की शुरुआत कड़ी सुरक्षा के बीच 29 जून को पहलगाम और बावटाल दोनों ही रास्तों से हुई थी। उत्तरी कश्मीर के बालटाल कैंप के रास्ते से अमरनाथ गुफा की ओर जाने के लिए 6000 से ज्यादा श्रद्धालुओं को इजाजत दी गई थी, जबकि दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के परंपरागत रास्ते से करीब 5 हजार यात्री गुफा की ओर चले थे। अमरनाथ यात्रियों पर लगभग 15 वर्षों के बाद इस तरह का आतंकवादी हमला हुआ है।

वर्ष 2000 में आतंकवादियों ने पहलगाम में हमला किया था जिसमें 32 तीर्थयात्रियों सहित 35 लोग मारे गए थे। वर्ष 2001 में शेषनाग में हुए आतंकी हमले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 12 शिवभक्त मारे गए थे। वहीं 2002 में अमरनाथ यात्रियों पर हुए दो आतंकी हमलों में कम से कम 10 यात्री मारे गए थे।

अनंतनाग आतंकी हमले के बाद भी भोले बाबा के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं है। आतंकवादियों का मुख्य प्रयास दशहत फैलाना होता है, लेकिन अमरनाथ यात्रा पर हमला कर भी आतंकी दशहत फैलाने के उद्देश्य में सफल नहीं हुए। अमरनाथ यात्रा के निहत्थे श्रद्धालुओं पर गोलियां बरसाने वाले आतंकवादियों को शिवभक्तों ने करारा जवाब दिया।

आतंकी हमले के बाद भी अगले दिन सुबह 3 बजे जम्मू से पहलगाम और बालटाल के लिए अमरनाथ यात्रा के लिए जत्था रवाना हुआ। शिवभक्त जोश के साथ हर-हर महादेव..., बम भोले जैसे जयकारे लगाते हुए बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आगे बढ़ गए। पाकिस्तान ने आतंकवाद के पालन-पोषण को ही अपना राष्ट्रीय लक्ष्य बना दिया है। आतंकवाद के मामले में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से पाकिस्तान कूटनीतिक रूप में चीन के अतिरिक्त विश्व समुदाय से अलग-थलग पड़ा है, परंतु इतनी ही कार्यवाही प्रयाप्त नहीं है।

अमरनाथ यात्रा को सीमापार आतंकवाद से पाकिस्तान ने ही संचालित किया है। अब समय आ गया है कि भारत न केवल इस तरह की घटनाओं पर केवल कड़ी निंदा करे, अपितु इजराइल की तरह पाकिस्तान के भूमि पर विस्तृत सर्जिकल अटैक कर आतंकवादियों को नस्तनाबूत करे। अमेरिका ने जब से चीन के विपरीत पाकिस्तान का नाम लेकर आतंकवाद से जोड़ा तथा पाकिस्तानी आतंकवादी सलाउद्दीन को ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया, उससे पाकिस्तानी आतंकवादी एवं पाकिस्तान में उनके आका भडक़ गए हैं।

भारत ने पिछले वर्ष सर्जिकल स्ट्राइक किया था, परंतु सेना के अनुसार जिस लांचिंग पैड को सर्जिकल स्ट्राइक में नष्ट किया गया था, अब उसे फिर से एक्टिव कर दिया है।

(लेखक कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ)



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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