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Cantonment Board: छावनी का ज़माना गया, अब सिर्फ मिलिट्री स्टेशन और म्युनिसिपल एरिया

Cantonment Board: सरकार ने स्थानीय नगरपालिका निकायों को छावनी के तहत आने वाले नागरिक क्षेत्रों को सौंपने का भी फैसला किया है। जबकि छावनी में सैन्य क्षेत्रों को "मिलिट्री स्टेशनों" में बदल दिया जाएगा। देश में वर्तमान में 62 छावनी बोर्ड हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 3 May 2023 10:36 PM GMT
Cantonment Board: छावनी का ज़माना गया, अब सिर्फ मिलिट्री स्टेशन और म्युनिसिपल एरिया
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Cantonment Board (Photo-Social Media)

Cantonment Board: केंद्र सरकार ने एक बड़े फैसले में देश के सभी 62 सैन्य छावनी बोर्डों को भंग करने का फैसला किया है, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश काल से चली आ रही छावनी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। सरकार ने स्थानीय नगरपालिका निकायों को छावनी के तहत आने वाले नागरिक क्षेत्रों को सौंपने का भी फैसला किया है। जबकि छावनी में सैन्य क्षेत्रों को "मिलिट्री स्टेशनों" में बदल दिया जाएगा। देश में वर्तमान में 62 छावनी बोर्ड हैं।

शुरुआत हिमाचल से

छावनी बोर्ड को भंग करने की कवायद हिमाचल प्रदेश की योल छावनी से शुरू होगी। इस छावनी को जल्द ही मिलिट्री स्टेशन में बदल दिया जाएगा और अन्य छावनियों में धीरे-धीरे यही व्यवस्था बनाई जाएगी। दूसरा नम्बर अजमेर की नसीराबाद छावनी का है।भारत में ब्रिटिश शासन के तहत प्रचलित छावनी बोर्ड प्रणाली की पूरी प्रणाली को उपनिवेश से मुक्त करने के प्रयास में यह निर्णय लिया गया है। इससे पहले योल छावनी के निवासियों ने मांग की थी कि उन्हें छावनी क्षेत्र से बाहर किया जाए। छावनी के 12,028 निवासियों ने लंबे समय से मांग की थी कि विकास गतिविधियों के लिए जरूरी है कि छावनी बोर्ड को भंग कर दिया जाए। हिमाचल सरकार और केंद्र के अधिकारियों की 2020 में हुई बैठक के बाद आखिरकार उनकी मांगें मान ली गईं। रक्षा मंत्रालय ने योल छावनी का स्टेटस बदलने के लिए 27 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर दी।

मुश्किल हो गया था प्रबंधन

केंद्र का दावा है कि चूंकि छावनियों को मैनेज करना बहुत मुश्किल हो गया है इसलिए इस कदम से सुरक्षा को मजबूत करने, भूमि प्रबंधन को सरल बनाने और अतिक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। आजादी के समय देश में 56 छावनियां थीं और 1947 के बाद छह और अधिसूचित की गईं। अधिसूचित होने वाली अंतिम छावनी 1962 में अजमेर थी। छावनियों के नागरिक निवासियों को आमतौर पर संबंधित राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है क्योंकि सैन्य सुविधाएं रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के माध्यम से छावनी बोर्डों द्वारा शासित होती हैं। रक्षा बजट का काफी हिस्सा छावनियों के नागरिक क्षेत्रों के विकास पर खर्च किया जाता है।

17 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन

रक्षा सम्पदा कार्यालयों के रिकॉर्ड के अनुसार, रक्षा मंत्रालय के पास लगभग 17.99 लाख एकड़ जमीन है, जो इसे देश का सबसे बड़ा भूमिपति बनाता है। इसमें से लगभग 1.61 लाख एकड़ 62 अधिसूचित छावनियों के भीतर है। शेष भूमि, लगभग 16.38 लाख एकड़, देश भर में और छावनियों के बाहर फैली हुई है।छावनियों से संबंधित मामले, जिनमें नई इमारतों का निर्माण, इमारतों की ऊंचाई, वाणिज्यिक रूपांतरण, सीवेज और बाकी सभी शामिल हैं, छावनी बोर्ड द्वारा नियंत्रित किए जाते थे।

Neel Mani Lal

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